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छात्राओं का यौन शोषण: फरार स्वामी चैतन्यानंद पर BNS की इन धाराओं में केस दर्ज, दोषी होने मिलेगी ये सजा – delhi ews girls sexual harassment case swami chaitanyanand saraswati srisiim ntcpvz


Fugitive Swami Sexual Exploitation Delhi: स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी या डॉ. पार्थसारथी लंबे अरसे से दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में मौजूद श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SRISIIM) से जुड़ा था. वह संस्थान का चांसलर और डायरेक्टर था. वो संस्थान में पढ़ने वाली आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की लड़कियों को अपना शिकार बनाता था. उनका यौन उत्पीड़न करता था. विरोध करने पर उन्हें प्रताड़ित करता था. स्कॉलरशिप पाने वाली PGDM की छात्राओं ने उस पर यौन शोषण, छेड़छाड़ और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. पुलिस ने उसके खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं.

यह संस्थान श्री शारदा पीठम, कर्नाटक से संबद्ध है. दिल्ली में इसका हॉस्टल भी है. जहां से यह शर्मनाक मामला सामने आया है. जब से पाखंड़ी बाबा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. तब से वो फरार चल रहा है. और दिल्ली पुलिस उसकी तलाश में जुटी है.

4 अगस्त 2025 को दिल्ली के वसंत कुंज नॉर्थ पुलिस स्टेशन में श्री शारदा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन मैनेजमेंट में यौन उत्पीड़न की चौंकाने वाली घटना का खुलासा होने के बाद श्री श्रींगेरी मठ के प्रशासक पी. ए. मुरली ने चैतन्यनंद सारस्वती उर्फ पार्थ सारथी के खिलाफ ईडब्ल्यूएस छात्राओं के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप लगाया. पुलिस ने इस सिलसिले में 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए. जिनमें अवांछित शारीरिक संपर्क, आपत्तिजनक संदेश और संस्थान के कुछ कर्मचारियों द्वारा दबाव डालने की बातें सामने आईं. फिर कई जगहों पर छापेमारी की गई. सबूत और रिकॉर्ड जब्त किए गए. जिनका फोरेंसिक विश्लेषण चल रहा है.

पुलिस ने इस संबंध में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 75(2), 79, 351 (2) के तहत FIR दर्ज की है. ये सभी धाराएं छात्राओं के यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़, धमकी और धोखाधड़ी पर आधारित हैं. 

बीएनएस (BNS) धारा 75 (2) 
यह धारा कहती है, ‘जो कोई व्यक्ति धारा 75(1) के खण्ड (i), (ii) या (iii) में वर्णित किसी कृत्य को करता है, वह दोषी ठहराया जाएगा और उस व्यक्ति को निम्न दंड दिया जाएगा- तीन वर्ष तक का कारावास (rigorous imprisonment) या जुर्माना या दोनों. यानी अगर अपराध शारीरिक संपर्क, यौन प्रस्ताव या अश्लील सामग्री दिखाने से संबंधित हो, तो न्यायालय अधिकतम तीन वर्ष की जेल या जुर्माना लगा सकती है. 

इस धारा में यह ज़रूरी नहीं कि कृत्य सार्वजनिक हो. निजी संवाद, संदेश, डिजिटल माध्यम आदि से भी अपराध हो सकता है. दोष सिद्ध होने पर यह अपराध संज्ञेय माना जाता है और गिरफ्तारी व न्यायालयीन प्रक्रिया हो सकती है. न्यायालय आरोपी की सजा तय करते समय मामले की गंभीरता, सबूत, आरोपी की भूमिका आदि को ध्यान में रखेगी.

बीएनएस (BNS) धारा 79 
धारा 79 इस प्रकार है, ‘यदि किसी व्यक्ति द्वारा कोई शब्द, इशारा या कार्य किया जाए, जिससे किसी महिला की लज्जा (modesty) को ठेस पहुंचने का इरादा हो, तो वह अपराध माना जाएगा. यहां शारीरिक संपर्क आवश्यक नहीं है. शब्द, अभद्र टिप्पणी, अश्लील इशारा आदि… जो महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाएं वह भी अपराध है. आरोपी का इरादा (intention) यह होना चाहिए कि उसके कथन या कृत्य से महिला की लज्जा भंग हो- केवल अनजाने में या परिस्थिति विहीन टिप्पणी नहीं होगी.

धारा 79 के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को तीन वर्ष तक की जेल (carceration) या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इस धारा को निर्दिष्ट रूप से जमानती (bailable) अपराध माना गया है. यानि आरोपी को जमानत मिलने की संभावना होती है.

उदाहरण के तौर पर किसी सार्वजनिक या निजी स्थान पर किसी महिला पर अश्लील टिप्पणी करना. किसी महिला की ओर अश्लील इशारे करना. किसी महिला का पीछा करना या उसे बार-बार मैसेज करके परेशान करना (यदि टिप्पणी या इशारा महिला की लज्जा को ठेस पहुंचाएं). किसी महिला की तस्वीर/वीडियो बनाना और उसे अपमानजनक रूप में पोस्ट करना, यदि उसका इरादा सम्मान को ठेस पहुंचाना हो.

बीएनएस (BNS) धारा 351 
धारा 351 आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation) से संबंधित है. यह अपराध निम्नलिखित रूपों को सम्मिलित करती है- किसी व्यक्ति को डराने, धमकी देने या किसी कार्य के लिए मजबूर करने की कोशिश करना. धारा 351 में चार उपधाराएं (1), (2), (3), (4) हैं, जिनमें अलग-अलग स्थितियों और दंड का प्रावधान है:

– 351(1): सामान्य धमकी – किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा, सम्मान या सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना.
– 351(2): उक्त उपधारा (1) के अपराध के लिए दंड निर्धारित करना. 
– 351(3): गंभीर धमकियां – जान से मारने, गंभीर चोट पहुंचाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना.
– 351(4): गुमनाम / अज्ञात स्रोत से धमकी- जब धमकी देने वाला अपना नाम या पता छिपाता हो. 

बीएनएस (BNS) धारा 351 (2) 
धारा 351(2) कहती है, ‘जो कोई व्यक्ति धारा 351(1) के अपराध का दोषी पाया जाता है, उसे दो वर्ष तक की कैद (imprisonment) और जुर्माना (fine) या दोनों दंड दिए जा सकते हैं. 

इसका अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति सामान्य स्तर की धमकी देता है (जो उपधारा 1 में आती है), तो अधिकतम दंड 2 वर्ष तक की जेल और जुर्माना हो सकता है. यह अपराध जमानती (bailable) माना गया है. यानी आरोपी को जमानत मिलने की संभावना है. गुमनाम/अज्ञात धमकी देना एक विशेष आपराधिक स्थिति बनाती है, जिसे कड़ी सजा हो सकती है.

कैसे सामने आया यौन उत्पीड़न का मामला
28 जुलाई 2025 को पूर्व छात्रा का ईमेल के ज़रिए एक लेटर IAF ग्रुप कैप्टन को मिला. 3 अगस्त को मठ की मीटिंग में 30 छात्राओं ने शिकायत की. 4 अगस्त को PA मुरली (मठ एडमिनिस्ट्रेटर) ने वसंत कुंज नॉर्थ थाने में शिकायत दर्ज कराई. 32 छात्राओं के बयान लिए गए, जिनमें से 17 ने सीधे पाखंडी बाबा पर आरोप लगाए. 16 बयान पटियाला हाउस कोर्ट में दर्ज किए गए.

इस शर्मनाक खुलासे के बाद 9 अगस्त को मठ ने स्वामी को पदमुक्त किया और उससे सभी संबंध तोड़ लिए. मामला दर्ज होते ही चैतन्यानंद सरस्वती फरार हो गया. पुलिस ने उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया. उसकी आखिरी लोकेशन आगरा में ट्रेस की गई, पुलिस को शक है कि वह रूप बदलकर फरार हो गया. वो फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट के इस्तेमाल से बच रहा है. उसके ठिकाने से वॉल्वो कार (फर्जी UN नंबर प्लेट 39 UN 1) जब्त की गई. साथ ही एक BMW सेडान भी मिली है. यौन शोषण और धोखाधड़ी के मामले में अब पुलिस दिल्ली, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान में उसकी तलाश कर रही है.

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