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Dussehra 2025: दशहरा के दिन क्यों किया जाता है शमी के पेड़ का पूजन? जानें क्या है महत्व – dussehra 2025 shami tree pujan vidhi and significance on vijayadashmi tvisg


Dussehra 2025: आज पूरे देश में दशहरा मनाया जा रहा है. नवरात्र की पूर्णता के साथ ही विजयादशमी का पर्व पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार हमें यह संदेश देता है कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, अंत में प्रकाश की ही जीत होती है. रामायण की कथा से जुड़ा यह दिन श्रीराम द्वारा लंकापति रावण के वध की याद दिलाता है. इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन पूरे देश में रावण दहन होता है और लोग यह संकल्प लेते हैं कि वे अपने भीतर की नकारात्मकताओं को खत्म करके सच्चाई और सदाचार के मार्ग पर चलेंगे.

विजयादशमी पर केवल रावण दहन ही नहीं, बल्कि कई विशेष धार्मिक परंपराएं भी निभाई जाती हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में शस्त्र पूजन, शमी वृक्ष की पूजा और कुछ जगहों पर अश्व पूजन भी किया जाता है. खासकर शमी वृक्ष की पूजा का महत्व शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि विजयादशमी पर शमी पूजा करने से शत्रु बाधा समाप्त होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और विजय प्राप्ति का मार्ग खुलता है.

दशहरा के दिन कैसे करें शमी वृक्ष का पूजन?

सबसे पहले शमी वृक्ष के पास जाकर प्रणाम करें.

वृक्ष की जड़ में गंगाजल, नर्मदा जल या शुद्ध जल अर्पित करें.

इसके बाद शमी वृक्ष के सामने दीपक जलाएं.

फिर, वृक्ष के नीचे कोई प्रतीकात्मक शस्त्र रखें और धूप, दीप, नैवेद्य, आरती से पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा करें. पूजा के बाद हाथ जोड़कर यह प्रार्थना करें.

दशहरा पर करें शमी के वृक्ष से जुड़े उपाय

ग्रह दोष- शमी के पेड़ की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं. इसकी पूजा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी उपासना का फल देते हैं.

तिजोरी में रखें शमी के पत्ते- दशहरे के पर्व पर शमी के पेड़ को पूजना बहुत ही लाभकारी माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन शमी को पूजने के बाद उसकी पत्तियां तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर रख देना चाहिए.

प्रदोष काल में शमी पूजन का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, विजयादशमी पर शमी पूजन का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल माना गया है. प्रदोष काल वह अवधि होती है जब सूर्यास्त से लगभग एक घंटा पहले से लेकर सूर्यास्त के बाद एक घंटे तक का समय होता है. कहा जाता है कि इस विशेष समय में शमी वृक्ष की पूजा करने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

शमी की पत्तियां क्यों मानी जाती हैं शुभ?

पूजा संपन्न होने के बाद यदि शमी वृक्ष के नीचे खुद से गिरी हुई पत्तियां दिखें तो उन्हें आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए. ध्यान रहे कि वृक्ष से पत्तियां तोड़नी नहीं हैं, केवल गिरी हुई पत्तियां ही उठानी हैं. इन पत्तियों को लाल वस्त्र में बांधकर हमेशा अपने पास रखने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से शत्रु पर विजय मिलती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.

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