भारत और वेस्टइंडीज के बीच शुरू हुई टेस्ट सीरीज को लेकर न खिलाड़ियों में जोश दिख रहा है और न ही दर्शकों में कोई खास उत्साह. अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मुकाबला भले ही दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट एरीना में खेला जा रहा हो, लेकिन स्टैंड्स की खाली कुर्सियां इस बात की गवाही दे रही हैं कि इस सीरीज में लोगों की दिलचस्पी लगभग नगण्य है.
वेस्टइंडीज क्रिकेट की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में छोटे प्रारूप में नेपाल जैसी टीम ने उन्हें मात दी. दरअसल, सितंबर के आखिर में शारजाह में खेली गई तीन (27, 29, 30 सितंबर) टी20 मैचों की सीरीज नेपाल ने 2-1 से जीत ली. उस सीरीज में वेस्टइंडीज के बैनर तले जेसन होल्डर, काइल मेयर्स, अकील हुसैन, फेबियन एलेन जैसे बड़े खिलाड़ी उतरे थे… फिर भी नेपाल के सामने उनकी टीम उखड़ गई.
कभी क्रिकेट की दुनिया में वेस्टइंडीज को ‘पावरहाउस’ के रूप में देखा जाता था. इसने न केवल विपक्षी टीमों को डराया, बल्कि क्रिकेट का ‘बेताज बादशाह’ बनकर अपनी धाक जमाई. लेकिन आज यह वही टीम ऐसी स्थिति में पहुंच चुकी है कि उसकी पुरानी शान केवल यादों में रह गई है.
मौजूदा प्रदर्शन और नतीजों ने उम्मीदों को तोड़ दिया है. उनके खेल पर अब तालियां बजाने की बजाय केवल अफसोस जताया जाता है. जिस ताकत और आत्मविश्वास के लिए वेस्टइंडीज को जाना जाता था, वह अब कहीं खो-सा गया है. फैन्स तथा विशेषज्ञ अब केवल यह सोचते हैं कि इस महान टीम को फिर से वह ऊंचाई कैसे लौटाई जा सकती है.
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‘थ्री डब्ल्यू’ (Three Ws’) के नाम से विख्यात सर क्लाइव वाल्कॉट, सर फ्रैंक वॉरेल और एवर्टन वीक्स की तिकड़ी ने पचास के दशक में वेस्टइंडीज के लिए विश्व क्रिकेट का सबसे मजबूत बल्लेबाजी क्रम तैयार किया था. आज यह तिकड़ी इस दुनिया में नहीं है… लेकिन ये दिग्गज जिंदा होते तो कैरेबियाई क्रिकेट के बुरे हालात को देखकर जरूर आंसू बहा रहे होते.
सोबर्स से लेकर लारा तक…
गैरी सोबर्स, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, ब्रायन लारा, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, मैल्कम मार्शल… इन महान खिलाड़ियों ने वेस्टइंडीज क्रिकेट को अपने चरम पर पहुंचाया. उस दौर में उनके खिलाफ खेलना आसान नहीं था. हर मुकाबला चुनौती और रोमांच से भरा होता था… लेकिन आज वही टीम, जो कभी क्रिकेट की दुनिया में दहाड़ती थी, अब टेस्ट क्रिकेट में पिछलग्गू बनकर रह गई है.
आखिर जिम्मेदार कौन?
इस पतन का सबसे बड़ा जिम्मेदार वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (CWI) को माना जाता है. बोर्ड में अंदरूनी राजनीति, खिलाड़ियों के साथ तनावपूर्ण संबंध, अनुशासनहीनता और व्यवस्थागत कमजोरियां टीम के धीरे-धीरे गिरने का मुख्य कारण बनी हैं. परिणाम यह हुआ कि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के बावजूद वेस्टइंडीज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पकड़ बनाए रखने में असफल रही.
वेस्टइंडीज के कई खिलाड़ी अब देश की बजाय टी20 लीगों को तरजीह दे रहे हैं. IPL, CPL और दूसरी विदेशी लीगों से उन्हें ज्यादा पैसा और स्थिरता मिल रही है. इसी वजह से वे राष्ट्रीय टीम के लिए कम उपलब्ध रहते हैं और मजबूत टीम बनाना मुश्किल हो गया है.
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भारत के खिलाफ उम्मीद कम
मौजूदा टेस्ट सीरीज में वेस्टइंडीज के लिए हालात बदलने की संभावना बेहद कम दिख रही है. एशिया कप जीतकर आई भारतीय टीम मजबूत मनोबल और भरोसे के साथ मैदान में उतरी है. साथ ही, घर की हरी-भरी पिचों पर भारतीय टीम को कोई बड़ी चुनौती देने की क्षमता वेस्टइंडीज के पास नहीं है. ऐसे में विशेषज्ञों और फैन्स की राय है कि सीरीज का नतीजा पहले से लगभग तय माना जा सकता है.
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