राहुल गांधी और महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) ने बिहार में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को ‘वोट चोरी’ का हथियार बताकर अगस्त-सितंबर 2025 में तगड़ा माहौल बनाया था. राहुल ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ और ‘BJP-ECI का साठगांठ’ करार दिया था . खासकर बिहार, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कुछ उदाहरणों को लेकर कांग्रेस काफी आक्रामक थी. लेकिन अब ECI की फाइनल वोटर लिस्ट आ गई है. देखना है कि अब राहुल गांधी का वोट चोरी के नैरेटिव इस वोटर लिस्ट के आगे कितना टिक पाता है.
फिलहाल वर्तमान की बात करें तो वोट चोरी का नरेटिव फुस्स नजर आ रहा है. राहुल के इस मुद्दे से ज्यादा चर्चा जनसुराज पार्टी के संस्थापक नेता प्रशांत किशोर के आरोपों की हैं जो उन्होंने जेडीयू के सबसे ताकतवर मंत्री अशोक चौधरी और प्रदेश के डिप्टी सीएम बीजेपी नेता सम्राट चौधरी पर लगाया है. आइये देखते हैं कि वो कौन से कारण हैं जिनके चलते राहुल गांधी का वोट चोरी का मुद्दा बिल्कुल शांत पड़ता जा रहा है.
1. ECI की पारदर्शी प्रक्रिया ने विश्वास बहाल किया
ECI ने जून-जुलाई 2025 में बिहार में SIR ( स्पेशल इनवेस्टिगेटिव रिविजन) शुरू किया, जिसमें 7.89 करोड़ वोटर्स का वेरिफिकेशन हुआ . 2003 के बाद पहली बार इतना बड़ा अभियान चला जिसका मकसद डुप्लिकेट, मृत, और शिफ्टेड वोटर्स को हटाकर वोटर लिस्ट को क्लीन करना था. लेकिन राहुल गांधी ने इसे ‘इंस्टीट्यूशनलाइज्ड वोट चोरी’ का नाम दिया. 7 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा में 1 लाख से अधिक फर्जी वोट्स का दावा किया, जिसमें डुप्लिकेट नाम, फर्जी एड्रेस, और फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल था.
बिहार में SIR को माइग्रेंट्स और माइनॉरिटीज के वोट्स को निशाना बनाने का टूल बताया गया, जिससे विपक्ष ने #VoteChoriFactory ट्रेंड चलाया.पर फाइनल वोटर लिस्ट ने ECI की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पेश किया. ECI ने हर डिलीशन की डिटेल्स – जैसे फॉर्म 7 के तहत ऑब्जेक्शन, बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) की फील्ड वेरिफिकेशन, और पब्लिक नोटिफिकेशन – को ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्ध कराया.
बिहार में 65 लाख वोटर्स ड्राफ्ट लिस्ट से हटाए गए, लेकिन ECI ने स्पष्ट किया कि इसमें ज्यादातर मृत (लगभग 30 लाख) और शिफ्टेड (25 लाख) वोटर्स थे. हर विधानसभा क्षेत्र में डिलिटेड वोटर्स की लिस्ट स्थानीय कार्यालयों और वेबसाइट पर डाली गईं, जिससे जनता और पॉलिटिकल पार्टियों को चेक करने का मौका मिला.
इस पारदर्शिता ने राहुल के ‘सिस्टमैटिक चोरी’ के दावे को कमजोर किया. सोशल मीडिया साइट X पर विपक्षी यूजर्स ने शुरू में ‘ECI-BJP गठजोड़’ का शोर मचाया, लेकिन फाइनल लिस्ट की डिटेल्स के बाद #ECIisRight जैसे काउंटर-ट्रेंड्स ने जोर पकड़ा. जनता में भरोसा बढ़ा, और SIR के खिलाफ माहौल ठंडा पड़ गया.
2. ’36 सेकंड’ नैरेटिव का तकनीकी खंडन
राहुल ने सितंबर 2025 में X पर वीडियो शेयर कर दावा किया कि ECI की वोटर लिस्ट में ’36 सेकंड में 2 वोटर डिलीट’ का पैटर्न है, जो ‘टेक्निकल फ्रॉड’ का सबूत है. इसे ‘हाइड्रोजन बम’ का टीजर बताकर नैरेटिव बनाया कि ECI BJP के इशारे पर वोटर डिलीशन कर रही है. बिहार में इसे माइग्रेंट मजदूरों और माइनॉरिटीज के खिलाफ ‘साजिश’ बताया गया.
पर फाइनल लिस्ट आने के पहले ही ECI ने तकनीकी खंडन किया. उन्होंने कहा कि वोटर डिलीशन ऑनलाइन नहीं, बल्कि मैनुअल प्रोसेस से होता है, जिसमें BLOs घर-घर जाकर वेरिफिकेशन करते हैं. डिलीशन के लिए फॉर्म 7 दाखिल करना जरूरी है, जिसके बाद 7-दिन का ऑब्जेक्शन पीरियड होता है. ECI ने डेटा लॉग्स और ऑडिट ट्रेल्स जारी किए, जो दिखाते हैं कि डिलीशन में कोई ऑटोमेटेड सिस्टम नहीं था. राहुल के ’36 सेकंड’ क्लेम को ‘मिसलीडिंग’ बताया गया, क्योंकि वीडियो में दिखाए गए डिलीशंस पुराने डेटा के थे, जो SIR से पहले के थे.
जाहिर है कि चुनाव आयोग की इन बातों नेराहुल के नैरेटिव की हवा निकाल दी. बिहार में विपक्ष शुरू में इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया, लेकिन ECI की डिटेल्ड रिपोर्ट और प्रेस कॉन्फ्रेंस ने जनता को भरोसा दिलाया कि प्रक्रिया नियमों के तहत थी. X पर BJP समर्थकों ने इसे ‘कांग्रेस का झूठ’ करार दिया, और #VoteChoriFactory ट्रेंड फीका पड़ गया. बिहार के वोटर्स, खासकर ग्रामीण इलाकों में, तकनीकी दावों से ज्यादा रोजमर्रा के मुद्दों पर फोकस करने लगे.
3. जनता की प्राथमिकताओं में बदलाव
राहुल और महागठबंधन ने SIR को माइग्रेंट्स (जो बिहार से बाहर काम करते हैं) और माइनॉरिटीज के वोट्स को हटाने की साजिश बताया था. दावा था कि 65 लाख डिलीटेड वोटर्स में ज्यादातर विपक्ष के समर्थक थे. इसने खासकर बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्रों में माहौल गरमाया, जहां माइनॉरिटी वोटर्स की संख्या ज्यादा है.
फाइनल लिस्ट के बाद सितंबर महीने के एक सर्वे ने दिखाया कि बिहार में सिर्फ 21% वोटर्स ‘वोट चोरी’ को बड़ा इश्यू मानते हैं. इसके उलट, बेरोजगारी (32%), माइग्रेशन (28%), और इंफ्रास्ट्रक्चर (24%) टॉप इश्यूज थे. CVoter MOTN सर्वे (जुलाई-अगस्त 2025) में 64% लोगों ने कहा कि ECI के इलेक्शन फ्री और फेयर हैं. फाइनल लिस्ट ने यह साबित किया कि डिलीशंस में कोई खास समुदाय टारगेट नहीं था, जिससे जनता का फोकस रियल इश्यूज की ओर शिफ्ट हुआ.
बिहार के वोटर्स, खासकर युवा और ग्रामीण, SIR से ज्यादा रोजगार और डेवलपमेंट पर बात करने लगे हैं. X पर #BiharWantsJobs जैसे ट्रेंड्स ने #VoteChoriFactory को पीछे छोड़ दिया. ECI की ट्रांसपेरेंसी ने जनता को भरोसा दिलाया कि उनकी वोट सुरक्षित है, जिससे SIR के खिलाफ माहौल ठंडा पड़ गया.
4. लीगल और पॉलिटिकल पुशबैक, इलेक्शन कमीशन की सख्ती
ECI ने राहुल के दावों को ‘बेसलेस और मिसलीडिंग’ बताया और 17 सितंबर 2025 को उनसे सबूत या माफी मांगी. फाइनल लिस्ट के साथ ECI ने डिटेल्ड रिपोर्ट जारी की, जिसमें हर डिलीशन का ब्रेकडाउन था. कर्नाटक के आलंद में 2023 से चल रही FIR (फर्जी डिलीशन अटेम्प्ट्स) का हवाला देकर ECI ने अपनी साख बचाई.
BJP ने SIR को ‘इनफिल्ट्रेटर्स और फर्जी वोटर्स’ को हटाने का कदम बताया. X पर बहुत से लोगों ने #ECIisRight और #StopFakeVotes ट्रेंड्स चलाए. BJP नेताओं ने राहुल के नैरेटिव को ‘इनफिल्ट्रेटर्स फर्स्ट’ पॉलिटिक्स से जोड़ा, जिससे विपक्ष बैकफुट पर आया. सुप्रीम कोर्ट में 65 लाख डिलीटेड वोटर्स के खिलाफ दाखिल पिटीशन पर ECI की डिटेल्ड डिफेंस ने उसके पक्ष को मजबूत किया.
ECI की लीगल सख्ती और BJP की पॉलिटिकल रणनीति ने SIR के खिलाफ माहौल को कमजोर किया. बिहार में विपक्षी रैलियों में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा अब कम सुनाई देता है, क्योंकि जनता इसे ‘पुराना राग’ मान रही है.
5. प्रशांत किशोर का ‘देसी बम’ राहुल के एटम और हाइड्रोजन बम पर भारी
प्रशांत किशोर (PK) ने जन सुराज पार्टी के जरिए बिहार में राहुल और महागठबंधन पर तीखे हमले किए. 16 सितंबर 2025 को उन्होंने राहुल, मोदी, और तेजस्वी को ‘एक्सपायर्ड मेडिसिन्स’ कहा, जो बिहार के भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दे हल नहीं कर सकते. SIR विवाद पर PK ने ECI को सलाह दी कि ‘अपोलॉजी डिमांड’ की C जगह पॉइंट-बाय-पॉइंट जवाब दे .उन्होंने SIR को ‘जरूरी क्लीन अप’ बताया और कांग्रेस को RJD का ‘साइड किक’ करार दिया.
इतना ही नहीं जबसे प्रशांत किशोर ने जेडीयू नेता अशोक चौधरी और बीजेपी नेता डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के भ्रष्टाचार और अपराध का खुलासा करना शुरू किया है, बिहार में सिर्फ उसी की चर्चा है. वोट चोरी का मुद्दा हवा हवाई हो गया है.
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