भारतीय सेना को अमेठी की इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) से 5000 नए AK-203 राइफल्स मिले हैं. ये राइफल्स मेक इन इंडिया के तहत बनाए जा रहे हैं. ये पुरानी INSAS राइफल्स को पूरी तरह बदल देंगे.
AK-203 राइफल्स: नया हथियार, नई ताकत
भारतीय सेना को हाल ही में 5000 AK-203 राइफल्स की नई खेप मिली है. ये राइफल्स उत्तर प्रदेश के अमेठी में कोरवा ऑर्डनेंस फैक्ट्री में बने हैं. अब तक IRRPL ने सेना को 53000 AK-203 राइफल्स दे दिए हैं. इन राइफल्स का सख्त टेस्टिंग के बाद डिलीवरी हुई, जिसमें डायरेक्टर जनरल क्वालिटी एश्योरेंस (DGQA) ने हिस्सा लिया. इन राइफल्स में अब तक कोई शिकायत नहीं आई है, जो इनकी गुणवत्ता दिखाता है.
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मेक इन इंडिया और स्वदेशीकरण
AK-203 का उत्पादन 2019 में शुरू हुए इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के तहत हो रहा है. यह भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की 49.5% है. 5200 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में 6.1 लाख राइफल्स बनाने का लक्ष्य है.
अभी 50% स्वदेशीकरण हो चुका है. अक्टूबर 2025 तक 70% और दिसंबर 2025 तक 100% स्वदेशीकरण होगा. इसके बाद…
- हर महीने 12,000 राइफल्स बनेंगे.
- हर 100 सेकंड में एक राइफल तैयार होगी.
- सालाना 1.5 लाख राइफल्स बनेंगी.
यह पूरा ऑर्डर दिसंबर 2030 तक पूरा हो जाएगा, जो तय समय (दिसंबर 2032) से 22 महीने पहले है. रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर 100% पूरा हो चुका है. राइफल का नया नाम ‘शेर’ रखा गया है, जो इसकी ताकत को दर्शाता है.
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AK-203 की खासियतें
AK-203 राइफल्स आधुनिक और विश्वसनीय हैं. इसकी खासियतें…
- वजन: 3.8 किलो (INSAS से हल्की, जो 4.15 किलो है).
- फायरिंग रेट: प्रति मिनट 700 राउंड.
- रेंज: 800 मीटर तक.
- गोला-बारूद: 7.62x39mm कार्ट्रिज, जो INSAS के 5.56x45mm से ज्यादा ताकतवर.
- फीचर्स: टेलीस्कोपिक बटस्टॉक, बेहतर रीकॉइल कंट्रोल और मॉडर्न ऑप्टिक्स सपोर्ट.
यह राइफल आतंकवाद विरोधी और सीमा पर ऑपरेशन्स के लिए बेहतर है. यह लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) और लाइन ऑफ एक्टुअल कंट्रोल (LAC) पर तैनात सैनिकों के लिए बनाई गई है.
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INSAS को अलविदा
भारतीय सेना 1990 से INSAS राइफल्स का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन इसमें जाम होने, मैगजीन टूटने और कठिन परिस्थितियों में खराब प्रदर्शन की शिकायतें थीं. AK-203 इसे पूरी तरह बदल देगी. पहले जरूरत के लिए 70000 AK-103 राइफल्स रूस से आयात किए गए थे, लेकिन अब AK-203 का उत्पादन भारत में ही हो रहा है.
निर्यात की संभावना
AK-203 की गुणवत्ता ने अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों का ध्यान खींचा है. कई देश इसे खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. IRRPL भविष्य में भारत की पैरामिलिट्री फोर्सेज और अन्य देशों को भी ये राइफल्स सप्लाई कर सकता है. यह भारत को हथियार निर्यात में एक नया स्थान दिलाएगा.
अमेठी का कोरवा प्लांट
अमेठी का कोरवा प्लांट 8.5 एकड़ में फैला है. देश का सबसे अच्छा स्मॉल आर्म्स टेस्टिंग लैब यहीं है. यहां 260 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें रूसी विशेषज्ञ भी शामिल हैं. भविष्य में 537 कर्मचारी होंगे, जिनमें 90% भारतीय होंगे. मेजर जनरल एस.के. शर्मा IRRPL के CEO हैं, जो इसे ब्रह्मोस प्रोजेक्ट का छोटा भाई कहते हैं.
चुनौतियां और समाधान
शुरुआत में कोविड-19, रूस-यूक्रेन युद्ध और कीमतों पर मतभेद से देरी हुई. लेकिन अब उत्पादन तेजी से चल रहा है. 60 महत्वपूर्ण पार्ट्स का स्वदेशीकरण हो चुका है. हर पार्ट के लिए वैकल्पिक भारतीय सप्लायर तैयार हैं. कास्टिंग और मेटल की चुनौतियों को कानपुर की स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री ने हल किया, जो रूसी GOST स्टैंडर्ड के बराबर है.
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