पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने अरब सागर पर एक नया बंदरगाह (पोर्ट) बनाने और चलाने की पेशकश की है. ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स (FT) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के सलाहकारों ने यह प्रस्ताव अमेरिकी अधिकारियों को दिया है.
प्रस्ताव के तहत अमेरिकी निवेशक बलूचिस्तान प्रांत के पासनी शहर में एक पोर्ट टर्मिनल बनाएंगे और उसे संचालित करेंगे, ताकि पाकिस्तान के क्रिटिकल मिनरल्स (महत्वपूर्ण खनिजों) तक पहुंच आसान हो सके.
रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना मुनीर को सितंबर के अंत में वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात से पहले दिखाई गई थी. इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल थे. उन्होंने अमेरिका से कृषि, प्रौद्योगिकी, खनन और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश की मांग की थी.
सैन्य गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं करने का प्रस्ताव
अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य किसी भी सैन्य गतिविधि के लिए बंदरगाह का उपयोग नहीं करना है, बल्कि यह एक आर्थिक विकास परियोजना के रूप में पेश किया गया है, जिसमें बंदरगाह से पाकिस्तान के पश्चिमी खनिज-समृद्ध इलाकों तक रेल नेटवर्क विकसित करने की योजना शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी अधिकारियों के साथ प्रारंभिक बातचीत के दौरान पाकिस्तान की ओर से निवेशकों को आकर्षित करने और दीर्घकालिक साझेदारी की बात की गई. इस प्रस्ताव को पाकिस्तान की आर्थिक कूटनीति की नई दिशा के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत ग्वादर पोर्ट पर दबदबा बना हुआ है.
रिपोर्ट पर नहीं आया कोई आधिकारिक बयान
हालांकि अभी तक इस रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. रॉयटर्स ने कहा है कि वह स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं कर सका. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय, व्हाइट हाउस और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पाकिस्तानी सेना से भी तत्काल संपर्क नहीं हो सका.
अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने का प्रयास?
यह प्रस्ताव पाकिस्तान की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसके तहत वह अमेरिका के साथ आर्थिक और निवेश संबंधों को पुनर्जीवित करना चाहता है. विश्लेषकों का मानना है कि बलूचिस्तान में अमेरिकी निवेश की संभावना, चीन के प्रभाव को संतुलित करने और वाशिंगटन के साथ संबंध सुधारने की दिशा में पाकिस्तान की एक बड़ी पहल साबित हो सकती है.
बता दें कि चीन पाकिस्तानी के बलूचिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है और वे इसे अपने संसाधनों पर कब्जा मानते हैं, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं. यह ओमान के सामने अरब सागर के तट पर स्थित एक बंदरगाह है. यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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