फेस्टिव सीजन चल रहा है और देश भर में दिवाली-करवाचौथ की धूम है. इस बीच लोग जहां स्थानीय बाजारों से खरीदारी कर रहे हैं, तो ऑनलाइन शॉपिंग भी धड़ल्ले से की जा रही है. खास बात ये है कि ज्यादातर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े ऑफर और बिग डील दे रहे हैं. लेकिन एक सर्वे के मुताबिक, इन डील्स के चक्कर में फंसकर Online Shopping करने वाले करीब 75% ठगे गए हैं. ठगी का ये पूरा खेल दरअसल, डार्क पैटर्न के जरिए चल रहा है. आइए जानते हैं ये कैसे काम करता है और ग्राहकों को कैसे फंसाता है?
ऑनलाइन शॉपिंग में हो रहा बड़ा खेल
कोरोना के समय से ही देश में Online Shopping का क्रेज लगातार बढ़ा है और इस बीच क्विक डिलीवरी ने इसके मार्केट को बढ़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई है. लेकिन घर में बैठकर सामान मंगा रहे कस्टमर ठगे भी खूब जा रहे हैं. दरअसल, वे डार्क पैटर्न का शिकार हो रहे हैं. सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स की एक ताजा स्टडी इसका खुलासा हुआ है. इसमें कहा गया है कि ई-कॉमर्स साइट्स पर हिडेन चार्ज और गलत प्रैक्टिस बढ़ गई है और करीब 75 फीसदी ग्राहकों ने ड्रिप प्राइसिंग के झोल में फंसकर ठगे जाने की बात कबूली है. ऐसे में ऑनलाइन शॉपिंग करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी हो गया है.
सर्वे में हुआ ये बड़ा खुलासा
लोकलसर्कल्स ने करीब 4 महीने तक देशभर में एक सर्वे और स्टडी की, जिसमें 334 जिलों के 77 हजार ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों की राय को शामिल किया. लोकलसर्किल्स ऑडिट ने 290 प्लेटफॉर्म की जांच की और 10 प्रकार के डार्क पैटर्न की पहचान की, जिनमें से 5 व्यापक रूप से प्रचलित हैं. इनमें ड्रिप प्राइसिंग, बैट एंड स्विच, प्राइवेसी जकरिंग, फोर्स्ड एक्शन और बास्केट स्नीकिंग शामिल थे. इसमें शामिल 75 फीसदी यूजर्स ने ड्रिप प्राइसिंग के चलते ठगे जाने की शिकायत की. तो वहीं 48 फीसदी ग्राहक ऐसे थे, जिन्होंने बैट एंड स्विच की समस्या झेली. वहीं 44 फीसदी ग्राहकों ने प्राइवेसी जकरिंग का सामना किया, तो 19% फोर्स्ड एक्शन और 21 फीसदी ने बास्केट स्नीकिंग की समस्या से दो-चार हुए.
रिपोर्ट के मुताबिक, लोकलसर्किल्स के ये निष्कर्ष उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा बीते दिनों ऑनलाइन शॉपिंग में कैश-ऑन-डिलीवरी फीस की जांच की पुष्टि के साथ मेल खाते हैं, जिसमें पारदर्शिता और निष्पक्ष व्यापार मानदंडों के गंभीर उल्लंघनों को उजागर किया गया.
क्या होता है Dark Patterns?
डार्क पैटर्न उस ऐप डिजाइन को कहा जाता है, जो जानबूझकर यूजर्स को को गलत फैसला लेने, ज्यादा खर्च करने या किसी चीज के लिए उसके व्यावहार को बदलने का काम करती है. इसके काम करने के तरीके को देखें, तो ऑर्डर बुक करने से पहले ऑफर देना और जैसे ही ग्राहक सस्ता भाव देखकर उसका ऑर्डर करता है, तो चेकआउट पर टोटल बिल में डिलीवरी, टैक्स और प्रोसेसिंग फीस जोड़कर दिखाना.
इसके अलावा इसमें ग्राहक को विज्ञापन में कुछ ऑफर दिखाना, लेकिन चेकआउट पर अचानक ऐसे किसी ऑफर के उपलब्ध न होने के लिए कहा जाना. काउंटडाउन टाइमर भी इसका हिस्सा है, जिसमें ग्राहक को ऑर्डर बुकिंग के दौरान बताया जाता है कि इस सस्ते भाव पर सामान लेने के लिए सिर्फ कुछ मिनट या सेकंड बचे हैं, ऐसे में ग्राहक उसे फायदा पाने के लिए जल्दी खरीद लेते हैं और अंतिम बिल में हिडेन चार्ज का शिकार बन जाता है.
DRIP Pricing: ऑनलाइन शॉपिंग में ड्रिप प्राइसिंग भी ग्राहकों को आकर्षित करने का बड़ा तरीका बना है. इसें कोई ग्राहक ई-कॉमर्स प्लेफॉर्म पर शॉपिंग करता है, तो किसी प्रोडक्ट की कीमत को महज कुछ समय के लिए भारी डिस्काउंट पर बेचने की बात कही जाती है. अन्य साइट्स के मुकाबले सामान को काफी सस्ता दिखाकर ग्राहकों को खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है. इसमें पहले वो उसके प्राइस की कीमत में बड़ा इजाफा करके दिखाती हैं और जितनी कीमत बढ़ाती हैं, उसमें से एक बड़ा हिस्सा डिस्काउंट के तौर पर दिखाकर लोगों को ड्रिप प्राइसिंग का शिकार बनाती हैं. इसके ट्रिक प्राइसिंग भी कहा जाता है.
Wrong Practices: गलत प्रैक्टिस इन बताए गए तरीकों का पूरा जंजाल होता है, यानी ऑनलाइन शॉपिंग में ऐसी हर गतिविधि या तरीका, जिससे ग्राहक को भ्रमित किया जाए. इसके लिए मिसलीड करते हुए विज्ञापन, प्रोडक्ट की क्वालिटी, ब्रांड, साइज या फीचर के बारे में झूठी या आधी जानकारी देना.
डार्क पैटर्न से ऐसे बचें ग्राहक
ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान अगर आपको डार्क पैटर्न से बचना है, तो सावधानी बरतना जरूरी है. इसके लिए कोई भी सामान खरीदते समय कीमत के साथ टोटल बिल चेक करें और खासतौर पर चेकआउट तक पहुंचने के बाद भी. इसके साथ ही अगर कोई प्री-टिक्ड बॉक्स दिख रहा है, तो उसे अनचेक करें. अगर किसी प्रोडक्ट पर काउंटडाउन टाइमर नजर आ रहा है, तो उसे खरीदने से पहले थोड़ा जांच परख कर लें, जल्दी में निर्णय लेकर न खरीदें. इसके साथ ही पेमेंट करते समय कार्ड/UPI/वॉलेट से किए गए वैलेंस का स्क्रीनशॉट जरूर रखें.
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