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भारत ने यूएनजीए प्रस्ताव का किया समर्थन, फिलिस्तीन के नेता 25 सितंबर को वीडियो संदेश से देंगे संबोधन – India Supports Palestine Mahmoud Abbas UN General Assembly Meeting NTC


भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में एक अहम प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास को आने वाले उच्च स्तरीय सत्र में वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करने की अनुमति दी गई है. यह कदम तब उठाया गया जब अमेरिका ने फिलिस्तीनी अधिकारियों को वीजा देने से मना कर दिया और कुछ के वीजा रद्द भी कर दिए, जिससे उनकी व्यक्तिगत मौजूदगी नामुमकिन हो गई.

193 सदस्यीय महासभा में ‘पार्टिसिपेशन बाय द स्टेट ऑफ़ फ़लस्तीन’ शीर्षक से प्रस्ताव रखा गया. इस पर 145 देशों ने समर्थन दिया, जबकि अमेरिका और इजरायल समेत पांच देशों ने विरोध किया और छह ने मतदान से परहेज किया. भारत भी उन देशों में शामिल था, जिसने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.

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प्रस्ताव में कहा गया है कि राष्ट्रपति अब्बास 25 सितंबर को यूएनजीए के 80वें सत्र की जनरल डिबेट में हिस्सा लेंगे और उनका पहले से रिकॉर्ड किया गया संदेश महासभा हॉल में चलाया जाएगा. इससे पहले 23 सितंबर से जनरल डिबेट की शुरुआत होगी. प्रस्ताव के मुताबिक, अगर फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों को व्यक्तिगत रूप से आने से रोका जाता है, फिलिस्तीन अपने राष्ट्रपति या किसी उच्च स्तरीय प्रतिनिधि का वीडियो संदेश किसी भी यूएन सम्मेलन या बैठक में भेज सकता है.

शांति सम्मेलन में भी संदेश की अनुमति

22 सितंबर को होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘पीसफुल सेटलमेंट ऑफ़ द क्वेश्चन ऑफ फिलिस्तीन एंड इम्प्लिमेंटेशन ऑफ द टू-स्टेट सॉल्यूशन’ में भी फिलिस्तीन को वीडियो संदेश भेजने की अनुमति दी गई है. इस निर्णय को पारित करते हुए महासभा ने अमेरिकी कदम पर खेद जताया और इसे फिलिस्तीन के प्रतिनिधियों की भागीदारी पर रोक करार दिया.

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भारत और फिलिस्तीन के रिश्ते

फिलिस्तीन वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में ‘नॉन-मेंबर ऑब्ज़र्वर स्टेट’ है और 2012 से इस दर्जे में शामिल है. इस स्थिति में वह बैठकों में शामिल हो सकता है लेकिन मतदान का अधिकार नहीं रखता. दुनिया में केवल दो ‘नॉन-मेंबर ऑब्ज़र्वर स्टेट’ हैं – फिलिस्तीन और होली सी. भारत 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में शामिल था और दो-राष्ट्र समाधान का लगातार समर्थन करता रहा है.

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