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फैटी लिवर और हाई BP…एक खतरनाक जोड़ी जो जानलेवा साबित हो सकती है! ऐसे बढ़ा रही मौत का जोखिम – non alcoholic fatty liver disease risk factors for patients tvism


Non-alcoholic fatty liver disease risk factors: फैटी लिवर आज के समय में काफी कॉमन बीमारी है. ये बीमारी 2 तरह की होती है एक अल्कोहॉलिक फैटी लिवर और दूसरी नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर. भारत में कई लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. हाल ही में अमेरिका के केक मेडिसन (USC) की एक नई स्टडी ने फैटी लिवर की बीमारी मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेलिक लिवर डिजीज (MASLD) पर बड़ा खुलासा किया है. रिसर्च में सामने आया है कि अगर किसी को यह बीमारी है तो उसके साथ मौजूद कुछ मेटाबॉलिक फैक्टर जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल आदि मौत के जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इनमें से सबसे खतरनाक फैक्टर शुगर नहीं, बल्कि ब्लड प्रेशर है.

क्या है MASLD?

MASLD बीमारी को पहले नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के नाम से जाना जाता था लेकिन इसे अब MASLD के रूप में जाना जाता है. इस स्थिति में लिवर में फैट जमा हो जाता है जो धीरे-धीरे सूजन और लिवर डैमेज का कारण बनता है. यह बीमारी अक्सर मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी दिक्कतों के साथ आती है. USC की रिसर्च कहती है, इन सबमें कुछ फैक्टर बाकी से कहीं ज्यादा जानलेवा साबित होते हैं.

पहला जोखिम: हाई ब्लड प्रेशर

रिसर्च का कहना है कि अब तक माना जाता था कि डायबिटीज MASLD के लिए सबसे बड़ा खतरा है लेकिन इस स्टडी के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर MASLD वाले लोगों में मौत का जोखिम करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. यानी कि कह सकते हैं कि यदि आपको फैटी लिवर है तो आपको ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखना काफी जरूरी हो जाता है.

कारण है कि हाई ब्लड प्रेशर ब्लड वेसिल्स को नुकसान पहुंचाता है, हार्ट पर दवाब बनाता है और लिवर तक पहुंचने वाले ब्लड का फ्लो बिगाड़ सकता है. यदि किसी का लिवर पहले से ही कमजोर है तो ये उसके लिवर के लिए ‘डबल अटैक’ की तरह हो सकता है.

दूसरा जोखिम: डायबिटीज या प्रीडायबिटीज

रिसर्च में बताया गया है कि यदि किसी को MASLD के साथ डायबिटीज या प्रीडायबिटीज भी है तो मौत का खतरा करीब 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इसका कारण है कि ब्लड शुगर का बढ़ना और इंसुलिन रेजिस्टेंस, लिवर समेत कई ऑर्गन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. यानी कह सकते हैं कि बढ़ता हुआ शुगर लेवल जोखिम साबित हो सकता है.

तीसरा जोखिम: HDL कोलेस्ट्रॉल

रिसर्च के मुताबिक, यदि किसी MASLD मरीज का गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) कम है तो उससे भी मौत का जोखिम 15 प्रतिशत अधिक हो सकता है. इसका कारण है कि अच्छा कोलेस्ट्रॉल शरीर से खराब फैट को बर्न करने और सूजन कम करने में मदद करता है. जब HDL घटता है तो शरीर की प्रोटेक्टिव शील्ड कमजोर पड़ जाती है और जोखिम बढ़ने लगता है.

मोटापा और अन्य फैक्टर्स

स्टडी के मुताबिक, यदि किसी को MASLD के साथ हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, लो गुड कोलेस्ट्रॉल और मोटापा चारों हैं तो उसका रिस्क किसी सिंगल फैक्टर वाले मरीज से कई गुना अधिक होता है. यानी कि कह सकते हैं कि हर नया फैक्टर मरीज के जोखिम को और अधिक बढ़ाता जाता है.

MASLD से बचने के तरीके?

डायबिटीज को कंट्रोल करें और इसके लिए कार्बोहाइड्रेट सेवन पर ध्यान दें, रोजाना एक्सरसाइज करें, ब्लड शुगर की निगरानी करें और यदि दवा की जरूरत हो तो डॉक्टर से संपर्क करें. अपने लिपिड प्रोफाइल में सुधार करें. विशेष रूप से एचडीएल. अपना हेल्दी वजन बनाए रखें. यदि आपको थोड़ा सा भी वजन अधिक है तो लिवर और मेटाबॉलिज्म पर एक्स्ट्रा दबाव पड़ सकता है. किसी भी संकेत को नजरअंदाज न करें. अपने डॉक्टर के साथ मिलकर एक रूटीन बनाएं जो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल और वजन कम रखने में मदद करें. इसके सात ही हेल्दी लाइफस्टाइल जिएं और कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें.

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