ऑपरेशन सिंदूर में पिटने के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने पहली बार महिला आतंकियों की ब्रिगेड बनाने की घोषणा की है। इसकी कमान जैश मुखिया मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर को सौंपी गई है। सादिया का पति युसूफ अजहर 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर में वायुसेना के हमले में मारा गया था। महिला आतंकियों की इस शाखा का नाम जमात-उल-मोमिनात रखा गया है। जैश की संचार शाखा अल कलाम मीडिया के पत्र से यह खुलासा हुआ है। इसमें मसूद का नाम लिखा है और जिहाद की अपील की गई है। जैश ने जमात-उल-मोमिनात को अपने नए ऑपरेशनल ढांचे का हिस्सा बताया है। महिला शाखा के गठन का मकसद कुफ्र और निफाक (कपट) को मुंहतोड़ जवाब देना बताया है।
देवबंदी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाला जैश परंपरागत रूप से महिलाओं को हथियारबंद जिहाद से दूर रखता आया है, पर मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल सैफ ने महिला आतंकियों ब्रिगेड को मंजूरी देकर अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायसुना ने जैश मुख्यालय मरकज सुभानअल्लाह पर हमला कर उसे तबाह कर दिया जिसके बाद आतंकी संगठन ने अपनी रणनीति में यह बदलाव किया है।
आईएस, बोको हराम और हमास जैसे आतंकवादी संगठनों ने पहले भी आत्मघाती हमलावरों के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल किया है। हालांकि जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-ताइबा और हिज्बुल मुजाहिदीन अब तक इससे परहेज करते रहे हैं। हालांकि अब सुरक्षा सूत्रों का मानना है कि जैश की इस नई महिला ब्रिगेड का इस्तेमाल आने वाले समय में महिला आत्मघाती हमलावरों के रूप में हो सकता है। जैश का यह कदम दर्शाता है कि संगठन इस समय काफी दबाव में है।
जैश ने महिला शाखा के लिए बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह भर्ती प्रक्रिया 8 अक्तूबर यानी भारतीय वायुसेना के स्थापना दिवस से शुरू की गई है। सूत्रों ने बताया कि जैश की महिला ब्रिगेड में संगठन के कमांडरों की बीवियों के साथ-साथ बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर व मनसेहरा के ठिकानों में पढ़ रहीं आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों की भर्ती करना शुरू किया है।