रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2025 के रसायन विज्ञान नोबेल पुरस्कार को तीन वैज्ञानिकों – सुसुमु किटागावा, रिचर्ड रॉबसन और ओमार एम. यागी को दिया है. ये पुरस्कार ‘धातु-जैविक फ्रेमवर्क’ (MOF) के विकास के लिए है. ये एक नई तरह की आणविक संरचना है, जिसमें रसायन के लिए जगहें बनी होती हैं.
इनकी मदद से रेगिस्तान की हवा से पानी निकाला जा सकता है. कार्बन डाइऑक्साइड पकड़ा जा सकता है. जहरीली गैसें स्टोर की जा सकती हैं या रासायनिक प्रतिक्रियाएं तेज की जा सकती हैं.
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धातु-जैविक फ्रेमवर्क क्या हैं? एक आसान सफर
कल्पना कीजिए कि आप छोटे-छोटे लोहे के टुकड़ों और लंबी कार्बन-आधारित चेनों से एक बड़ा महल बनाते हैं. ये महल इतना मजबूत और खाली जगहों से भरा होता है कि गैसें और रसायन आसानी से अंदर-बाहर आ-जा सकें. यही MOF हैं – मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क.
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The Royal Swedish Academy of Sciences has decided to award the 2025 #NobelPrize in Chemistry to Susumu Kitagawa, Richard Robson and Omar M. Yaghi “for the development of metal–organic frameworks.” pic.twitter.com/IRrV57ObD6— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 8, 2025
इनमें धातु के आयन (जैसे तांबा) कोने की तरह काम करते हैं. कार्बन वाले लंबे जैविक अणु इन्हें जोड़ते हैं. साथ मिलकर ये क्रिस्टल बनाते हैं, जिनमें बड़ी-बड़ी खाली जगहें होती हैं. वैज्ञानिक इन बिल्डिंग ब्लॉक्स को बदलकर MOF को कस्टमाइज कर सकते हैं. इससे ये किसी खास चीज को पकड़ सकते हैं, रासायनिक रिएक्शन चला सकते हैं या बिजली पैदा कर सकते हैं.
नोबेल कमिटी के चेयरमैन हाइनर लिंके कहते हैं कि MOF में अनगिनत संभावनाएं हैं. ये नई तरह के कस्टम मटेरियल बना सकते हैं, जिनके पहले कभी न सोचे गए फंक्शन होंगे.
कहानी की शुरुआत: 1989 से क्रांति
ये सब 1989 में शुरू हुआ. रिचर्ड रॉबसन ने सोचा कि परमाणुओं की प्राकृतिक खूबियों को नया तरीके से इस्तेमाल करें. उन्होंने पॉजिटिव चार्ज वाले तांबे के आयनों को चार-हाथ वाली अणु से जोड़ा. हर हाथ के अंत में एक केमिकल ग्रुप था, जो तांबे को आकर्षित करता था.
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जब ये मिले, तो एक अच्छी तरह से व्यवस्थित, खाली जगहों वाला क्रिस्टल बन गया. जैसे हीरा, लेकिन अंदर अनगिनत हिस्से भरे. रॉबसन ने तुरंत इसकी ताकत पहचानी, लेकिन ये अस्थिर था – आसानी से ढह जाता था. फिर 1992 से 2003 के बीच सुसुमु किटागावा और ओमार यागी ने अलग-अलग क्रांतिकारी खोजें कीं. किटागावा ने दिखाया कि गैसें इन संरचनाओं में अंदर-बाहर बह सकती हैं.
उन्होंने भविष्यवाणी की कि MOF लचीले भी बनाए जा सकते हैं. यागी ने एक बहुत स्थिर MOF बनाया और दिखाया कि इसे रेशनल डिजाइन से बदला जा सकता है – नई और पसंदीदा खूबियां दी जा सकती हैं. इन खोजों के बाद, रसायनशास्त्री हजारों तरह के MOF बना चुके हैं. ये इंसानियत की बड़ी समस्याओं का हल दे सकते हैं.
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MOF के फायदे: असल जिंदगी में जादू
MOF छोटे लगते हैं, लेकिन बड़े काम करते हैं. कुछ उदाहरण…
- रेगिस्तान से पानी: ये हवा से नमी सोखकर पानी बना सकते हैं. सूखे इलाकों में मदद.
- कार्बन डाइऑक्साइड पकड़ना: ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने के लिए फैक्ट्रियों की गैसें कैद करें.
- जहरीली गैसें स्टोर: खतरनाक गैसों को सुरक्षित रखें.
- रासायनिक रिएक्शन: दवाइयां या ईंधन बनाने में तेजी लाएं.
- पर्यावरण साफ: पानी से PFAS (हानिकारक केमिकल) निकालें, दवाइयों के अवशेष तोड़ें.
ये MOF बिजली भी चला सकते हैं, जैसे बैटरी में. भविष्य में ये क्लाइमेट चेंज, पानी की कमी और प्रदूषण से लड़ने में बड़ा रोल निभाएंगे.
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विजेताओं के बारे में
- रिचर्ड रॉबसन: ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक, जिन्होंने पहला MOF बनाया.
- सुसुमु किटागावा: जापान के जिन्होंने गैस फ्लो और फ्लेक्सिबिलिटी दिखाई.
- ओमार एम. यागी: अमेरिका के जिन्होंने स्थिर और कस्टम MOF बनाए.
ये तीनों ने मिलकर रसायन विज्ञान को नई दिशा दी. 2025 का नोबेल पुरस्कार MOF को मान्यता देता है – एक ऐसी खोज जो छोटे अणुओं से बड़ी समस्याएं हल करेगी. ये दिखाता है कि विज्ञान कैसे जादू जैसा काम करता है. आने वाले सालों में MOF हमारी जिंदगी बदल सकते हैं.
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