0

पीओके में बेनकाब हुआ पाकिस्तान का चेहरा, भारत के लिए क्या हैं संभावनाएं? – PoK unrest against Pakistan atrocities what will India do opns2


पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन चल रहा है. हालांकि खबर आ रही है कि पाक सरकार ने आंदोलनकारियों की मांगे मान ली हैं पर ऐसे आंदोलन कभी खत्म नहीं होते हैं. यह धीरे धीरे ऐसा विकराल रूप ले रहा है जो लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है. अवामी एक्शन कमिटी (AAC) के नेतृत्व में सितंबर 2025 से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन आर्थिक शोषण, बुनियादी अधिकारों की अनदेखी और पाकिस्तानी सेना की क्रूरता के खिलाफ है. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, दुकानें बंद हैं, चक्का-जाम हड़ताल हो रही है, और मुजफ्फराबाद, कोटली, बाघ जैसे जिलों में हिंसा भड़क चुकी है, जिसमें कम से कम 12 नागरिक मारे गए और 200 से अधिक घायल हुए हैं.  

पाकिस्तानी सेना ने पंजाब से यहां हजारों सैनिक तैनात किए हैं. इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद कर दीं गई हैं, और गोलीबारी की, लेकिन प्रदर्शनकारी ‘लॉन्ग मार्च’ जारी रखे हुए हैं. यह आंदोलन पाकिस्तान की ‘आजाद कश्मीर’ की जबरन बनाई छवि को चूर-चूर कर रहा है, और भारत के लिए PoK को वापस लेने, आतंकवाद पर लगाम लगाने, और क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करने की संभावनाएं खोल रहा है. हालांकि, ये अवसर जोखिम से भरे हो सकते हैं, जैसे पाकिस्तान का और आक्रामक होना या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप आदि पर नामुमकिन भी नहीं है.

PoK में यह विद्रोह अचानक नहीं उभरा; यह दशकों की असंतोष की परिणति है. 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने PoK पर कब्जा किया, लेकिन स्थानीय लोगों को कभी वास्तविक स्वायत्तता नहीं दी. AAC ने 38 मांगें रखीं, जिनमें मुख्य हैं पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करना, जो स्थानीय प्रतिनिधित्व को कमजोर करता है; जलविद्युत परियोजनाओं (जैसे मंगला डैम और नीलम-झेलम) से उत्पन्न बिजली का लाभ PoK को मिलना, क्योंकि 60% बिजली पंजाब को चली जाती है; आटा और बिजली पर सब्सिडी; और सेना का हस्तक्षेप समाप्त करना.  

 प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं, कश्मीर हमारा है, हम इसका फैसला करेंगे. पाक सेना और रेंजर्स हर संभव प्रयास इस आंदोलन को दबाने के लिए कर रहे हैं. पीओके में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इंटरनेट ब्लैकआउट कर दिया गया है.  X पर तमाम ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं,जो वहां की खराब स्थिति को बयां कर रहे हैं. नागरिक सैनिकों पर हमला कर रहे हैं और कंटेनर हटा रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है.पर क्या यह भारत के लिए इतना आसान है?

कश्मीर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने का मौका 

यह आंदोलन भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता को चुनौती देने का अवसर देता है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में PoK के मुद्दे उठाए जा सकते हैं, जहां यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) ने पाकिस्तान की दमनकारी कार्रवाई की निंदा की और वैश्विक हस्तक्षेप की मांग की है.  

भारत PoK में पाकिस्तानी अत्याचारों को हाइलाइट कर सकता है, जैसा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UNGA में पाकिस्तान को ‘वैश्विक आतंकवाद का केंद्र’ बताया था.हालांकि पाकिस्तान भारत को दोष दे रहा है, लेकिन वीडियो और स्थानीय बयान इसकी पोल खोल रहे हैं.   भारत कूटनीतिक रूप से PoK के लोगों के अधिकारों का समर्थन कर सकता है, जो पाकिस्तान की ‘आजाद कश्मीर’ की झूठे प्रचार को कमजोर करेगा. X पर तमाम ऐसे पोस्ट दिखते हैं कि PoK युवा पाकिस्तानी सेना के प्रॉक्सी युद्ध के खिलाफ हैं, जो भारत के आतंकवाद विरोधी नैरेटिव को मजबूत करता है .

यदि भारत UN, यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे सहयोगियों के साथ PoK को मानवाधिकार मुद्दा बनाता है, तो पाकिस्तान पर GSP (यूरोपीय संघ का एक व्यापारिक कार्यक्रम है, जो विकासशील देशों को कम या शून्य शुल्क पर EU बाजारों में निर्यात की सुविधा देता है. यह मानवाधिकार, श्रम, पर्यावरण और सुशासन के मानकों के पालन पर आधारित है. पाकिस्तान को इसका लाभ मिलता है) जैसे कई अन्य संगठनों के व्यापार लाभों पर दबाव बढ़ सकता है.  इससे भारत की वैश्विक छवि मजबूत होगी और कश्मीर पर पाकिस्तानी दावों को कमजोर करेगा. इसके अलावा, आंदोलन PoK में आतंकवादी भर्ती को प्रभावित कर सकता है.

सैन्य और सुरक्षा संबंधी संभावनाएं

सैन्य दृष्टि से, PoK में अस्थिरता पाकिस्तानी सेना को कमजोर कर रही है, जो भारत के लिए LoC पर दबाव कम करने का मौका है. पाकिस्तान ने पंजाब से सैनिक भेजे, लेकिन यदि विद्रोह फैलता है, तो सेना का ध्यान आंतरिक दमन पर केंद्रित हो जाएगा. 

 भारत सर्जिकल स्ट्राइक या ऑपरेशन सिंदूर जैसे कदमों से आतंकी ठिकानों को निशाना बना सकता है, जैसा कि 2025 में पहलगाम हमले के बाद हुआ. PoK में संसाधनों (जल, खनिज) का शोषण बंद होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, जो भारत को सिन्धु जल संधि पर मजबूत स्थिति देगा. 

 हालांकि, यदि पाकिस्तान दमन बढ़ाता है, तो शरणार्थी भारत की ओर आ सकते हैं, जो मानवीय संकट पैदा करेगा लेकिन भारत के लिए बांग्लादेश जैसी कार्रवाई करने का मौका भी दे सकता है. भारत को अपनी सेना को सतर्क रखना चाहिए, क्योंकि LoC पर गोलीबारी बढ़ सकती है.

आर्थिक और सामरिक लाभ

PoK भारत के लिए जल संसाधनों का खजाना है. मंगला डैम जैसी परियोजनाएं पाकिस्तान को लाभ पहुंचाती हैं, लेकिन आंदोलन से ये प्रभावित हो सकती हैं. CPEC (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) पर असर पड़ेगा, जो भारत के लिए सामरिक लाभ है, क्योंकि यह ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से चीन को गल्फ तक पहुंच देता है.   यदि PoK में विद्रोह बालोचिस्तान से जुड़ता है, तो पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा कमजोर होगी. 

 भारत को मानवीय सहायता प्रदान कर PoK लोगों को आकर्षित करना चाहिए, लेकिन सैन्य कार्रवाई से बचना चाहिए जब तक आवश्यक न हो.

—- समाप्त —-