यूपी के गाजियाबाद पुलिस लाइन में तैनात दो कांस्टेबलों को निलंबित कर जेल भेज दिया गया है. दोनों पर फर्जी आदेश जारी कर डासना जेल से दो कैदियों को छुड़ाने की कोशिश का आरोप है. जेल प्रशासन की शिकायत पर जांच हुई तो उनकी पोल खुली. इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने एक्शन लिया.
गाजियाबाद पुलिस लाइन के प्रभारी रिजर्व इंस्पेक्टर चंद्रभान सिंह ने मामले में उनकी कथित भूमिका सामने आने के बाद आरोपी कांस्टेबलों- मुजफ्फरनगर के 2015 बैच के कांस्टेबल राहुल (31) और बुलंदशहर जिले के 2016 बैच के कांस्टेबल सचिन (28) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सहायक पुलिस आयुक्त (कविनगर) सूर्यबली मौर्य ने कहा कि दोनों ने फर्जी आदेश जारी कर जेल से दो कैदियों बिजेंद्र और वंश को छुड़ाने की कोशिश की. दोनों कैदी जालसाजी, जबरन वसूली, डकैती और हत्या के प्रयास के मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे थे.
जांच में पता चली ये बात
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कांस्टेबलों के पास कैदियों के ट्रांसफर के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं था. वे शनिवार को एक निजी वाहन से डासना जेल पहुंचे और दोनों कैदियों की हिरासत की मांग की. उनके पास गौतमबुद्ध नगर अदालत के आदेश की एक प्रति थी, जिसमें उस दिन पेश किए जाने वाले छह कैदियों का ज़िक्र था.
हालांकि, आरोपी कांस्टेबल केवल दो कैदियों को ले जाने पर अड़े रहे, जिससे जेल अधिकारियों का संदेह बढ़ गया. गाजियाबाद पुलिस लाइन से सत्यापन करने पर पता चला कि उस दिन किसी कैदी की पेशी निर्धारित नहीं थी और किसी भी पुलिसकर्मी को आधिकारिक तौर पर डासना जेल नहीं भेजा गया था.
एसीपी ने बताया कि बाद में कविनगर पुलिस ने कांस्टेबलों को गिरफ्तार कर लिया और उन पर बीएनएस की धारा 260 (किसी लोक सेवक द्वारा गिरफ्तार किए जाने के लिए बाध्य व्यक्ति को जानबूझकर गिरफ्तार न करना) और 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया.
सूर्यबली मौर्य ने आगे बताया कि यह पता लगाने के लिए एक विभागीय जांच भी शुरू की गई है कि कांस्टेबलों ने जाली आदेश कैसे प्राप्त किए और क्या उन्होंने कैदियों को भागने में मदद करने के लिए उनसे पैसे लिए थे.
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