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Navratri 2025 6th Day: मां कात्यायनी की पूजा कल, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि – navratri 6th day maa katyayani puja Vidhi shubh muhurat tvisz


कल 28 सितंबर को नवरात्र की छठी तिथि है. नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है.मां कात्यायनी दुर्गा के नौ रूपों की छठी माता हैं. चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी का एक हाथ वर मुद्रा तो दूसरा अभय मुद्रा में रहता है. वहीं एक हाथ में उन्होंने तलवार तो दूसरे हाथ में उन्होंने कमल का फूल ले रखा है. देवी दुर्गा के समान मां कात्यायनी भी सिंह की सवारी करती हैं. जिन्हें माता के शक्तिशाली स्वरूपों में से एक माना जाता है. इस दिन माता की पूजा करने से व्यक्ति की बाधाएं दूर होती है, विवाह के योग बनते हैं. और इंसान को शक्ति , विश्वास और सफलता मिलती है. 

कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा?

छठे दिन सूर्योदय से पहले स्नान-ध्यान करें. ईशान कोण में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. इसके बाद पवित्र जल से छिड़काव करने के बाद माता को पीले वस्त्र और पुष्प अर्पित करें. धूप-दीप, फल-फूल, रोली-अक्षत और पीली मिठाई से मां की पूजा करें. पूजा के समय मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” और वंदना मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है. 

शुभ मुहूर्त

कल पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा और 6 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. अमृत काल शाम 6 बजकर शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. 

मां कात्यायनी के भोग
मां कात्यायनी को पीली मिठाई और पीले फल विशेष प्रिय हैं. इसलिए छठे दिन कोई भी पीली मिठाई और पीले वस्त्र माता को अर्पित करना चाहिए.

मां कात्यायनी का वंदना मंत्र  

कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी. 
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः.

मां कात्यायनी की पूजा का महाउपाय

मां कात्यायनी की आराधना को विशेष महत्व दिया गया है. ऐसा माना जाता है कि उनकी उपासना से सभी संकट दूर होते हैं, और साधक की हर मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के विवाह में अड़चनें आ रही हों, तो नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा में खड़ी हल्दी और पीले पुष्प अर्पित करने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर हो जाती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है.

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