भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘रुपया’ को लेकर एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे रुपया एक ग्लोबल करेंसी बन सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का यह कदम एक साहसिक फैसला माना जा रहा है.
दरअसल, आरबीआई ने ग्लोबल ट्रेड और सीमा पार लोन में भारतीय करेंसी ‘रुपया’ का उपयोग बढ़ाने के उद्देश्य से योजना का ऐलान किया है. यह फैसला फाइनेंस सेक्टर में भारत के प्रभाव को बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक मोड़ हो सकता है. इस नए योजना के तहत केंद्रीय बैंक ने कहा कि अब भारत के बैंक अब भूटान, नेपाल और श्रीलंका के गैर-निवासियों को सीमा पार व्यापार के लिए लोन दे सकते हैं.
यह लोन सिर्फ व्यापार के लिए ही दिया जाएगा. इस फाइनेंस अप्रूवल से अब रुपये में भारत के साथ, भूटान, श्रीलंका और नेपाल में कारोबार ज्यादा होगा, जिससे ग्लोबल स्तर पर रुपया का रुतबा बढ़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि भारतीय रुपया बेस्ड इंटरनेशनल लेनदेन को सुगम बनाने के लिए प्रमुख विदेशी मुद्राओं के लिए पारदर्शी दरें पेश करेगा.
रुपया को इंटरनेशनल बनाने पर फोकस
आरबीआई ने यह भी कहा कि स्पेशल रुपया वास्ट्रो अकाउंट (SRVA) बाकी अमाउंट का उपयोग बढ़ा दिया गया है. अब ऐसे फंड कॉर्पोरेट बांड और कमर्शियल सर्टिफिकेट में निवेश के लिए पात्र है. इन कदमों का उद्देश्य ट्रांजेक्शन में रुपये की मांग को बढ़ाना, डॉलर पर निर्भरता को कम करना और भारत के पड़ोसियों के लिए वैकल्पिक फंडिंग ऑप्शन पेश कराना है और साथ ही साउथ एशिया में भारतीय रुपये को एक कम्प्टेटिव करेंसी के रूप में स्थापित करना है.
रुपये को मजबूत कर रहा आरबीआई
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि हम इंटरनेशन ट्रेड के लिए भारतीय रुपये के उपयोग में लगातार तरक्की कर रहे हैं. उन्होंने इस प्लान को नपा-तुला और प्रभावशाली बताया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब ग्लोबल अस्थिरता है. RBI भारत के मजबूत मैक्रो फंडामेंटल्स 700 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार, मजबूत सर्विस एक्सपोर्ट और घटता चालू खाता घाटा का लाभ उठाकर इंटरनेशनल लेवल पर रुपये को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.
बता दें यह घोषणा 1 अक्टूबर को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के दौरान की गई. रेपो रेट में इस बार भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेपो रेट अभी भी 5.5 फीसदी पर स्थिर बना हुआ है.
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