गाजा में जारी युद्ध और इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ इटली समेत कई यूरोपीय देशों में पिछले कुछ समय से बड़े पैमाने पर प्रो-फिलिस्तीन प्रदर्शन हो रहे हैं. सोमवार को जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ्रांस समेत छह अन्य देश फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे रहे थे तब इटली के दर्जनों शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन भड़क गए.
प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा जैसे यूरोपीय देशों की तरह इटली को भी फिलिस्तीन को मान्यता देनी चाहिए. हालांकि, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने साफ किया है कि जब तक फिलिस्तीन वास्तव में एक राष्ट्र नहीं बन जाता, कागज पर मान्यता का कोई मतलब नहीं है.
मेलोनी ने इटली के अखबार ला रिपब्लिका से कहा था, ‘अगर कागज पर किसी ऐसी चीज को मान्यता दे दी जाए जो अस्तित्व में नहीं है, तो ऐसा लग सकता है कि समस्या हल हो गई लेकिन जमीन पर समस्या हल नहीं होगी.’
इटली में आयोजित प्रदर्शन कई जगह शांतिपूर्ण रहे लेकिन ट्यूरिन, मिलान, फ्लोरेंस और रोम जैसे शहरों में प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU), और इजरायल के झंडे जलाए और सरकारी इमारतों को निशाना बनाया.
लेट्स ब्लॉक एवरीथिंग’ नारा और हिंसक झड़पें
‘लेट्स ब्लॉक एवरीथिंग’ (सब कुछ रोक दो) नारे के तहत प्रदर्शनकारियों ने इटली सरकार से इजरायल के साथ सभी व्यावसायिक और सैन्य सहयोग सस्पेंड करने की मांग की. उन्होंने Global Sumud Flotilla इनिशिएटिव का समर्थन भी जताया, जिसके तहत 50 से ज्यादा छोटी नावें इजरायल की नौसैनिक नाकाबंदी तोड़कर गाजा तक मानवीय सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं.
प्रदर्शन के आयोजकों ने बताया कि उत्तरी शहर मिलान में 50,000 लोग प्रदर्शन में शामिल हुए. वहीं, बोलोग्ना पुलिस ने बताया कि उनके शहर में 10,000 से अधिक लोग सड़कों पर उतरे.
लेकिन मिलान में तनाव उस वक्त बढ़ गया जब दर्जनों प्रदर्शनकारी काले कपड़ों में, डंडों के साथ, शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन का दरवाजा तोड़ने की कोशिश करने लगे. उन्होंने पुलिस पर स्मोक बम, बोतलें और पत्थर फेंके. इसके जवाब में पुलिस ने पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया.
बोलोग्ना में प्रदर्शनकारियों ने एक मेन रोड को ब्लॉक कर दिया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया.
इटली के अलावा फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, हंगरी, अमेरिका (न्यूयॉर्क) में भी फिलिस्तीन के समर्थन में लगातार प्रदर्शन देखे जाते रहे हैं.
इटली में मजदूर दिवस पर अमेरिका, इजरायल झंडे जलाए गए
1 मई 2025 को ट्यूरिन में आयोजित मजदूर दिवस मार्च के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम इजरायल, अमेरिका और यूरोपीय संघ के झंडे जलाए.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना के पीछे Askatasuna collective, Social Bloc और कुछ अन्य वामपंथी संगठनों का हाथ था. ये समूह लंबे समय से इटली में सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर प्रदर्शन करते रहे हैं और फिलीस्तीन मुद्दे पर भी सक्रिय हैं.
इटैलियन न्यूज एजेंसी LaPresse के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यूरोप और अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल को समर्थन देकर गाजा में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं. उनका कहना है कि यूरोपीय देशों की नीतियां फिलीस्तीन के नागरिकों के खिलाफ ‘जुल्म और नरसंहार’ को बढ़ावा दे रही हैं.
रोम में हजारों की भीड़, ‘स्टॉप द जेनोसाइड’ के नारे
सितंबर 2025 में रोम में एक बड़े प्रदर्शन में हजारों लोग सड़कों पर उतरे. प्रदर्शनकारियों ने मेलोनी की सरकार पर आरोप लगाया कि वो इजरायल को हथियार और कूटनीतिक समर्थन दे रही है. इस दौरान ‘Free Palestine’, ‘Stop the genocide’ और ‘Hands off Gaza’ जैसे नारे लगाए गए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्रदर्शनों में शामिल लोगों में छात्र संगठन, मजदूर यूनियनें, एक्टिविस्ट्स और फिलीस्तीन समर्थक नागरिक शामिल थे.
कौन हैं ये प्रदर्शनकारी?
यूरोपीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हिंसक प्रदर्शनों के पीछे मुख्य रूप से ये समूह सक्रिय हैं:
रेडिकल वामपंथी संगठन (Radical Left Groups), Social Bloc, Askatasuna Collective जैसे संगठनों का नाम कई रिपोर्ट्स में आया है. ये समूह यूरोप और अमेरिका की नीतियों का कड़ा विरोध करते हैं और फिलीस्तीन मुद्दे पर बेहद मुखर हैं.
छात्र संगठन और यूनिवर्सिटी नेटवर्क्स- कई विश्वविद्यालयों में फिलीस्तीन समर्थक छात्र समूह सक्रिय हैं. ये समूह विरोध मार्च आयोजित करते हैं और सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों को लामबंद करते हैं.
इटली और अन्य यूरोपीय देशों में रहने वाले फिलीस्तीनी और अरब समुदाय भी इन प्रदर्शनों में शामिल होते हैं. ये लोग गाजा और वेस्ट बैंक में अपने परिवार और रिश्तेदारों की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाते हैं.
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