अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लोकप्रियता घटती जा रही है. अमेरिकी अपने राष्ट्रपति को लगातार नापसंद करते जा रहे हैं. ट्रंप के कार्यकाल के 242 दिन पूरे होने पर उनकी नेट अप्रूवल रेटिंग -17% पर पहुंच गई है. ट्रंप की लोकप्रियता में भारी गिरावट की कई वजहें हैं जिनमें उनकी टैरिफ नीति, विदेश नीति, प्रवासियों को लेकर सख्त नीति, सरकारी नौकरियों में भारी कटौती, शिक्षण संस्थानों को टार्गेट करने जैसे कदम शामिल हैं.
द इकोनॉमिस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते की तुलना में इस बार ट्रंप की लोकप्रियता में 2.6 अंकों की गिरावट हुई है. ताजा आंकड़ों के अनुसार, 39% लोग ही ट्रंप के कामकाज के तरीके को सही मानते हैं जबकि 56% लोग उनके काम से असंतुष्ट हैं. वहीं 4% लोग ट्रंप के काम को लेकर कोई निश्चित राय नहीं रखते हैं.
ट्रंप ने पिछले नौ महीनों में अमेरिकी सरकार में नाटकीय बदलाव लाने की कोशिश की है. उन्होंने अपने कार्यकारी आदेशों के जरिए व्यापार समझौतों, आव्रजन नीति, वर्कफोर्स और विदेश नीति में बड़े बदलाव करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं.
इसके अलावा, ट्रंप ने अपने भाषणों और न्याय विभाग (Justice Department) के जरिए अमेरिकी यूनिवर्सिटीज, जज और वकीलों, मीडिया और अन्य बिजनेस पर भी हमले किए हैं.
ट्रंप की इन नीतियों और आक्रामक शैली को लेकर अमेरिकी जनता में नाराजगी बढ़ रही है. इस नाराजगी का असर उनकी घटती लोकप्रियता में साफ तौर पर देखा जा सकता है.
ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका में बढ़ी महंगाई
ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में सत्ता में आते ही टैरिफ का राग छेड़ दिया था. उन्होंने व्यापार असंतुलन कम करने और अमेरिकी बिजनेस को बढ़ावा देने का हवाला देकर दुनिया के देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी.
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, बावजूद इसके ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% का टैरिफ लगा दिया. इसके बाद ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद को लेकर सजा के रूप में भारत पर अतिरिक्त 25% का टैरिफ लगाया.
27 अगस्त से भारत पर 50% का टैरिफ लागू हो गया है. इससे भारत के वस्त्र, जूलरी जैसे उद्योगों को तो नुकसान हुआ ही है, अमेरिका में भी महंगाई बढ़ी है. टैरिफ की वजह से भारतीय प्रोडक्ट्स अमेरिका में महंगे हो गए हैं. इससे अमेरिकियों में नाराजगी है.
टैरिफ को लेकर ट्रंप ने भारत-अमेरिका के रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है. ट्रंप की विदेश नीति पर भी अमेरिका में काफी सवाल उठ रहे हैं. अमेरिकी एक्सपर्ट्स उनकी आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि पिछले कई राष्ट्रपतियों ने भारत-अमेरिका संबंधों को सुधारने के लिए काफी मेहनत की थी लेकिन ट्रंप ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.
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