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जिनके सिर पर थे 3 सिंग और… वो डायनासोर, जो सबसे आखिरी में विलुप्त हुए! – last species of dinosaurs to go extinct was a contemporary of t rex


6.6 करोड़ साल पहले एक एस्टेरॉयड के धरती से टकराने के बाद डायनासोर की सभी प्रजातियां खत्म हो गईं. इस घटना को के.टी. मास एक्सटिंक्शन कहा जाता है. एस्टेरॉयड की टक्कर और उसके बाद ज्वालामुखी फटने से धरती पर रहने वाली (non-avian) डायनासोर की करीब 700 प्रजातियां विलुप्त हो गई. लेकिन क्या आपको पता है कि विलुप्त होने वाली आखिरी प्रजाति कौन-सी है?

सबसे आखिर में विलुप्त हुई थीं डायनासोर की दो प्रजातियां

पेड़-पौधों और जानवरों के फॉसिल का अध्ययन करने वाले पेलियनटॉलोजिस्ट्स के अनुसार डायनासोर की दो प्रजातियां- चेनानीसॉरस बार्बेरिकस और ट्राईसेराटॉप्स सबसे आखिर में विलुप्त हुई थीं. 

साल 2010 में पेलियनटॉलोजिस्ट्स की एक टीम ने 6.6 करोड़ साल पहले मारे गए डायनासोर का सबसे युवा फॉसिल खोजा था. येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को अमेरिका के मोंटाना शहर के हेल क्रीक फॉर्मेशन में के-टी बाउंड्री से केवल 5 इंच नीचे, एक ट्राईसेराटॉप प्रजाति के सेराटॉप्सियन डायनासोर का 1.5 फुट लंबा सींग मिला.

क्या है के-टी बाउंड्री?

के-टी बाउंड्री धरती पर मौजूद एक जियोलॉजिकल (भूवैज्ञानिक) लेयर है, जो मीसोजोइक पीरियड और डायनासोर से संबंधित क्रिटेशियस पीरियड जैसी प्रीहिस्टॉरिक ऐरा के अंत और इंसानों की प्रजातियों वाले पैलियोजीन पीरियड की शुरुआत का संकेत है. इस 6.6 करोड़ साल पुरानी लेयर को डायनासोर की विलुप्ति से जोड़ा जाता है.

जिन डायनासोर के अवशेष लेयर के सबसे नीचे मिले, उन्हें सबसे पुरानी प्रजाति माना जाता है, और जिनके अवशेष ऊपर की ओर मिले, वो मरने वाली सबसे आखिरी प्रजातियों में से एक हैं.

कौन थे ट्राईसेराटॉप्स?

ट्राईसेराटॉप्स चेहरे पर तीन सींगों वाली शाकाहारी डायनासोर की एक प्रजाति थी. इन सींगों का इस्तेमाल वो बाकी डायनासोर्स से लड़ने के लिए करते थे. नाक वाला सींग उसी केराटिन नामक प्रोटीन से बना था जिनसे हमारे नाखून और गेंड़े के सींग बनते हैं. वहीं गर्दन पर डिस्क के आकार की हड्डियां शिकारी डायनासोर से सुरक्षा के लिए थीं.

समझा बाइसन, निकले डायनासोर के फॉसिल

जब साल 1887 में इनका पहला फॉसिल खोजा गया, तब सबने इसे बाइसन की एक प्रजाति समझा. बाद में अमेरिकी पेलियनटॉलोजिस्ट ओ.सी. मार्श ने इसे ट्राईसेराटॉप का नाम दिया. ये विकसित होने वाले आखिरी गैर-उड़ने वाले डायनासोरों में से एक थे जो लेट क्रिटेशियस पीरियड (लगभग 14.55 करोड़ से 6.5 करोड़ साल पहले तक) का हिस्सा थे.

ट्राइसेराटॉप्स की लंबाई नौ मीटर और वजन छह से आठ टन तक होता था. इसका सिर बहुत बड़ा था. कुछ की खोपड़ियाँ तीन मीटर तक लंबी पाई गई हैं. इनके पास आजकल के पक्षियों की तरह चोंच भी हुआ करती थी, और सैकड़ों दांत भी, जिनसे ये पेड़-पौधों को आसानी से चबा पाते थे.

टी-रेक्स के समकालीन थे अफ्रीकी चेनानीसॉरस

इसके अलावा साल 2017 में अफ्रीका के मोरक्को की फॉस्फेट खदान में चेनानीसॉरस बार्बेरिकस प्रजाति के डायनासोर के अवशेष मिले थे. वैज्ञानिक मानते हैं कि एस्टेरॉयड के हमले में मारे जाने से पहले बार्बेरिकस पृथ्वी पर बची हुई डायनासोर की आखिरी प्रजातियों में से एक थी. यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ में हुए इस शोध से पता चला कि क्रिटेशियस पीरियड के दौरान गोंडवाना सुपरकॉन्टिनेंट टूटकर अलग होने के बाद अफ्रीका में डायनासोर की कई प्रजातियां विकसित हुईं. इन्हें उत्तर-अमेरिकी टी-रेक्स का छोटा समकालीन माना जाता है.

शरीर के मुकाबले बहुत छोटे हाथ

इनके जबड़े की हड्डी मोरक्को के सिदी, चेनानी से बरामद हुई थी, इसलिए इनका नाम चेनानीसॉरस बार्बेरिकस रखा गया. यह एबेलिसोर नामक एक मांसाहारी डायनासोर की प्रजाति का हिस्सा हैं. दो पैरों पर चलने वाले एबेलिसोर की थूथन छोटी, नुकीली और हाथ शरीर के मुकाबले काफी छोटे होते थे. ये अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, भारत और यूरोप में पाए जाते थे. इनकी नई प्रजाति चेनानीसॉरस धरती पर मौजूद आखिरी डायनासोरों में से एक थी.

हालांकि टी-रेक्स के पंखों की जगह चेनानीसॉरस के शरीर पर केवल स्केल्स थे, इनका दिमाग और चेहरा भी छोटा था. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अफ्रीका में क्रेटेशियस पीरीयड के अंत में पाए जाने वाले पहले डायनासोर भी हो सकते हैं. अपने जीवनकाल के 10 करोड़ सालों में इनकी कई प्रजातियां विकसित हुईं.

समुद्र के तट तक कैसे पहुंचे डायनासोर?

डायनासोर के ज्यादातर अवशेष समुद्र के तट या तल पर, या चट्टानों के बीचों-बीच मिलते हैं. इसे लेकर वैज्ञानिकों के मन में कई संभावनाएं हैं. वो मानते हैं कि शायद आज के हिरण और हाथियों की तरह डायनासोर खाने की तलाश में द्वीपों तक तैरकर गए हों, और पानी में डूब गए हों. यह भी हो सकता है कि उन्हें बाढ़ या तूफान अपने साथ बहाकर वहां ले गए हों.

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