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Dussehra 2025: आज शाम इतने बजे शुरू होगा रावण दहन का मुहूर्त, नोट कर लें सही टाइमिंग – dussehra 2025 vijayadashmi shubh muhurat and ravan dahan muhurat tvisg


Dussehra 2025: दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर, आज मनाया जा रहा है. पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी और इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के दुष्ट राक्षस का विनाश किया था.

भारत के हर राज्य में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. जैसे उत्तर भारत में रावण दहन होता है, जिसमें रावण के पुतले जलाए जाते हैं. वहीं बंगाल, असम और ओडिशा में मां दुर्गा की पूजा और विसर्जन किया जाता है. दक्षिण भारत में इसे आयुध पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग अपने हथियार, साधन, गाड़ियां और कंप्यूटर, मोबाइल जैसे उपकरणों की पूजा करते हैं. चलिए जानते हैं रावण दहन का मुहूर्त-

दशहरा तिथि और मुहूर्त (Dussehra 2025 Tithi and Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की दशमी तिथि 1 अक्टूबर यानी कल शाम 7 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 2 अक्टूबर यानी आज शाम 7 बजकर 10 मिनट पर होगा. 

रावण दहन का मुहूर्त (Dussehra Ravan Dahan 2025 Shubh Muhurat)

दशहरा या कहें विजयादशमी के दिन रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है. पंडित अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, रावण दहन आज शाम 6 बजे से लेकर 7 बजकर 10 मिनट तक करना उचित होगा. 

दशहरे पर किसकी होगी पूजा?

दशहरे के दिन महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करें. इससे संपूर्ण बाधाओं का नाश होगा, जीवन में विजय की प्राप्ति होगी. इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने से उस अस्त्र-शस्त्र से नुकसान नहीं होता है. इसके अलावा, नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए इस दिन मां की पूजा की जाती है.

कैसे मनाएं दशहरा? (Dussehra 2025 Pujan Vidhi)

इस दिन सबसे पहले देवी और फिर भगवान राम की पूजा करें. पूजा के बाद देवी और प्रभु राम के मंत्रों का जाप करें. अगर कलश की स्थापना की है तो नारियल हटा लें. उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. कलश का जल पूरे घर में छिड़कें. ताकि घर की नकारात्मकता समाप्त हो जाए. जिस जगह आपने नवरात्र में पूजा की है, उस स्थान पर रात भर दीपक जलाएं. अगर आप शस्त्र पूजा करना चाहते हैं तो उस पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधें.

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