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बिहार में नौकरियां बढ़ीं पर पढ़े-लिखे युवा अब भी बेरोजगार, कब और कैसे बदलेगी तस्वीर? – Bihar unemployment educated youth job crisis elections rural jobless ntcpmm


बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है. ये विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे. पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा. चुनावी नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. अब जब चुनावी मंचों से नेताओं के वादों की बरसात हो रही है, लेकिन एक मुद्दा ऐसा है जो हर गांव, हर घर और हर परिवार से जुड़ा है, वो है बेरोजगारी.

पिरि‍योड‍िक लेबर सर्वे के मुताबिक बिहार में 15 से 29 साल की उम्र के युवाओं में बेरोजगारी दर 2018–19 में 30.9% थी जो पिछले साल (2017–18) के मुकाबले काफी ज्यादा थी, उस साल बेरोजगारी दर 22.8% थी. हालांकि, साल 2023–24 में ये घटकर 9.9% रह गई है. यानी हालात में सुधार तो हुआ है लेकिन राज्य के हर 10 में से एक युवा अब भी बेरोजगार है.

सरकार के स्किल प्रोग्राम से उम्मीदें बढ़ीं

सरकार ने युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के मकसद से कई स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसे  जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान, और नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम शुरू किए हैं. इसके अलावा अब डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे Skill India Digital Hub भी लॉन्च किए गए हैं, जो गांवों के युवाओं को ट्रेनिंग सेंटर और कोर्स की जानकारी देने में मदद कर रहे हैं.

पढ़े-लिखे बेरोजगार ज्यादा

सवाल ये है कि क्या ये सारे कदम पर्याप्त हैं क्योंकि बिहार में बेरोजगारों में अनपढ़ लोग नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोग ज्यादा हैं. आंकड़ों के मुताबिक जो लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, उनमें बेरोजगारी दर सिर्फ 0.8% है लेकिन ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी 14.7% है. इसके अलावा जिनके पास पोस्ट-ग्रेजुएट या उससे ज्यादा डिग्री है, उनमें बेरोजगारी दर 19% तक पहुंच गई है.

यहां तक कि डिप्लोमा होल्डर्स और हायर सेकेंडरी पास युवा भी नौकरी पाने के लिए जूझ रहे हैं. यानी बिहार में अब बेरोजगारी सिर्फ डिग्री वालों की समस्या बन चुकी है जहां पढ़ाई के बावजूद नौकरी मिलना सबसे मुश्किल काम बन गया है. अब जब चुनाव सिर पर हैं, देखना ये है कि बिहार की ये तस्वीर कैसे और कब तक बदलेगी. 

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