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लव के बहाने हेट परोसने वालों को संभल-बलरामपुर याद रहता तो बरेली न होता – I Love Muhammad controversy taukir raja Bareilly violence Yogi Adityanath Sambhal Chhangur Baba opns2


उत्तर प्रदेश में ‘आई लव मुहम्मद’ के नाम पर कई शहरों में अशांति फैलने के बाद बरेली में जो कुछ भी हुआ, उसमें किसी बड़ी साजिश के होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि शासन और प्रशासन की मुस्तैदी की वजह से मामला बहुत जल्दी शांत हो गया. माफिया, कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ सीएम योगी के जीरो टॉलरेंस के चलते यूपी में आई लव मुहम्मद विवाद बहुत जल्दी ही शांत पड़ गया. पर सवाल उठता है कि संभल, बलरामपुर आदि में कट्टरपंथियों के साथ इतनी सख्ती करने के बावजूद आखिर आसामाजिक तत्व बार-बार सिर क्यों उठा रहे हैं? इसके पीछे कौन लोग हैं, जिन्हें सरकार का इकबाल पर भरोसा नहीं रह गया है.

योगी का नारा माफिया को मिट्टी में मिला देंगे केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि व्यवहारिक कार्रवाई का प्रतीक है. हाल फिलहाल बरेली, संभल, बलरामपुर और गोंडा जैसे संवेदनशील जिलों में धार्मिक हिंसा, कट्टरपंथी गतिविधियां, अवैध धर्मांतरण (लव जिहाद) और माफिया गतिविधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन, गिरफ्तारियां, एनकाउंटर और संपत्ति जब्ती जैसी सख्त कार्रवाइयों ने योगी सरकार की छवि को मजबूत किया है. इसके बावजूद अगर कई शहरों में कट्टरपंथी तत्व सर उठा रहे हैं तो यह चिंता की बात है. 

1. योगी सरकार की समग्र रणनीति:

योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही पुलिस को खुली छूट दे दी. यहां तक कि कई बार इसके लिए उन पर नौकरशाही के आगे घुटने टेकने तक के आरोप लगे. पर 2017 से 2025 तक राज्य में अपराध दर में आई कमी यह साबित करने के लिए काफी है कि उन्होंने पुलिस को मॉरल डाउन नहीं होने दिया.

माफिया नेटवर्क को जिस तरह से बुलडोजर कार्रवाई, संपत्ति जब्ती और एनकाउंटर का सहारा लेकर खत्म किया गया, कमोबेश उसी तरह से कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ भी योगी सरकार एक्शन लेती रही. योगी सरकार ने अवैध मदरसे, मस्जिदें और धर्मांतरण केंद्रों पर छापेमारी करने में कोताही नहीं कि. अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे बहुबलियों के अंत करने में भी सरकार किसी भी तरह का कदम उठाने में पीछे नहीं रही. लव जिहाद, अवैध रूपांतरण और गजवा-ए-हिंद जैसी गतिविधियों पर जीरे टॉलरेंस वाली सख्ती दिखाई गई. सख्ती के चलते दंगे 2017 के पहले  700 से घटकर अब शून्य तक पहुंच गया है.

बरेली में कट्टरपंथी प्रदर्शनों और हिंसा के खिलाफ त्वरित कार्रवाई ने शहर को अशांत होने से बचा लिया. 26 सितंबर 2025 को मौलवी तौकीर रजा खान के नेतृत्व में प्रदर्शन के दौरान पुलिस से टकराव हुआ, जिसमें लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां हुईं. प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कर्फ्यू या जाम की अनुमति नहीं दी. तौकीर रजा खान को गिरफ्तार किया गया. रात भर हाउस-टू-हाउस सर्च ऑपरेशन चला, 500 संदिग्ध चिह्नित किए गए.

 पड़ोसी जिलों (रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, बदायूं, संभल, बिजनौर, अमरोहा) में हाई अलर्ट रखा गया. 27 सितंबर को लखनऊ में योगी ने कहा कि मौलाना भूल गया कि यूपी में किसकी सरकार है. हम ऐसा सबक सिखाएंगे कि आने वाली पीढ़ियां दंगा करने से कतराएंगी. 28 सितंबर को बलरामपुर में चेतावनी दी, बरेली जैसी पिटाई होगी. कोई सिस्टम को बंधक नहीं बना सकता. आई लव मुहम्मद प्रदर्शन को यूपी सरकार ने लव जिहाद और अवैध रूपांतरण से जोड़ा. योगी ने कहा, लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण और गौ तस्करी जैसी एंटी-नेशनल एक्टिविटी के खिलाफ सतर्क रहना होगा.

2. संभल में कट्टरपंथियों के मंसूबे ध्वस्त किए योगी ने

संभल जिले में नवंबर 2024 की हिंसा इसका जीवंत उदाहरण है, जहां कट्टरपंथी तत्वों ने शाही जामा मस्जिद के सर्वे को बहाना बनाकर दंगे भड़काने की साजिश रची गई. लेकिन योगी सरकार की त्वरित और सख्त कार्रवाई ने इन मंसूबों को ध्वस्त कर दिया. 

शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की यह घटना सांप्रदायिक तनाव का प्रतीक बनी, जिसमें चार लोग मारे गए, दर्जनों घायल हुए और शहर में अराजकता फैल गई. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति ने इसे एक मिसाल कायम करने का मौका दिया. योगी सरकार ने न केवल उपद्रवियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की, बल्कि इसे कानून-व्यवस्था की मजबूत नींव बनाने का संदेश भी दिया. हिंसा के तुरंत बाद योगी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए. उन्होंने कहा, अराजकता फैलाने की छूट किसी को नहीं, एक भी उपद्रवी बचना नहीं चाहिए.  

 पुलिस ने 2700 से अधिक लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज की, 25 गिरफ्तारियां कीं और इंटरनेट सेवाएं 48 घंटे के लिए बंद कर दीं. नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों से वसूली का प्लान बनाया गया.सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने वालों से ठीक कराने का खर्च वसूलने का फैसला हुआ.  योगी ने 5 दिसंबर 2024 को बैठक में स्पष्ट किया कि सड़क सभी के लिए है, अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं होगा.  

3-छांगुर बाबा का साम्राज्य तहस-नहस कर दिया

 इसी साल जुलाई में बलरामपुर जिले के मधुपुर निवासी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के अवैध रूपांतरण (लव जिहाद) रैकेट को योगी सरकार ने जिस तरह ध्वस्त किया वो अपने आप में एक एग्जांपल है. छांगुर बाबा का गिरोह गरीब और दलित परिवारों की युवतियों को निशाना बनाकर जबरन धर्मांतरण और शादियां करवाता था. इस कार्रवाई ने न केवल एक कुख्यात रैकेट का अंत किया, बल्कि उत्तर प्रदेश में सुशासन और सामाजिक न्याय का संदेश भी दिया.

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का गिरोह काफी समय से सक्रिय था. शिक्षा का लालच या प्रेम के झांसे में फंसाकर धार्मिक रूपांतरण करवाता था. प्रारंभिक जांच में विदेशी फंडिंग और कट्टरपंथी संगठनों से संबंध सामने आए. छांगुर बाबा का साम्राज्य उतरौला में एक महलनुमा घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और अवैध संपत्तियों पर टिका था. उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसीरिन युवतियों को फंसाने में मुख्य भूमिका निभाती थी. यह रैकेट इंडो-नेपाल सीमा के बलरामपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में सक्रिय था, जहां तस्करी और रूपांतरण का खतरा अधिक है.

5 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसीरिन को मधुपुर में छापेमारी कर गिरफ्तार किया. छापे में रूपांतरण से जुड़े दस्तावेज, फोन रिकॉर्ड और विदेशी फंडिंग के सबूत बरामद हुए. योगी ने इसे राष्ट्र-विरोधी साजिश करार दिया और सख्त कार्रवाई का आदेश दिया. 7 जुलाई 2025 को बुलडोजर एक्शन शुरू हुआ. छांगुर बाबा का महलनुमा घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान, जिनकी कीमत करोड़ों में थी, ध्वस्त कर दिए गए.

यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश अवैध धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम 2021 के तहत हुई. 10 अन्य सहयोगियों को हिरासत में लिया गया, उनके बैंक खाते फ्रीज किए गए, और संपत्तियां जब्त हुईं. छांगुर बाबा पर NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया, और जांच में 50 से अधिक धर्मांतरण मामले सामने आए.

4-तौकीर रजा का साम्राज्य भी तहस-नहस होगा

तौकीर रजा खान आला हजरत दरगाह के वारिस हैं, जो बरेली शरीफ में स्थित है. वे बरेलीवियों के धार्मिक गुरु हैं. तौकीर की राजनीति विवादास्पद रही है. बीएसपी और समाजवादी पार्टी की सरकार में उनका जलवा होता था.  उनकी दंगा भड़काने वाली बातें , 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों पर बयान, 2020 के CAA विरोध के चलते उनका मुसलमानों में ठीक ठाक है. सामूहिक निकाह कार्यक्रम, धर्म परिवर्तन के आरोप और विदेशी फंडिंग के मामले में सरकार उन पर शिकंजा कस चुकी है.

उत्तर प्रदेश के बरेली में सितंबर 2025 की हिंसा ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान के साम्राज्य को झकझोर दिया है. ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के नाम पर 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा जिसमें पथराव और पुलिस पर हमले हुए.

योगी आदित्यनाथ सरकार को कड़ा संदेश देने का मौका दिया. तौकीर रजा, जो बरेली के आला हजरत खानदान से ताल्लुक रखते हैं और सुन्नी मुसलमानों के धार्मिक-राजनीतिक नेता हैं, ने प्रदर्शन का आह्वान किया था. लेकिन अनुमति न मिलने के बावजूद भीड़ बेकाबू हो गई, जिसके नतीजे में 55 से ज्यादा गिरफ्तारियां, 2500 नामजद और इंटरनेट बंदी हुई.26 सितंबर को तौकीर के आह्वान पर ‘आई लव मुहम्मद’ (कानपुर पोस्टर फाड़े जाने के विरोध में) प्रदर्शन हुआ. भीड़ ने पथराव किया—पेट्रोल बम, हथियार बरामद हुए हैं. FIR में कहा गया कि हिंसा सोची-समझी साजिश हुई. लेटरहेड पर अपील को पुलिस ने सबूत माना है.

पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने लाठीचार्ज किया, 39 दंगाइयों को हिरासत में लिया. तौकीर को 27 सितंबर को NSA के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. 7 FIR में उनका नाम है. जाहिर है कि छूटना आसान नहीं होगा. अब तक 73 गिरफ्तार, जिसमें फायरिंग करने वाला ताजिम एनकाउंटर में घायल हुआ है. तौकीर के करीबी नफीस की 74 दुकानें सील हुईं हैं. मोहसिन रजा के घर पर बुलडोजर चला है. अवैध निर्माण का हवाला देकर तौकीर रजा से जुड़े ठिकानों पर छापे डाले गए हैं. योगी ने कहा है कि अराजकता फैलाने वालों को कुचल जाएगा.  जाहिर है तौकीर रजा के साम्राज्य की चूलें हिल गईं हैं. बस महल को मटियामेट करना है.

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