अब तक सात लड़ाइयां बंद कराने का दावा कर रहे डोनाल्ड ट्रंप अब इजरायल और हमास पर योजना लेकर आए हैं. उन्होंने एक पीस प्लान बनाया, जिसे वे इजरायल और गाजा दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन बता रहे हैं. दोनों पक्ष लड़कर थक चुके और शांति चाहते भी हैं. लेकिन प्लान में अधूरापन है, जिससे अस्थाई शांति भले आ जाए, लेकिन स्थाई मुमकिन नहीं दिखती. योजना की सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें वेस्ट बैंक का जिक्र न के बराबर है.
प्रस्ताव का फोकस सिर्फ गाजा पर
20-पॉइंट की शांति योजना में पूरा फोकस गाजा पट्टी पर है. कैसे वहां से सैनिक हटाए जाएं. आर्मी कहां रहेगी. कौन सा एरिया बफर जोन होगा. हमास का क्या होगा. गाजा में सरकार बनने तक कैसे अंतरिम व्यवस्था लागू होगी. कुल मिलाकर, ऐसा लग रहा है कि हमास और इजरायल के बीच युद्ध का असर सिर्फ गाजा पर हुआ और शांति के समय भी उसी पर मरहम लगना चाहिए, जबकि ऐसा है नहीं.
इजरायल और जॉर्डन के बीच वेस्टर्न हिस्से में स्थित वेस्ट बैंक टू-स्टेट सॉल्यूशन का अहम हिस्सा रहा. साढ़े पांच हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैले इस इलाके में लाखों फिलिस्तीनी बसे हुए हैं. गाजा से तुलना करें तो वेस्ट बैंक सिर्फ भौगोलिक तौर पर काफी बड़ा नहीं, बल्कि यहां की राजनीति और अर्थव्यवस्था भी मजबूत है.

यहां लंबे समय से फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) काम कर रही है, जो लगभग लोकतांत्रिक है. हमास जरूर आरोप लगाता रहा कि पीए तेल अवीव के दबाव में काम करती है. बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं कि वेस्ट बैंक के लोग गाजा की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में हैं. ये लोग पढ़े-लिखे हैं. तकनीक में आगे बढ़ चुके. साथ ही खेती-बाड़ी भी हो रही है. ऑलिव की खेती यहां सबसे ज्यादा होती रही.
प्रस्ताव कहता है कि गाजा में अगर शांति आ सके तो फिलिस्तीन के रास्ते खुलने लगेंगे, लेकिन इसकी कोई टाइमलाइन नहीं. ये नहीं बताया गया कि ऐसा कब तक हो सकेगा और वेस्ट बैंक की स्थिति क्या होगी.
शांति प्रस्ताव में गाजा के आसपास से सेना हटाने की बात तो है ताकि वो क्षेत्र केवल फिलिस्तीन की सोच रखने वालों के लिए रिजर्व्ड हो जाए, लेकिन वेस्ट बैंक का जिक्र नहीं. यहां बता दें कि वेस्ट बैंक में लाखों यहूदी कॉलोनियां बस चुकी हैं, साथ ही सैन्य छावनियां भी हैं. माना जा रहा है कि वेस्ट बैंक की बात को जान-बूझकर प्रस्ताव से हटा दिया गया ताकि सब कुछ समझौते के मुताबिक लगे और कोई अड़चन न आए. राजनीतिक संतुलन बनाने के लिए उठाए गए इस कदम पर आंखें फिलहाल भले बंद कर ली जाएं, लेकिन देर-सवेर मामला सिर उठाएगा ही.

वेस्ट बैंक की अपनी व्यवस्था काफी उलझी हुई है. वहां इजरायली सैटलमेंट भी हैं, चौकियां भी और फिलिस्तीन को मानने वाले भी. शांति बनी रही, इसके लिए इसे कई हिस्सों में बांट रखा गया है. ऐसे में शायद आखिरी वक्त पर इसे पीस प्लान में पीछे रख दिया गया हो ताकि गाजा का मामला सुलझाकर फिर इसपर नए सिरे से बात की जाए, लेकिन यही गाड़ी अटक भी सकती है. खासकर तब जब इजरायली लीडर बेंजामिन नेतन्याहू कह चुके कि वे फिलिस्तीन बनने के खिलाफ हैं.
वेस्ट बैंक को छोड़ दें तब भी ये शांति योजना कमजोर लग रही है. ट्रंप सीधे तौर पर तेल अवीव के पक्ष में हैं. उन्होंने हमास को सारे बंधकों को रिहा करने और हथियार छोड़ने को कहा. हमास लीडर्स और बेंजामिन नेतन्याहू के बीच कोई बातचीत नहीं. ऐसे में वे डर सकते हैं कि हथियार छोड़ना कहीं उन्हें घेरने की साजिश तो नहीं. ये उन्हें और आक्रामक बना सकता है.
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