अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार (स्थानीय समय) को बच्चों के कैंसर रिसर्च को तेज करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए. उन्होंने कहा कि ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की असाधारण क्षमता का इस्तेमाल इस भयानक बीमारी से लड़ने के लिए करेगा. ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, ‘मैं बच्चों के कैंसर रिसर्च को बड़े पैमाने पर तेज करने और इस भयानक बीमारी से लड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की असाधारण क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए एक बहुत ही ऐतिहासिक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करके रोमांचित हूं.’ ये कदम तकनीक के इस्तेमाल से बीमारी के इलाज को बेहतर बनाने पर जोर देता है.
ट्रंप ने कहा कि 2019 में उन्होंने चाइल्डहुड कैंसर डेटा पहल शुरू की थी और अब इस क्षेत्र में निवेश दोगुना कर दिया है.
AI के इस्तेमाल पर जोर
ट्रंप ने कहा, ‘2019 में मुझे चाइल्डहुड कैंसर डेटा इनिशिएटिव लॉन्च करने पर गर्व था और आज रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर और एमएएचए आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुरूप, हम उस निवेश को दोगुना कर रहे हैं… मैं संघीय सरकार को बाल चिकित्सा कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पूर्ण उपयोग करने का निर्देश भी दे रहा हूं.’
RFK जूनियर ने बताया ‘बड़ा कदम’
इस बीच अमेरिकी स्वास्थ्य सचिव रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने “इलाज के रास्ते खोलने” और परिवारों को सशक्त बनाने के लिए कार्यकारी आदेश पर विचार किया.
कैनेडी ने कहा, ‘ये कार्यकारी आदेश कार्रवाई, इलाज खोजने, परिवारों को सशक्त बनाने और प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ और मजबूत बनाने का अवसर देने के बारे में है.’
बच्चों के कैंसर के आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल 0 से 19 वर्ष की उम्र के लगभग 4 लाख बच्चे और किशोर कैंसर से पीड़ित होते हैं, जिनमें से सबसे आम प्रकार ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा और न्यूरोब्लास्टोमा और विल्म्स ट्यूमर जैसे ठोस ट्यूमर हैं.
उच्च आय वाले देशों में, जहां व्यापक सेवाएं आम तौर पर सुलभ हैं, कैंसर से पीड़ित 80% से ज्यादा बच्चे ठीक हो जाते हैं. निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में, 30% से भी कम बच्चे ठीक हो पाते हैं.
एलएमआईसी में बाल कैंसर से होने वाली टालने योग्य मौतें निदान की कमी, गलत निदान या देरी से निदान, देखभाल तक पहुंचने में बाधाएं, उपचार का परित्याग, विषाक्तता से मृत्यु और पुनरावृत्ति के कारण होती हैं.
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