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Dusshera Special Recipes: यूपी से लेकर बंगाल और गुजरात तक, जानें दशहरा पर बनने वाली पारंपरिक रेसिपीज – dussehra 2025 special recipes of different states dal paratha kheer motichoor ladoo tvist


भारत में सभी त्योहारों पर अलग-अलग चीजें होती हैं, जो उन्हें खास बनाती हैं. हालांकि, जो एक चीज हर त्योहार में एक जैसी होती है, वो स्वादिष्ट पकवान हैं. कोई भी भारतीय त्योहार खाने के बिना अधूरा लगता है. हर त्योहार पर कुछ खास व्यंजन बनाए जाते हैं, जो परिवार को एक साथ बैठकर खाने का मौका देते हैं और दिन को यादगार बना देते हैं. ऐसा ही एक त्योहार दशहरा है, जिसे विजयादशमी भी कहते हैं. इस साल यह दशहरा 02 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हर राज्य में इस दिन अलग-अलग पारंपरिक डिशेज बनती हैं और हर डिश का एक अलग महत्व होता है. आज हम आपको दशहरा पर अलग-अलग प्रदेशों में बनने वाली खास रेसिपीज के बारे में बताने वाले हैं, जिन्हें आप घर पर ट्राई कर सकते हैं. चलिए जानते हैं.

दाल पराठा और खीर (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश में दशहरा पर दाल पराठा और खीर बनाई जाती है. पराठा जहां चना दाल और मसालों को मिलाकर बनाया जाता है. दूध और चावल से बनने वाली खीर त्योहार का स्वाद दोगुना कर देती है. माना जाता है कि इस दिन इन्हें खाने से घर में सौभाग्य, सेहत और खुशहाली आती है.

मोतीचूर के लड्डू: भगवान हनुमान को मोतीचूर के लड्डू बहुत ज्यादा पसंद है. दशहरे पर लोग छोटे-छोटे बूंदी के दानों और देसी घी से बने ये लड्डू उन्हें चढ़ाते हैं. माना जाता है कि इस दिन लड्डू खाने से जीवन में मिठास और खुशियां बढ़ती हैं.

मीठा डोसा (कर्नाटक): कर्नाटक में दशहरे के खास अवसर पर मीठा डोसा बनाया जाता है. इसे चावल का आटा, गेहूं का आटा, गुड़ और नारियल मिलाकर तैयार किया जाता है. ये कर्नाटक में प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है और हेल्दी-स्वादिष्ट भी होता है.

पान: उत्तर प्रदेश और बिहार में दशहरे पर पान खाने की परंपरा है. इतना ही नहीं भगवान हनुमान को पान चढ़ाना शुभ माना जाता है. ये प्रेम और सम्मान का प्रतीक भी है और अच्छाई की जीत का संदेश देता है.

दही: भारत के कई हिस्सों में नया काम शुरू करने से पहले दही-चीनी खाने की परंपरा है. दशहरे पर भी ऐसा ही किया जाता है. ओडिशा में महिलाएं रावण दहन से पहले देवी दुर्गा को भिगोए हुए चावल और दही का भोग लगाती हैं.

रसगुल्ला (बंगाल): पश्चिम बंगाल में दशहरा रसगुल्लों के बिना अधूरा है. छेना और चीनी की चाशनी से बने ये नरम-नरम रसगुले सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं. त्योहार पर इन्हें अलग-अलग फ्लेवर में खाया जाता है.

जलेबी और फाफड़ा (गुजरात): गुजरात में दशहरे की असली रौनक जलेबी और फाफड़ा के बिना नहीं आती. कहते हैं भगवान राम को भी जलेबी (जिसे पहले शशकुली कहते थे) बहुत पसंद थी और उन्होंने विजय के दिन इसका आनंद लिया था. माना जाता है बेसन से बने फाफड़े को जलेबी के साथ खाने से समृद्धि आती है.

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