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हर घर सरकारी नौकरी- एक करोड़ रोजगार… क्या बिहार के वोटर्स को दिए वादे पूरे कर पाएंगे नेताजी? – Bihar elections Tejashwi Yadav salary expenditure debt burden development ntcpmm


बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सियासत में वादों की बरसात शुरू हो चुकी है. ताजा ऐलान किया है पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने. उन्होंने कहा है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री ने एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया है.

अब जरा सोचिए, बिहार में करीब 2.75 करोड़ परिवार हैं. अगर ये वादा पूरा किया गया तो लाखों नई सरकारी नौकरियां बनानी होंगी, जिससे सरकार का वेतन खर्च काफी बढ़ जाएगा. 

वेतन खर्च बढ़ रहा है, पर अब भी कई राज्यों से कम

फिलहाल बिहार अपनी कुल बजट का 15% से ज्यादा हिस्सा कर्मचारियों की तनख्वाह पर खर्च करता है. PRS Legislative Research के मुताबिक ये खर्च हर साल बढ़ रहा है. सरकार के अनुमान के मुताबिक, इस साल यह बढ़कर 17% तक पहुंच जाएगा, जो 2018-19 में करीब 12% था.

बढ़ोतरी के बावजूद बिहार का ये अनुपात इन राज्यों से कम 

कर्नाटक में यह 27.5%
पंजाब में 24.8%
महाराष्ट्र में 24.7%
उत्तर प्रदेश में 23.7%
राजस्थान में 22.1%
पश्चिम बंगाल में 21.5%
तमिलनाडु में 20.9% है.

स्थायी खर्च बना चिंता की वजह

भले ही बिहार में वेतन खर्च का प्रतिशत कई राज्यों से कम हो लेकिन राज्य की विकास के लिए खर्च करने की गुंजाइश बहुत सीमित है.
राज्य का राजस्व खर्च (Revenue Expenditure) लगातार बढ़ा है, जबकि पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) यानी इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों के लिए पैसा घटता गया है.

2017-18 में जहां कुल बजट का 75.2% हिस्सा राजस्व खर्च में जा रहा था, अब यह बढ़कर 85.7% हो गया है. वहीं पूंजीगत खर्च की हिस्सेदारी 24.8% से घटकर 14.3% रह गई है.

कर्ज पर बैठा है बिहार

बिहार का आर्थिक बोझ अब बढ़ता जा रहा है. राज्य की कुल जीएसडीपी के मुकाबले बकाया कर्ज 2024–25 में 37.1% तक पहुंच गया है. यानि अगर चुनावी वादों से खर्च और बढ़ा, तो राज्य की विकास योजनाएं और वित्तीय स्थिरता दोनों पर असर पड़ सकता है.

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