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हेल्थ लें या टर्म इंश्योरेंस, अब हुए GST फ्री… ₹30000 के प्रीमियम पर सीधे बचेंगे 5400 रुपये – Insurance GST Zero know how much save Rs 30000 Monthly premium payment tutc


सरकार ने देश में जीएसटी रिफॉर्म्स लागू कर दिए हैं और आज 22 सितंबर से तमाम सामानों और सुविधाओं पर लोगों को बड़ी राहत मिली है. जहां दूध, घी, तेल से लेकर TV-AC और कार-बाइक तक सस्ती हो गई हैं, तो वहीं लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाला जीएसटी जीरो हो गया है. जी हां, ये अब टैक्स फ्री हो गया है, जिसका असर पॉलिसी होल्डर्स को प्रीमियम भुगतान पर देखने को मिलेगा और उन्हें कम पैसा देना होगा. आइए कैलकुलेशन से समझते हैं कि 10,000 रुपये और 30000 रुपये के मासिक इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट पर कितनी बचत होगी? 

18% लगता था टैक्स, अब हुआ ‘जीरो’
नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म के तहत जरूरी सामानों और सेवाओं पर नए सिरे से जीएसटी रेट्स लागू किए गए हैं. पहले लागू 12% और 28% के स्लैब को खत्म किया गया है, तो इनमें शामिल चीजों को 5% और 18% के स्लैब में डाल दिया गया है. बात अगर इंश्योरेंस पर लागू जीएसटी की करें, तो अब इसे शून्य कर दिया गया है. सरकार ने लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए पॉलिसीहोल्डर्स को ये बड़ा तोहफा दिया है. अब तक लाइफ-हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 18 फीसदी की दर से ही जीएसटी लागू था. 

देश में जब 1 जुलाई 2017 को तमाम टैक्सों को खत्म करते हुए सरकार ने जीएसटी लागू किया था, उसके बाद से इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले टैक्स में ये पहली और फुल कटौती है. ये बदलाव सभी पर्सनल यूलिप प्लान, फैमिली फ्लोटर प्लान, सीनियर सिटीजंस प्लान समेत टर्म प्लान पर भी लागू हो गया है.

प्रीमियम पेमेंट पर बचत का कैलकुलेशन
अब बताते हैं कि आपको अपनी इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट पर कितनी बचत होती है. इसकी कैलकुलेशन बेहद ही आसान है. अगर आपकी पॉलिसी का मंथली बेस प्रीमियम 30,000 रुपये था, तो उस पर 18% जीएसटी के हिसाब से 5400 रुपये मंथली जोड़कर 35,400 रुपये का पेमेंट करना होता था. लेकिन अब जीरो जीएसटी होने पर प्रीमियम पर टैक्स की अतिरिक्त लागत नहीं देनी होगी और सिर्फ बेस प्रीमियम का पेमेंट ही करना होगा. वहीं अगर किसी का प्रीमियम 10,000 रुपये है, तो उसे इस हिसाब से सीधे 1800 रुपये की बचत होगी. 

अगर टर्म इंश्योरेंस की बात करें, तो ये भी अब पहले से काफी सस्ता हो गया है. मान लीजिए आपने 30 साल की उम्र में 1 करोड़ रुपये का टर्म इंश्योरेंस लिया है, तो आपका सालाना प्रीमियम करीब 15000 रुपये बनता था. इस पर बचत का कैलकुलेशन देखें, तो…

बेस प्रीमियम- 15000 रुपये

18% जीएसटी- 2700 रुपये

कुल प्रीमियम- 17,700 रुपये

लेकिन, अब जबकि सरकार ने इसे जीएसटी से फ्री कर दिया है और जीरो जीएसटी कैटेगरी में डाल दिया है, तो पॉलिसी होल्डर पर पड़ने वाला 18 फीसदी टैक्स का अतिरिक्त 2,700 रुपये का बोझ कम हो जाएगा और उसे 15,000 रुपये ही खर्च करने होंगे. 

फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस पर कितनी बचत? 
वहीं अगर कोई व्यक्ति फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस लेता है, तो उसे भी अब काफी पैसा बचने वाला है, क्योंकि यहां भी जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर जीरो कर दिया गया है. मान लीजिए, आपकी उम्र 35 साल और आपकी पत्नी की उम्र 33 साल है, इसके साथ ही आपके दो बच्चे हैं. पूरी फैमिली के लिए 10 लाख कवर का प्रीमियम औसतन सालाना 25,000 रुपये होता है. उस पर 18% GST लगता था, जो 4500 रुपये होता था, यानी कुल 29,500 रुपये भरना होता था. लेकिन अब जीएसटी नहीं लगेगा, इसलिए सीधे-सीधे 4500 रुपये बचने वाला है.

बीमा कंपनियों के ITC का अब क्या? 
बीमा प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर करते हुए जहां सरकार ने पॉलिसीहोल्डर्स को बड़ी राहत दी है, तो वहीं बीमा कंपनियों के आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर भी रुख साफ किया है. बीते दिनों केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा था कि बीमा कंपनियां 22 सितंबर से हेल्थ-लाइफ इंश्योरेंस के लिए कमीशन और ब्रोकरेज समेत अन्य के लिए चुकाए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगी. ऐसे में बड़ा सवाल ये कि इसकी भरपाई कंपनियां कैसे करेंगी.  

बता दें कि बीमा कंपनियां ग्राहकों से बेस प्रीमियम पर जीएसटी वसूलती थीं, तो मार्केटिंग, ऑफिस किराए समेत अन्य चीजों पर GST चुकाती भी हैं और इन खर्चों को प्रीमियम पर टैक्स से मिली राशि से समायोजित करने के बाद सरकार को देती हैं. अब इन खर्चों को लेकर कंपनियां कोई दावा नहीं कर पाएंगी. सरकार के इस कदम के बाद बीमा कंपनियों को इनपुट लागत बढ़ने पर अपने खर्चों पर दिए जाने वाले टैक्स का बोझ खुद उठाना होगा, ऐसे में ये संभावनाएं भी जताई जा रही हैं कि कंपनियां ग्राहकों पर बोझ डालते हुए अतिरिक्त लागत को उनके बेस प्रीमियम में जोड़ सकती है.

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