पर्यावरण कार्यकर्ता और इंजीनियर सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। शीर्ष अदालत 6 अक्तूबर को उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो द्वारा दायर याचिका पर विचार करेगी। उन्होंने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिए जाने के फैसले को चुनौती दी है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट की 6 अक्तूबर की कॉज लिस्ट के अनुसार, यह मामला जस्टिस अरविंद कुमार और एन.वी. अंजारिया की पीठ के सामने आएगा।
26 सितंबर से हिरासत में
बता दें कि सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को हिरासत में लिया गया था। इससे दो दिन पहले ही लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में 4 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 90 लोग घायल हुए थे। इसी के बाद उन पर सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया गया। हालांकि वांगचुक वर्तमान में राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद हैं।
गीतांजलि आंगमो ने दो अक्तूबर को शीर्ष अदालत में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपनी याचिका दायर की है। आंगमो ने सोनम वांगचुक के खिलाफ एनएसए कानून के तहत कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद लेह में भड़की हिंसा के कुछ दिनों बाद सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया गया था।
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आंगमो ने वकील सर्वम रीतम खरे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है और उनकी तत्काल रिहाई का अनुरोध किया है। याचिका में वांगचुक पर रासुका लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाए गए हैं। आंगमो ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की प्रति नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनका अभी तक वांगचुक से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।
गीतांजलि ने साजिश के लगाए थे आरोप
इससे पहले गीतांजलि जे. आंगमो ने लद्दाख के पुलिस महानिदेशक के बयानों को झूठा और गढ़ी गई कहानी बताते हुए कहा था कि यह एक सोची-समझी साजिश है, जिसके जरिए किसी को फंसाकर मनमर्जी करने की कोशिश हो रही है। गीतांजलि ने कहा था, ‘हम डीजीपी के बयान की कड़ी निंदा करते हैं। सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि पूरा लद्दाख इन आरोपों को खारिज करता है। ये एक बनावटी कहानी है, ताकि किसी को बलि का बकरा बनाया जा सके और वे जो चाहें वो कर सकें।’
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उन्होंने सवाल उठाया था कि सीआरपीएफ को गोली चलाने का आदेश किसने दिया? अपने ही नागरिकों पर गोली कौन चलाता है? खासकर वहां, जहां कभी हिंसक प्रदर्शन नहीं हुए। गीतांजलि का कहना था कि सोनम वांगचुक का इस पूरी घटना से कोई लेना-देना नहीं था। वे तो उस समय किसी और जगह शांतिपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे वहां मौजूद ही नहीं थे, तो वे किसी को कैसे उकसा सकते हैं?
लेह में अचानक ये हिंसा क्यों भड़की?
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन किया गया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया। इसमें जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। वहीं, लद्दाख को बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। इस बदलाव के तहत जम्मू कश्मीर में पिछले साल नई विधानसभा का भी गठन हो गया। वहीं, दूसरी ओर राज्य पुनर्गठन के साथ ही लद्दाख में इस केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने और इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठने लगी। इसे लेकर अलग-अलग समय पर प्रदर्शन हुए। इन्हीं मांगो को लेकर चल रहे ताजा प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी।