Navratri kalash Visarjan: शारदीय नवरात्र का महापर्व चल रहा है. यह त्योहार मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है. कहते हैं कि इस दौरान देवी की विधिवत पूजा से जीवन के सारे कष्ट सारी समस्याओं का निवारण हो जाता है. नवरात्र का शुभारंभ प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना यानी कलश स्थापना से होता है. इस दिन कलश स्थापित करके देवी का आवाहन किया जाता है. चौकी के बगल में जौ बोई जाती है. अखंड ज्योत जलाई जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्र समापन के बाद इन चीजों का क्या किया जाता है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
नवरात्र के बाद कलश का क्या करें?
महानवमी के साथ ही नवरात्र का समापन हो जाता है. शास्त्रों के जानकार कहते हैं कि यदि आपने घर में मिट्टी का कलश स्थापित किया है तो उसे नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए. यदि आपने पीतल, ताम्बे या अन्य किसी धातु का कलश स्थापित किया है तो उसे संभालकर भी रखा जा सकता है. ताकि अगले नवरात्र में उसका पुन: प्रयोग किया जा सके.
कलश के नारियल का क्या करें?
नवरात्र की महानवमी पर कलश पर रखे नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है. इस नारियल का एक टुकड़ा प्रसाद के रूप में कन्याओं की थाली में भी रखा जाता है.
कलश के जल का क्या करें?
नवरात्र की महानवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद कलश में मौजूद जल को घर के अलग-अलग हिस्सों में छिड़क देना चाहिए. कहते हैं कि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. आप इसके जल को तुलसी को भी अर्पित कर सकते हैं.
अखंड ज्योत
नवरात्र के समापन पर अखंड ज्योत को खुद से न बुझाएं. तेल या घी समाप्त होने पर यह अपने आप बुझ जाती है. इसके बाद आप इसकी बाती को मिट्टी के कलश और अन्य पूजन सामग्री के साथ नदी में विसर्जित कर सकते हैं. जबकि दीये को मंदिर में नई बाती लगाकर प्रज्वलित कर सकते हैं.
कलश का सिक्का
घटस्थापना पर कलश से पहले उसके अंदर एक सिक्का रखा जाता है. कलश का जल निकालने के बाद इस सिक्के को भी निकाल लें और उसे धन के स्थान या तिजोरी में रख दें. यदि आप व्यापारी हैं तो उसे दुकान के गल्ले में रखना भी शुभ होगा.
जौ
नवरात्र में उगाई जाने वाली जौ को भी नवमी तिथि पर विसर्जित करने की पारंपरिक है. नवरात्र के बाद इन्हें यूं ही कहीं भी नहीं फेंक देना चाहिए. बल्कि किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए.
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