दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में लगातार सुधार देखा जा रहा है। इस साल जनवरी से सितंबर तक दिल्ली ने पिछले आठ वर्ष कोविड लॉकडाउन वर्ष 2020 को छोड़कर 2018-2025 में अपना सर्वश्रेष्ठ औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) दर्ज किया है। यह आंकड़े वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बुधवार को जारी किए।
इस अवधि में दिल्ली का औसत सूचकांक 164 रहा, जो 2024 में 178, 2023 में 167, 2022 में 184, 2021 में 180, 2019 में 188 और 2018 में 193 था। इसके अलावा, मानसून अवधि (जुलाई-सितंबर) के दौरान भी दिल्ली ने शानदार प्रदर्शन किया है। इस वर्ष मानसून में औसत एक्यूआई 91 रहा, जो 2018 से 2025 तक (2020 को छोड़कर) की समान अवधि में सबसे बेहतर है।
तुलनात्मक रूप से 2024 में 91, 2023 में 103, 2022 में 95, 2021 में 99, 2019 में 106 और 2018 में 109 एक्यूआई दर्ज किया गया था। अनुकूल मौसमी परिस्थितियों और हितधारकों के समन्वित प्रयासों ने इस सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राहत… जनवरी से अब तक गंभीर श्रेणी में दर्ज नहीं हुआ एक्यूआई
2025 में जनवरी से सितंबर तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब एक्यूआई 400 यानि गंभीर या गंभीर से अधिक दर्ज किया गया हो। यह उपलब्धि अपने आप में उल्लेखनीय और राहत भरी है, क्योंकि 2024 और 2023 में 3-3 दिन, 2022 में एक दिन, 2021 में छह दिन, 2019 में सात दिन और 2018 में छह दिन ऐसे थे।
इसके अलावा, इस अवधि में 75 संतोषजनक दिन दर्ज किए गए, जो 2020 को छोड़कर पिछले वर्षों की तुलना में सबसे अधिक है। तुलना के लिए, 2024 में 66, 2023 में 59, 2022 में 61, 2021 में 69, 2019 में 54 और 2018 में 53 संतोषजनक दिन थे।
यही नहीं, दिल्ली में इस वर्ष जनवरी से 28 सितंबर तक की अवधि में पीएम 2.5 का औसत स्तर 69 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो 2018 के बाद से सबसे कम है (2020 को छोड़कर)। तुलनात्मक रूप से, 2024 में 81, 2023 में 73, 2022 में 80, 2021 में 83, 2019 में 85 और 2018 में 89 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था।
इसी तरह, पीएम 10 का औसत स्तर 161 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो 2024 में 181, 2023 में 169, 2022 में 190, 2021 में 183, 2019 में 194 और 2018 में 208 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तुलना में काफी कम है।
दिल्ली में प्रदूषण अलर्ट सिस्टम की सटीक चेतावनी, 80 फीसदी तक सही भविष्यवाणी
राजधानी में सर्दियों के दौरान बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए विकसित एयर क्वालिटी अर्ली वाॅर्निंग सिस्टम (एक्यूईडब्ल्यूएस) ने अच्छा प्रदर्शन किया है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि यह सिस्टम 2023-24 और 2024-25 की सर्दी (अक्तूबर से फरवरी) में ”बहुत खराब” और ”उच्च” स्तर के प्रदूषण दौर की भविष्यवाणी 80 फीसदी से अधिक सटीकता के साथ कर सका।
अध्ययन में कहा गया है कि 2023-24 में 92 ऐसे प्रदूषण एपिसोड्स में से 83 और 2024-25 में 58 में से 54 का पूर्वानुमान सही रहा। यह सिस्टम एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 300 से ऊपर के स्तर को पहले ही बता देता है, जिससे प्रशासन प्रतिबंध लगाने और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय समय पर कर सके।
सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट ”हाउ वेल कैन दिल्ली प्रिडिक्ट एयर क्वालिटी? इनसाइट्स फॉर इंडियाज डिसीजन सपोर्ट सिस्टम्स” में यह भी उल्लेख है कि गंभीर दिनों (एक्यूआई 400 से अधिक) की भविष्यवाणी में 2024-25 में सुधार हुआ। 2023-24 में 15 में से सिर्फ एक दिन सही पकड़ा गया, जबकि अगले साल 14 में से 5 दिनों का पूर्वानुमान सटीक रहा, यानी लगभग पांच गुना बेहतर।
वहीं, सीईईडब्ल्यू के प्रोग्राम लीड डॉ. मोहम्मद रफीउद्दीन ने कहा कि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत देश ने मॉनिटरिंग और वाॅर्निंग सिस्टम में प्रगति की है। दिल्ली का एक्यूईडब्ल्यूएस उच्च सटीकता दिखा रहा है लेकिन अपडेटेड एमिशन इनवेंट्री से इसे और मजबूत किया जा सकता है। इससे प्रदूषण के स्रोतों की बेहतर समझ मिलेगी। देश को विज्ञान, फंडिंग और पारदर्शिता के साथ इन सिस्टम्स को बढ़ाना चाहिए, ताकि मिटिगेशन प्लान 2025 सबूत-आधारित हो।
हाई-रिजोल्यूशन मॉडलिंग में निवेश की सलाह दी
सीईईडब्ल्यू ने राष्ट्रीय एमिशन इनवेंट्री को हर 2-3 साल अपडेट करने, डेटा को पब्लिक करने और हाई-रिजोल्यूशन मॉडलिंग में निवेश की सलाह दी। इससे न सिर्फ पूर्वानुमान बेहतर होगा, बल्कि प्रदूषण रोकथाम में सक्रिय भूमिका निभाई जा सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी पारदर्शिता से जनता का भरोसा बढ़ेगा और शोध को बढ़ावा मिलेगा। दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण प्रबंधन के लिए यह महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
सिस्टम का बैकग्राउंड और विस्तार
2018 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने गंभीर धुंध और धूल भरी आंधियों के बाद एक्यूईडब्ल्यूएस शुरू किया, जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम) और इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी) चलाते हैं। यह तीन से 10 दिन पहले अलर्ट देता है। 2021 में डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) जोड़ा गया, जो प्रदूषण स्रोतों का सेक्टर-वाइज विश्लेषण करता है। अध्ययन के अनुसार, ये टूल्स डेटा को एकीकृत कर निर्णय लेने में मददगार है लेकिन डीएसएस अभी सिर्फ सर्दियों में सक्रिय है। इसे साल भर चलाने और वाहन प्रतिबंधों या पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधारों के सिमुलेशन जोड़ने से प्रभाव बढ़ेगा।