बरेली से शुरू हुआ ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पूरे उत्तर प्रदेश में नफरत की आग बन चुका है. धर्म के नाम पर भड़काई गई हिंसा ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था को झकझोर दिया, बल्कि सूबे की सियासत को भी सुलगने पर मजबूर कर दिया है. बात अब सिर्फ बैनर तक नहीं रही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धमकी तक पहुंच गई है.
पिछले महीने 26 सितंबर को बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ के नाम पर भीड़ ने हिंसा भड़काई. सड़कों पर पत्थरबाजी हुई, दुकानें लूटी गईं और पुलिस पर हमले हुए. इस हिंसा को भड़काने के पीछे नाम आया मौलाना तौकीर रजा का, जिन पर आरोप है कि उन्होंने न केवल भीड़ को उकसाया बल्कि खुले मंच से सरकार, पुलिस और प्रशासन के खिलाफ आग उगली. लोगों को भड़काया.
अगले ही दिन 27 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में चेतावनी दी, ”जिन्हें शांति पसंद नहीं, उनकी गर्मी ठंडी करनी पड़ेगी. जरूरत पड़े तो डेंटिंग-पेंटिंग से.” लेकिन इस चेतावनी के बाद माहौल और गरमा गया. सीतापुर के एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़के ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर न सिर्फ सीएम योगी बल्कि पीएम मोदी को भी धमकी दी.

इस वीडियो में लड़के ने अपशब्द कहे और भड़काऊ बातें कह डालीं. वीडियो वायरल होते ही पुलिस हरकत में आई, केस दर्ज हुआ और आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया. धमकियों का यह सिलसिला सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रहा. महाराष्ट्र के बीड़ जिले में मौलाना अशफाक निसार शेख ने मस्जिद के सामने खुलेआम योगी आदित्यनाथ को ललकार दिया. उसने तो दफन करने की धमकी दे डाली.
उनका कहना था, “तेरे में यदि हिम्मत है तो मजलगांव में आई लव मोहम्मद बैनर लगाने वालों को गिरफ्तार कर. अगर तू आया तो यहीं दफना देंगे.” यह बयान न सिर्फ भड़काऊ था, बल्कि खुली धमकी भी थी. इस पर महाराष्ट्र पुलिस को जांच के आदेश दिए गए, जबकि यूपी पुलिस भी अलर्ट पर रही. उधर बागपत में एक शख्स ने सीएम योगी की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर डाली.
उसने तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी लिखी और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. जैसे ही मामला पुलिस के संज्ञान में आया, तुरंत कार्रवाई हुई. आईटी एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया गया. पुलिस ने इसके साथ ही एडवाइजरी जारी करते हुए साफ कहा कि किसी भी धर्म या नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

बरेली में भड़की हिंसा के बाद योगी सरकार ने ताबड़तोड़ एक्शन शुरू किया. हिंसा में शामिल आरोपियों पर ऑपरेशन लंगड़ा चलाया गया. उपद्रवियों की संपत्तियां जब्त की गईं. बुलडोज़र ने कई इमारतों को मलबे में बदल दिया. सबसे बड़ी कार्रवाई मौलाना तौकीर रजा के करीबियों पर हुई. बरेली विकास प्राधिकरण ने वाजिद बेग के स्वामित्व वाले मैरिज हॉल को सील कर दिया.
इस मामले में कमिश्नर भूपेंद्र एस चौधरी ने कहा, ”अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी. कोई भी कितना प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं.” मौलाना तौकीर रजा अब 2019 के एक पुराने केस में भी फंसते नजर आ रहे हैं. सीएए-एनआरसी विरोध के दौरान बरेली में हुए उपद्रव को लेकर जो मुकदमा दर्ज हुआ था, उसमें चार्जशीट वर्षों से लंबित थी.
बरेली पुलिस के मौजूदा विवेचक ने फाइल दोबारा खोली है और तौकीर रजा की रिमांड की अर्जी कोर्ट में लगाई गई है. एसएसपी बरेली अनुराग आर्या ने कहा, ” साल 2019 का मुकदमा फिर से खोला गया है. विवेचना जारी है और अभियुक्त की रिमांड के लिए आवेदन किया गया है.” इतना ही नहीं, मौलाना के रिश्तेदारों पर 1.12 करोड़ रुपए की बिजली चोरी का भी मामला सामने आया है.

बिजली विभाग के अनुसार, अवैध कनेक्शन से 77 किलोवाट लोड लेकर 93 ई-रिक्शा चार्ज किए जा रहे थे. चीफ इंजीनियर ज्ञान प्रकाश ने बताया, ”हमने 77 किलोवाट की चोरी पकड़ी है. इस पर 1 करोड़ 12 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है.” जब सरकार एक्शन मोड में है, तो विपक्षी दल इसे लोकतांत्रिक आवाज दबाने की कोशिश बता रहे हैं. इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल बरेली जाने निकला तो लखनऊ कार्यालय के गेट पर ही रोक दिया गया. कई नेताओं को हाउस अरेस्ट किया गया. आप नेता संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”न कोई आदेश है, न कोई कानून. योगीराज में पुलिस की मनमानी चल रही है. बरेली के पीड़ितों से मिलने तक की इजाजत नहीं. लेकिन नफरत फैलाने वालों को खुली छूट है.”
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