नेपाल में अनिश्चितता के बादल अभी भी मंडरा रहे हैं. राजनीतिक उथल-पुथल बनी हुई है. लोगों का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है. हिंसा बदस्तूर जारी है. प्रधानमंत्री के पद से केपी शर्मा ओली को इस्तीफा दिए 60 घंटे हो चुके हैं. लेकिन अभी भी कंफ्यूजन बनी हुई है. लेकिन ऐसी स्थिति क्यों हैं?
नेपाल में अभी भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं. रह-रहकर आगजनी की खबरें सामने आ रही हैं. इस समय प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक दलों के बीच नए नेता के चुनाव पर सहमति नहीं बन पा रही है.
सूत्रों का कहना है कि पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की, काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के पूर्व सीईओ कुलमान घिसिंग और धरान के मेयर हरका सैमपांग प्रमुख दावेदार हैं.
ऐसे में आज सुबह नौ बजे राष्ट्रपति भवन में फिर बैठकों का दौर शुरू होगा. इससे पहले राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के सरकारी आवास पर देर रात तीन बजे तक बैठक हुई. बैठक में राष्ट्रपति और प्रधान सेनापति के अलावा संसद के स्पीकर, राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष और प्रधान न्यायाधीश मौजूद रहे. नेपाल में कशमकश की इस स्थिति को ब्योरेवार ढंग से समझना जरूरी है.
1) युवा प्रदर्शनकारी सेना मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में मौजूद है. इनकी मांग है कि इन बैठकों को सेना के हेडक्वार्टर में बंद कमरे में करने के बजाए सार्वजनिक तौर पर की जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे. शुरुआत में प्रदर्शनकारियों ने ये भी आरोप लगाए थे कि सेना के साथ जिन प्रदर्शनकारियों को बैठक के लिए बुलाया गया है, वे गलत लोग हैं.
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संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को 30 दिनों में नई सरकार या चुनाव कराना है. लेकिन Gen Z संसद भंग करने की मांग कर रहे हैं, जबकि मुख्यधारा की पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं. अंतरिम सरकार को राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए, लेकिन वे सार्वजनिक रूप से चुप हैं.
3) नेपाल में अंतरिम सरकार के प्रमुख के तौर पर सुशीला कार्की के नाम पर सहमति है लेकिन राजनीतिक दलों में संसद विघटन को लेकर विरोध है. आवश्यकता के सिद्धांत पर सुशीला को अंतरिम सरकार प्रमुख बनाने पर दलों में सहमति है.
4) नेपाली कांग्रेस, यूएमएल और माओवादी संसद विघटन के खिलाफ है. इन तीनों दलों का कहना है कि संसद विघटन मान्य नहीं है.
5) एक बड़ी कंफ्यूजन ये है कि Gen Z प्रदर्शनकारी डिस्कॉर्ड और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर संगठित हैं, लेकिन उनके बीच लीडरशिप और गवर्नेंस मॉडल पर सहमति नहीं है. कुछ तुरंत नया संविधान चाहते हैं, जबकि अन्य अंतरिम सरकार बनाकर सुधारों पर ध्यान देना चाहते हैं.
बता दें कि राष्ट्रपति पौडेल प्रमुख दल के नेताओं से भी चर्चा कर रहे हैं. देर रात राष्ट्रपति और प्रचंड के बीच टेलीफोन वार्ता हुई. पूर्व पीएम माधव नेपाल से भी राय मांगी गई. जब से हिंसा शुरू हुई है, नेपाल की जेलों में बंद 15000 से ज्यादा कैदी भाग घए हैं. ये कैदी 25 अलग-अलग जेलों से फरार हो गए हैं.
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