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गुजरात से रूस, फिर ड्रग केस में 7 साल की जेल, यूक्रेन में सरेंडर… युद्ध में फंसे मोहम्मद हुसैन की कहानी – indian citizen surrenders in ukraine after fighting with russian army war ntcprk


यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना के साथ भारतीयों के लड़ने की खबरें आती रही हैं. ऐसा ही एक मामला सुर्खियों में है जिसमें कथित तौर पर रूसी सेना के साथ लड़ रहे एक भारतीय ने यूक्रेन के सामने सरेंडर कर दिया है. यूक्रेनी सेना की 63वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड ने दावा किया है कि साहिल मोहम्मद हुसैन नाम के भारतीय ने कुछ ही दिनों की लड़ाई के बाद हथियार डाल दिए.

वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में कहा है कि वो इस खबर का जांच-पड़ताल कर रही है और यूक्रेनी अधिकारियों ने इस संबंध में कोई आधिकारिक अपडेट नहीं दिया है.

यूक्रेनी सेना की 63वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड, जिसके सामने हुसैन ने सरेंडर किया, उसने टेलिग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया है. 1 मिनट 45 सेकंड के इस वीडियो में हुसैन लाल टी-शर्ट पहने रूसी भाषा में बोलते हुए दिख रहा है

यूक्रेन में सरेंडर करने वाला साहिल मोहम्मद हुसैन कौन है?

साहिल मोहम्मद हुसैन गुजरात के मोरबी का रहने वाला है. 22 साल का हुसैन पढ़ाई के सिलसिले में रूस गया था. रूस जाकर उसने वहां एक यूनिवर्सिटी में दाखिला भी लिया था. लेकिन वहां वो एक ड्रग्स ट्रैफिकिंग केस में फंस गया जिसमें उसे दोषी पाया गया. रूसी कोर्ट ने हुसैन को सात साल की सजा सुनाई. लेकिन हुसैन जेल में नहीं रहना चाहता था.

उसी दौरान रूसी मिलिट्री सजा के बदले युद्ध में सेवा देने वाले लोगों को खोज रही थी और हुसैन ने सजा से बचने के लिए रूसी सेना के साथ लड़ने का मन बना लिया.

उसने रूसी मिलिट्री के साथ रूस के ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ में शामिल होने के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया जिसके बाद उसे जेल से छुटकारा मिल गया.

जेल से युद्ध के मैदान तक गया फिर कर दिया सरेंडर

सोशल मीडिया पर हुसैन का वीडियो वायरल है जिसमें वो अपनी कहानी बताते हुए कह रहा है, ‘मैं यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के लिए पहली बार रूस आया था. लेकिन मुझे ड्रग्स ट्रैफिकिंग के मामले में जेल भेज दिया गया और मुझे सात साल की सजा हुई थी. मैं जेल में नहीं रहना चाहता था इसलिए पुलिस के साथ मैंने स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन कॉन्ट्रैक्ट साइन किया…यह मेरे लिए वहां से निकलने का रास्ता था.’ 

हुसैन ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, उसे एक साल तक रूसी सेना के साथ मिलकर लड़ना था. उसे बताया गया कि सेवा समाप्त होने के बाद वापस उसके देश यानी भारत भेज दिया जाएगा.

उसने कहा, ‘जब मैंने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया तो किसी ने कहा कि मुझे सेना में काम करने के बदले एक लाख रुबल (रूसी करेंसी) मिलेगी, किसी ने कहा 10 लाख तो किसी ने 15 लाख कहा. लेकिन मुझे उन्होंने कुछ नहीं दिया.’

उसी वीडियो में हुसैन बताता है कि उसे सिर्फ 16 दिन की बेसिक ट्रेनिंग दी गई और 1 अक्टूबर को युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया. हुसैन ने बताया कि मोर्चे पर जाने के बाद कमांडर से उसका विवाद हो गया और उसने आत्मसमर्पण का फैसला किया.

वो बताता है, ‘मैं करीब 2-3 किलोमीटर दूर यूक्रेनी ट्रेंच पोजीशन पर पहुंचा, मैंने बंदूक नीचे रख दी और कहा कि मैं लड़ना नहीं चाहता. मुझे मदद चाहिए. मैंने किसी को नहीं मारा, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया. मैं तो बस तीन दिन पहले ही यहां आया हूं. मैं युद्ध नहीं चाहता, मैं बस यहां से निकलना चाहता हूं.’

हुसैन ने आगे कहा, ‘मैंने यूक्रेनी सैनिकों से कहा कि मैं रूस वापस नहीं जाना चाहता चाहे तो आप यूक्रेन में मुझे जेल भेज दें. मैंने उनसे कहा कि अगर संभव है तो मुझे मेरे देश भारत भेज दिया जाए.’

यूक्रेनी सेना के मुताबिक, हुसैन ने डर और थकान के कारण यूक्रेनी सैनिकों के सामने सरेंडर कर दिया. 

कीव में भारतीय मिशन सक्रिय

नई दिल्ली में सूत्रों ने पुष्टि की है कि यूक्रेन की राजधानी कीव में मौजूद भारतीय अधिकारी इस रिपोर्ट की सत्यता की जांच कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम इस रिपोर्ट की सच्चाई की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं. इस संबंध में हमें अभी तक यूक्रेन की ओर से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है.’

इस साल की शुरुआत में ही सरकार ने भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में शामिल होने के खतरों को लेकर चेतावनी जारी की थी. जनवरी में विदेश मंत्रालय ने बताया था कि 126 भारतीयों को गुमराह कर रूस ले जाया गया, जिनमें से 96 सुरक्षित लौट आए, 12 की मौत हो गई, और 16 अब भी लापता हैं.

बताया जा रहा है कि रूस की तरफ से लड़ रहे भारतीयों को पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं दी जाती और उन्हें धोखे से फ्रंटलाइन पर तैनात कर दिया जाता है और वो भी बिना किसी गारंटी के.

पढ़ाई के लिए गया और रूसी सेना ने धोखे से युद्ध में भेज दिया

हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कई युवा भी पढ़ाई के सिलसिले में रूस पहुंचे लेकिन उन्हें जबरदस्ती युद्ध लड़वाया जा रहा है. 29 साल के संदीप कुमार हरियाणा, रोहतक के तैमुरपुर गांव के रहने वाले हैं. पढ़ाई के सिलसिले में वो रूस पहुंचे लेकिन उन्हें बिना किसी ट्रेनिंग युद्ध में लड़ने के लिए भेज दिया गया.

उनकी मां ने हाल ही में मीडिया से बात करते हुए कहा कि 23 सितंबर 2024 को उनका बेटा स्टडी वीजा पर रूस गया लेकिन उसे गैरकानूनी तरीके से रूसी आर्मी में भर्ती कर लिया गया.

संदीप की मां ने बताया कि उनके बेटे को युद्ध की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई और सीधे रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर लड़ने के लिए भेज दिया गया है जहां उनकी जान खतरे में है. वो कहती हैं, ‘उसका पासपोर्ट और फोन रख लिया गया है. मेरा बेटा तो वहां पढ़ने के लिए गया था, लड़ने के लिए नहीं.’

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कुछ समय पहले कहा था कि हाल ही में लगभग 27 भारतीय नागरिक रूसी सेना में भर्ती हुए हैं.

उन्होंने कहा था, ‘हाल ही में हमें जानकारी मिली है कि कुछ और भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया गया है. यह जानकारी हमें उनके परिवारों के जरिए मिली. हमने इस मामले को रूस में अपने मिशन और मॉस्को के अधिकारियों के साथ गंभीरता से उठाया है. हमने उनसे मांग की है कि हमारे नागरिकों को जल्द से जल्द वापस भेज दिया जाए. लगभग 27 भारतीय नागरिक इसमें शामिल हैं और हम उन्हें निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.’

रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 में युद्ध शुरू हुआ था जो अब तक जारी है. भारत इस युद्ध में तटस्थ रहा है और युद्ध के बजाए कूटनीति और बातचीत से मसले को सुलझाने की वकालत करता आया है. 

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