Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. पितृपक्ष की हर तिथि बेहद खास होती है. पितृपक्ष के दसवें दिन दशमी तिथि का श्राद्ध किया जाता है. आज दशमी तिथि का श्राद्ध है. दशमी तिथि पर उन पितरों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को होती है. इसके अलावा, इस दिन उन बुजुर्ग दिवंगत महिलाओं का भी श्राद्ध किया जा सकता है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो.
दशमी के श्राद्ध की धार्मिक मान्यता
दशमी तिथि पर किए गए श्राद्ध से पितरों को संतोष और मोक्ष मिलता है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए तर्पण से परिवार में आर्थिक समृद्धि आती है और वंशजों को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. कई ग्रंथों में उल्लेख है कि दशमी तिथि पर श्राद्ध करने से अकाल मृत्यु का दोष भी दूर होता है. इसलिए दशमी तिथि पर श्राद्ध को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है.
दशमी तिथि पर कैसे करें श्राद्ध?
दशमी तिथि को सुबह स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके कुशा, तिल और जल से तर्पण करें. ब्राह्मण को भोजन कराएं और जितना हो सके उतना दान दें. दिवंगत आत्मा के नाम का संकल्प लेकर पिंडदान करें. सबसे आखिर में अपने पितरों से आशीर्वाद की प्रार्थना करें.
पितृपक्ष में क्या क्या दान किया जा सकता है?
पितृपक्ष में दान-दक्षिणा का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने के बाद आप सामर्थ्य के अनुसार कुछ खास चीजों का दान कर सकते हैं. इस दिन गरीबों या जरूरतमंद लोगों को अनाज जैसे कि चावल, गेहूं, और दाल का दान कर सकते हैं. गरीब लोगों को आप कपड़े या कम्बल भी दान कर सकते हैं. इस दिन पूजा करने के बाद फल, मिठाई, गुड़ या किसी खाने की चीज का दान कर सकते हैं.
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