लॉरेंस बिश्नोई गैंग को कनाडियन क्रिमिनल कोड के तहत टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन माना जा चुका. आरोप है कि समूह हत्या, वसूली और कई तरह के अपराध करता रहा. आतंकवादी सूची में शामिल होने का मतलब है कि गैंग की कनाडा में मौजूद संपत्ति जब्त हो सकती है. क्या कनाडा ने यह कदम इंटेलिजेंस‑लीड पर ही उठा लिया, या फिर भारत से कनेक्शन रखने वाले गुट को लेकर द्विपक्षीय बातचीत भी की?
लॉरेंस गैंग ने किया क्या था
पिछले साल कनाडा के वैंकूवर में बसे एक पंजाबी गायक के घर के बाहर गोलीबारी हुई. इसकी जिम्मेदारी खुद गैंग ने ली. उन्होंने कहा कि चूंकि गायक ने सलमान खान के साथ वीडियो की थी, इसलिए उन्हें सबक सिखाने के लिए ये कदम लिया गया. गिरोह कनाडा के कई हिस्सों में सक्रिय है, जिनमें ब्रिटिश कोलंबिया से लेकर अल्बर्टा तक हैं. एजेंसियों का कहना है कि इसके लोगों ने पिछले तीन सालों में 50 से ज्यादा हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया, जिसमें लोगों के घरों पर हमले से लेकर जबरन वसूली तक शामिल है.
इसके बाद से ही वहां माहौल बनने लगा कि लॉरेंस गैंग को कमजोर किया जाए. हाल में लॉरेंस गैंग को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया. सरकार ने माना कि गैंग की वजह से कनाडा में बसे भारतीय असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
क्या असर हो सकता है इसका
अब लॉरेंस गैंग की वहां मौजूद सारी संपत्ति फ्रीज या फिर जब्त की जा सकती है. इसमें मकान-दुकान-पैसे सब शामिल हैं. संगठन से जुड़े लोगों के आने-जाने पर एजेंसियां नजर रखेंगी और रोक भी लगा सकती हैं. अगर कोई अप्रत्यक्ष तौर पर लॉरेंस समूह को सहयोग करे तो वो भी अपराधी माना जाएगा.

क्या इसके लिए भारत सरकार से बात की गई
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि ये कदम पूरी बातचीत के बात उठाया गया. कुल समय पहले कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नथाली ड्रोइन ने भारत का दौरा किया था, जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से हुई. माना जा रहा है कि ये स्टेप उसके बाद ही लिया गया.
इसके अलावा इंटरनल प्रोसेस भी हुई. किसी भी संगठन या शख्स को यूं ही आतंकी घोषित नहीं किया जा सकता, बल्कि इसकी पूरी प्रक्रिया होती है. एजेंसियां जांच करती और सबूत जुटाती हैं कि फलां संगठन आतंकी हमलों में इनवॉल्व रहा. इसके बाद मामला कैबिनेट तक जाता है और मंजूरी मिलती है. आतंकी सूची में आने के बाद इसकी सूचना सार्वजनिक कर दी जाती है.
लॉरेंस गैंग ही नहीं, कनाडा पहले भी ऐसे ट्रांसनेशनल गैंग्स को आतंकवादी घोषित कर चुका. इसी फरवरी में सात समूहों को टैररिस्ट एन्टिटी माना गया, जिनपर उसे हत्या, तस्करी और कई गंभीर अपराधों की लीड मिली थी. बाहरी और घरेलू को मिलाकर 80 से ज्यादा संगठन हैं, जिन्हें कनाडाई सरकार आतंकी मान चुकी.

क्या मूल देश से सलाह ली जाती है
ये जरूरी नहीं. कई बार द्विपक्षीय बात होती है तो कई बार देश अकेले फैसला भी ले लेते हैं. इंटेलिजेंस अगर सबूत जुटा ले और कैबिनेट की हामी मिल जाए तो संगठन आतंकी घोषित हो जाता है. मूल देश, जिससे आतंकी संबंध रखता है, अगर वो मजबूत हो तो सुरक्षा सहयोग के तहत उससे बात भी की जाती है, लेकिन ये कूटनीतिक बात होती है, जिससे दूसरा पक्ष अनजान न रहे.
सलाह न लेना ला सकता है मुसीबत
कई बार किसी विदेशी संगठन को आतंकी घोषित करना राजनीतिक और कूटनीतिक पचड़ों में डाल सकता है. जैसे, कुछ साल पहले अमेरिका ने ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को फॉरेन टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन की लिस्ट में डाल दिया. रिवोल्यूशनरी गार्ड ईरान की सेना का हिस्सा है. उसने इसका कड़ा विरोध किया और जवाब में अमेरिकी सेंट्रल कमांड को ही आतंकी कह डाला. किसी विदेशी संगठन को आतंकियों की लिस्ट में डाल देने से कई बार देश कूटनीतिक मसलों में फंस जाते हैं. यही वजह है कि ऐसे फैसलों में अक्सर दोतरफा बातचीत होती है.
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