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Us Court Ruled Trump Administration Attempt Deport Non Citizens Protesting The Gaza War Was Unconstitutional – Amar Ujala Hindi News Live


अमेरिका में गाजा युद्ध का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया। इसके बाद जब ये मामला कोर्ट पहुंचा तब बोस्टन की एक संघीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन के इस रवैए को असंवैधानिक बताया। कोर्ट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का गाजा युद्ध का विरोध करने वाले गैर अमेरिकी नागरिकों जैसे कि विदेशी छात्रों और स्कॉलरों को देश से निकालने का प्रयास संविधान के खिलाफ है।

यूएस डिस्ट्रिक्ट जज विलियम यंग ने यह फैसला कुछ यूनिवर्सिटी संगठनों की याचिका पर सुनाया। इन संगठनों का कहना था कि ट्रंप प्रशासन एक विचारधारा पर आधारित नीति चला रही है, जिसका उद्देश्य सरकार की नीतियों की आलोचना करने वालों को अमेरिका से बाहर निकालना है। मामले में दायर याचिका के तर्क पर अदालत ने माना कि यह नीति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है।

समझिए मुकदमे के दौरान क्या हुआ?

बता दें कि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट में गवाह पेश किए, जिन्होंने बताया कि ट्रंप प्रशासन खासतौर पर उन छात्रों और स्कॉलरों को निशाना बना रहा था, जो इस्राइल की आलोचना करते थे या फलस्तीन के पक्ष में बोलते थे।

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मामले में नाइट फर्स्ट अमेंडमेंट इंस्टीट्यूट की वकील राम्या कृष्णन ने अदालत में कहा कि मैक्कार्थी युग के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रवासियों को उनके वैध राजनीतिक विचारों के कारण इतने बड़े स्तर पर दबाया जा रहा है। यह नीति यूनिवर्सिटी कैंपस में डर का माहौल बना रही है और संविधान की आत्मा के खिलाफ है।

ट्रंप प्रशासन के वकील ने क्या कहा?


वहीं मामले में ट्रंप प्रशासन की तरफ से वकील विक्टोरिया सैंटोरा ने कहा कि ऐसा कोई नीति नहीं है जिससे किसी का वीजा सिर्फ उसके विचारों के कारण रद्द किया गया हो। उन्होंने कहा कि सरकार केवल मौजूदा इमिग्रेशन कानूनों का पालन कर रही है।

दूसरी ओर मामले में विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ कांसुलर अफेयर्स के अधिकारी जॉन आर्मस्ट्रॉन्ग ने माना कि उन्होंने कुछ हाई-प्रोफाइल कार्यकर्ताओं, जैसे रुमैसा ओजतुर्क और महमूद खलील के वीजा रद्द करने में भूमिका निभाई। अदालत में ऐसे मेमो भी दिखाए गए जिनमें इनकी देश निकाले की सिफारिश की गई थी।



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