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मध्य प्रदेश: 10वीं पास के लिए निकली 7500 कांस्टेबल पोस्ट… इंजीनियर, PHD होल्डर दावेदार, 9 लाख से ज्यादा आवेदन – madhya pradesh 7500 constable recruitment 9 lakh applications engineer mba phd ntc


मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा-2025 में सिर्फ 7500 पदों के लिए करीब 9.5 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया है. हैरानी की बात ये है कि इस परीक्षा के लिए न्यूनतम योग्यता सिर्फ दसवीं कक्षा (हाईस्कूल) पास है, लेकिन आवेदकों में 52000 पोस्ट ग्रेजुएट, 33,000 ग्रेजुएट, 12,000 इंजीनियर और लगभग 50 पीएचडी धारक शामिल हैं.

भर्ती परीक्षा 30 अक्टूबर को 2 पालियों में आयोजित होगी. एक सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक और दूसरी दोपहर 2:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक.

मध्य प्रदेश के कई शिक्षित युवाओं के लिए कांस्टेबल की परीक्षा किसी भूमिका से ज़्यादा नौकरी की सुरक्षा का प्रतीक बन गई है. उम्मीदवारों का कहना है कि राज्य में स्थायी रोज़गार के अवसर कम हैं, इसलिए डिग्री धारक भी दसवीं स्तर की नौकरियों के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं.

छिंदवाड़ा में एमबीए करने वाली पल्लवी चौकीकर ने बताया कि उन्होंने उपयुक्त नौकरी न मिलने के कारण पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन किया है. पल्लवी ने कहा कि डिग्री होने के बावजूद मुझे यहां अच्छी नौकरी नहीं मिली, जो नौकरी मिली, वो मध्य प्रदेश के बाहर थी, लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारियों की वजह से मैं बाहर नहीं जा सकी. इसलिए मैंने यह फॉर्म भरा.

बैतूल की गणित में एमएससी पास निधि धोटे ने बताया कि एमएससी करने के बाद भी जब मुझे कोई नौकरी नहीं मिली, तो मेरे पास कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा.

वहीं, सीहोर के विजय वर्मा, जिनके पास बीएससी और एमए दोनों डिग्रियां हैं, उनके लिए वजह कुछ अलग रही. उन्होंने कहा कि मेरे गांव में सरकारी नौकरी मिलना बहुत बड़ी बात मानी जाती है. जब नौकरी निकलती हैं, तो हम खाली नहीं बैठ सकते. भले ही मैं ज़रूरत से ज़्यादा योग्य हूं, लेकिन सरकारी नौकरी का मतलब है स्थिरता.

कांस्टेबल भर्ती परीक्षा को मिली भारी प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि देश में बेरोज़गारी कितनी तेजी से बढ़ रही है और सीमित सरकारी पदों के लिए प्रतिस्पर्धा कितनी ज्यादा हो गई है. कई उच्च शिक्षित उम्मीदवार जब एंट्री लेवल की नौकरियों के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं, तो यह भर्ती परीक्षा भारत के रोज़गार बाज़ार में शिक्षा और अवसरों के बीच बढ़ती खाई को उजागर करती है.

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