बरेली हिंसा की कोशिश की गुत्थी सुलझाने में अब पुलिस को वह सबूत मिल गया है जिसने इस पूरे घटनाक्रम की साजिश को बेनकाब कर दिया. सिर्फ एक व्हाट्सएप मैसेज से शहर को आग में झोंकने की पूरी तैयारी थी.तौकीर रजा की पार्टी इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के लेटरहेड से जारी अपील और उसके बाद उसी लेटर को फर्जी बताकर फैलाया गया मैसेज, यही वो चिंगारी थी जिसने 26 सितंबर को बरेली की सड़कों पर हिंसा भड़काने की तैयारी थी.
कैसे शुरू हुई पूरी कहानी?
25 सितंबर को इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के लेटरहेड पर एक अपील जारी की गई. इसमें साफ लिखा था कि इस्लामिया इंटर कॉलेज में प्रशासन ने किसी तरह की सभा की अनुमति नहीं दी है. अब मौलाना तौकीर रजा खुद ज्ञापन सौंपेंगे. सभी लोग जुमे की नमाज पढ़कर अपने-अपने घर चले जाएं. कॉलेज मैदान में कोई कार्यक्रम नहीं होगा. शहर में अमन-चैन बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है. यह अपील सामने आने के बाद प्रशासन और पुलिस को राहत मिली. लगा कि अब भीड़ सड़कों पर नहीं उतरेगी और हालात काबू में रहेंगे.
रात 1:23 बजे आया वह मैसेज
लेकिन ठीक हिंसा की कोशिश से एक दिन पहले रात 1 बजकर 23 मिनट पर माहौल पलट गया. आरोपी नदीम खान, जिसे अब बरेली पुलिस ने गिरफ्तार किया है, उसने उसी अपील वाला लेटर IMC के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में डाला. इसके साथ ही उसने मैसेज लिखा कि ‘भाइयों, यह लेटरपैड और इस पर हस्ताक्षर पूरी तरह फर्जी हैं. इसका इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल से कोई लेना-देना नहीं है. यह साजिश है ताकि हमारे एहतजाज को खराब किया जा सके. सरकार-ए-सल्लल्लाहु तआला अलैहे वसल्लम की नामूस के लिए जो आंदोलन होना है, उसे रोकने की कोशिश की जा रही है.’ यही वह मैसेज था जिसने माहौल गरमा दिया.
क्यों माना जा रहा है अहम सबूत?
पुलिस का कहना है कि अगर नदीम यह मैसेज न भेजता, तो भीड़ इकट्ठा ही नहीं होती. लोग नमाज पढ़कर घर चले जाते और 26 सितंबर को हिंसा की नौबत ही नहीं आती. लेकिन नदीम ने जानबूझकर इसे फर्जी बताकर माहौल भड़काया. इसीलिए एफआईआर में तौकीर रजा को मुख्य आरोपी बनाया गया और उसके बाद आरोपी नंबर दो नदीम खान को चिन्हित किया गया.
प्रशासन की तैयारियां
हालांकि बरेली पुलिस के पास पहले से ही हिंसा की कोशिश की आशंका की खुफिया रिपोर्ट थी. LIU, स्टेट इंटेलिजेंस और IB से इनपुट आने के बाद पुलिस ने शहर को छावनी में बदल दिया था. बरेली को कई सेक्टरों में बांटा गया. हर सेक्टर में एडिशनल एसपी रैंक का अधिकारी तैनात किया गया. बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई. इसके बावजूद नदीम के मैसेज ने हालात बिगाड़ दिए.
बाद के हालात
26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद तौकीर रजा ने बड़ी संख्या में लोगों के साथ धरना देने का ऐलान किया था. लेकिन वह खुद अपने समर्थक फरहद के घर रुक गए. नमाज के बाद भीड़ सड़कों पर निकली और पुलिस पर नारेबाजी के साथ पथराव शुरू हो गए. पुलिस ने तुरंत दस मुकदमे दर्ज किए. सात मुकदमों में तौकीर रजा को नामजद किया गया. करीब 2000 अज्ञात लोगों पर भी एफआईआर हुई. अब तक 73 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
आला हजरत खानदान का विरोध
मौलाना तौकीर रजा और उनके समर्थकों की गिरफ्तारी के बाद दरगाह आला हजरत के खानदान ने मोर्चा खोल दिया है. उनका कहना है कि मुसलमानों को सामूहिक सजा दी जा रही है. निर्दोष लोगों को पकड़कर जेल भेजा जा रहा है. गिरफ्तार लोगों पर झूठे इल्जाम, जैसे तमंचा, पेट्रोल बम और तेज़ाब की बोतल रखने का आरोप लगाया गया. थानों में हिरासत के दौरान मारपीट हुई है. परेड के दौरान घायल हालत में मीडिया के सामने पेश किया गया. खाने-पीने तक की सुविधा नहीं दी जा रही. खानदान ने यह भी आरोप लगाया कि बुलडोजर एक्शन में मुस्लिमों के घरों को निशाना बनाया जा रहा है और दबिश के दौरान महिलाओं व बच्चों तक को पीटा जा रहा है. उनकी मांग है कि झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं और बेगुनाहों को रिहा किया जाए.
बुलडोजर वाला एक्शन
हिंसा के बाद प्रशासन लगातार सख्ती कर रहा है. बरेली नगर निगम की टीम ने नगर निगम की जमीन पर बने अवैध गोदाम को तोड़ दिया. आरोप है कि यह गोदाम सपा से जुड़े सभासद ओमान रजा ने कब्जा कर बनाया था.
मौलाना के खिलाफ पुलिस की सख्ती
तौकीर रजा की गिरफ्तारी के बाद उनके कई करीबी लोगों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सील कर दिया गया है. यहां तक कि उनके रिश्तेदार के प्रतिष्ठान पर भी बुलडोजर चला दिया गया. नगर निगम का कहना है कि यह निर्माण अवैध रूप से नाले पर किया गया था.
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