अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बीते दिनों अमेरिका के लिए एक बड़ी चेतावनी दी है. बेसेंट का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ को अवैध ठहराने वाले निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखता है, तो सरकार को सैकड़ों अरबों डॉलर का रिफंड करना पड़ सकता है. यानी अमेरिका की इकोनॉमी में भारी नुकसान की संभावना है.
बेसेंट ने चेतावनी दी है कि इस कदम से ट्रेजरी को भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और कामकाज भी प्रभावित होगा. एनबीसी के मीट द प्रेस कार्यक्रम में बोलते हुए बेसेंट ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत के फैसले बरकरार रखता है, तो हमें करीब आधे टैरिफ पर रिफंड देना होगा, जो अमेरिका के लिए बुरा होगा.
सर्वोच्च न्यायालय अब ट्रंप सरकार के उस अनुरोध की समीक्षा कर रहा है, जिसमें संघीय अपील कोर्ट के 29 अगस्त के फैसले को पलटने की मांग की गई थी. कोर्ट ने ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले को अवैध ठहराया था. जिसके बाद ट्रंप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी.
निचली अदालत ने क्या कहा था?
अमेरिकी संघीय सर्किट अपील कोर्ट ने 7-4 वोटों से फैसला सुनाया कि टैरिफ लगाना ‘कांग्रेस की एक प्रमुख शक्ति’ है और राष्ट्रपति के एकतरफा अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट द्वारा मई में दिए गए एक पूर्व फैसले में भी टैरिफ को गैरकानूनी घोषित किया गया था.
750 अरब डॉलर का नुकसान!
ट्रंप सरकार के एक डॉक्यूमेंट के मुताबिक, अगर सुप्रीम कोर्ट इन फैसलों को बरकरार रखता है तो सरकार को 750 अरब डॉलर से 1 ट्रिलियन डॉलर तक का रिफंड करना पड़ सकता है. 24 अगस्त तक अमेरिकी व्यवसायों ने 210 अरब डॉलर से ज्यादा के टैरिफ का पेमेंट किया है, जिसे अब अवैध माना जा रहा है.
नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर केविन हैसेट ने CBS के साथ एक अलग इंटरव्यू में सुझाव दिया कि सरकार के पास अभी भी सेक्शन 232 जैसे अन्य कानूनी प्राधिकार हैं, जिसका उपयोग स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ को उचित ठहराने के लिए किया गया था.
बेसेंट ने कोर्ट के फैसले के बाद अन्य ऑप्शन का भी संकेत दिया. बेसेंट ने कहा कि इस कानूनी अड़चनों के बावजूद ट्रंप ने टैरिफ को बहाल करने और व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है.
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