Hepatitis B Birth dose: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कल व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने नवजात शिशुओं को जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका लगाने पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि इसे कुछ समय बाद लगाना चाहिए. उनके इस सुझाव के बाग से ही दुनिया भर के हेल्थ विशेषज्ञों में चिंता पैदा हुई और एक बहस छिड़ गई. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि नवजात बच्चों को टीके में देरी करने से उन्हें जीवन भर के कुछ खतरों का सामना करना पड़ सकता है. भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि जन्म के समय दी जाने वाली यह खुराक सुरक्षित, आवश्यक और देश में मां से बच्चे में होने वाले संक्रमण के विरुद्ध कवच की तरह काम करती है.
क्या है हेपेटाइटिस बी वैक्सीन?
हेपेटाइटिस-B वैक्सीन शरीर को हेपेटाइटिस-B वायरस (HBV) से बचाने के लिए लगाया जाता है. हेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रमण है जो लीवर पर हमला करता है और यदि इसका इलाज न किया जाए तो यह सिरोसिस, लिवर फेलियर और यहां तक कि लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है.
भारत के डॉक्टर्स का कहना है, हेपेटाइटिस बी के टीके की जन्म के समय दी जाने वाली खुराक पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. बाल रोग विशेषज्ञों और हेपेटोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि जन्म के 24 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी वैक्सीन देना मां से बच्चे में संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है नहीं तो क्रोनिक इंफेक्शन, सिरोसिस और लिवर कैंसर होने का 90 प्रतिशत जोखिम रहता है.
अगर किसी मां में हेपेटाइटिस बी वायरस है तो प्रसव के दौरान शिशु उसके खून और शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आ सकता है. शोध से पता चलता है कि जन्म के समय संक्रमित 90 प्रतिशत शिशुओं में आगे चलकर क्रोनिक हेपेटाइटिस बी विकसित हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि यह टीका जन्म के पहले 12 घंटे में दिया जाए लेकिन 24 घंटे तक लगाना भी लाभकारी है. इसके बाद शिशु को पूरी खुराक की पूरी डोजेज मिलनी चाहिए. आम तौर पर जन्म के बाद फिर 4 हफ्ते और उसके बाद 8, 12 या 16 हफ्तों में अगली खुराकें दी जाती हैं.
जन्म के 24 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस-बी टीका क्यों जरूरी?
दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में पीडियाट्रिक्स एवं नियोनेटोलॉजी के प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं डिपार्टमेंट हेड डॉ. राहुल नागपाल ने Aajtak.in को बताया, ‘नवजात शिशु का शरीर जन्म के समय बेहद संवेदनशील होता है. जन्म के शुरुआती 24 घंटे वह अवधि होती है जिसमें संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है. इसीलिए हेपेटाइटिस-बी का टीका जन्म के तुरंत बाद, यानी पहले 24 घंटे में दिया जाना चाहिए.’
‘हेपेटाइटिस-बी एक गंभीर संक्रमण है जो अक्सर मां से बच्चे में जन्म के समय या शुरुआती जीवन में पहुंच सकता है. अगर यह संक्रमण नवजात शिशु को हो जाए तो आगे चलकर गंभीर बीमारी बनने की संभावना बहुत अधिक रहती है और यही स्थिति लिवर डिजीज और लिवर कैंसर जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है. वयस्कों में यह संक्रमण कई बार शरीर खुद ही हरा देता है, लेकिन शिशु के मामले में यह अक्सर जीवनभर का रोग बन जाता है इसलिए यह जन्म के समय लगाया जाने वाला टीका सबसे प्रभावी सुरक्षा है.’
केरल आईएमए के रिसर्च सेल के संयोजक डॉ. राजीव जयदेवन कहते हैं: “हेपेटाइटिस बी दुनिया भर में लिवर की बीमारी और कैंसर के सबसे आम कारणों में से एक है। टीके ने इसके प्रभाव को स्पष्ट रूप से कम कर दिया है, और जन्म के समय इसे देने से संक्रमण को दीर्घकालिक होने से रोका जा सकता है इसलिए डॉक्टर शिशु को तुरंत सुरक्षा प्रदान करने में देर नहीं करते.
बाल रोग विशेषज्ञ और भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस सचिदानंद कामथ का कहना है कि हेपेटाइटिस बी के टीके की पहली खुराक जन्म के समय, आदर्श रूप से 24 घंटों के भीतर, संक्रमण को रोकने के लिए दी जाती है. बाल रोग विशेषज्ञ जन्म के समय दी जाने वाली इस खुराक पर कोई समझौता नहीं करते हैं. इसके विपरीत, जो वयस्क जीवन में बाद में संक्रमित होते हैं, उनमें दीर्घकालिक संक्रमण की संभावना केवल 5-10 प्रतिशत होती है.
90% नवजातों को होता है क्रॉनिक इन्फेक्शन
मुंबई के एस. एल. रहेजा फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट पीडियाट्रिशन और नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. अस्मिता महाजन ने Aajtak.in को बताया, ‘राष्ट्रपति ट्रंप का हेपेटाइटिस बी वैक्सीन को 12 साल की उम्र तक टालने का सुझाव पूरी तरह से मेडिकल की दृष्टि से गलत और खतरनाक है क्योंकि जन्म के 24 घंटे के भीतर दिया गया हेपेटाइटिस बी का टीका सबसे महत्वपूर्ण है और यही बच्चे को जीवनभर की गंभीर बीमारियों जैसे सिरोसिस, लिवर फेल्योर और लिवर कैंसर से बचाता है.’
‘हेपेटाइटिस बी केवल यौन संबंध से नहीं फैलता बल्कि खून के जरिए बेहद आसानी से फैलने वाला संक्रमण है. ऐसे में संक्रमित मां से जन्मे बच्चे को यदि तुरंत टीका न दिया जाए तो उसके 90% मामलों में क्रॉनिक इन्फेक्शन हो जाता है.’
डॉ. महाजन का कहना है कि भारत जैसे देश में जहां हेपेटाइटिस बी का प्रचलन अब भी कई इलाकों में ज्यादा है, जन्म के समय दिया गया टीका बिल्कुल भी टाला नहीं जा सकता. हमारे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम की वजह से आज 95% से अधिक बच्चों को जन्म के समय यह सुरक्षा दी जा रही है. अगर वैक्सीन की डोज़ को टालने की नीतियां लागू हुईं तो यह करोड़ों बच्चों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है.’
‘मैं माता-पिता से अपील करती हूं कि वे किसी भी तरह की गलत जानकारी पर भरोसा न करें, अपने पेडियाट्रिशन पर विश्वास करें, और बच्चे को जन्म के 24 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका ज़रूर लगवाएं.’
भारत और अमेरिका की हाइजीन में कितना अंतर?
डॉ. नागपाल ने कहा, ‘अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि भारत में यह टीका क्यों ज़रूरी है, जबकि अमेरिका जैसे देशों में स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हैं. यहां यह समझना ज़रूरी है कि भारतीय परिस्थितियों में संक्रमण का खतरा अधिक है. हमारे देश में स्वच्छता के स्तर, स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच और गर्भावस्था में सभी माताओं की नियमित जांच न होने के कारण हेपेटाइटिस-बी संक्रमण का बोझ काफी ज़्यादा है. अमेरिका में हर गर्भवती महिला की स्क्रीनिंग की जाती है और संक्रमण पाए जाने पर तुरंत रोकथाम की जाती है, जबकि भारत में यह व्यवस्था इतनी व्यापक नहीं है. यही कारण है कि यहाँ नवजात शिशुओं को जन्म के समय हेपेटाइटिस-बी का टीका देना और भी आवश्यक हो जाता है.’
‘माता-पिता के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह टीका केवल संक्रमण से बचाव नहीं करता, बल्कि बच्चे को भविष्य में गंभीर बीमारियों और लंबे इलाज से भी बचाता है. नवजात शिशु के स्वास्थ्य की शुरुआत इसी टीकाकरण से होती है और यह एक ऐसा कदम है जिसे टाला नहीं जाना चाहिए.’
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