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तमिलनाडु की सिनेमाई सियासत… रजनीकांत ने की स्टालिन की वकालत, विजय का फूटा गुस्सा – Tamil Nadu’s cinematic politics Rajinikanth bats for Stalin as Vijay goes ballistic ntcpan


यह आधिकारिक है. तमिलनाडु में थलपति बनाम थलपति की लड़ाई है. पहले वाले एमके स्टालिन हैं, जिनका सरनेम डीएमके के सियासी कप्तान या सेनापति के रूप में उनके कद को दिखाता है. दूसरे वाले अभिनेता विजय हैं, जो तमिल सिनेमा के नंबर वन स्टार हैं. सालों तक, विजय को इलयाथलपति (युवा सेनापति) की उपाधि दी जाती रही, जब तक कि उनकी 2017 की सुपरहिट फिल्म ‘मर्सल’ के शुरुआती क्रेडिट में उन्हें ‘थलपति विजय’ घोषित नहीं कर दिया गया.

स्टालिन और विजय की जंग 

इस टकराव को आधिकारिक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि विजय ने अब सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. उनके शासन के तरीके की आलोचना की है. ‘500 से ज़्यादा अधूरे वादों’ के लिए उनपर हमला बोला है. यह डीएमके सुप्रीमो का ‘चाचा स्टालिन’ कहकर मज़ाक उड़ाने के कुछ ही समय बाद हुआ है, जिससे सोशल मीडिया पर कई मीम्स बन गए. सत्तारूढ़ दल को एक ऐसे राजनीतिक स्टार्ट-अप के संस्थापक का यह ताना पसंद नहीं आया है, जिसकी चुनावी क्षमता अभी परखी नहीं गई है.

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एक ऐसे राज्य में जहां सिनेमा और राजनीति का ऐसा अटूट रिश्ता है जैसा कहीं और नहीं. कहानी में एक ऐसा मोड़ आने की उम्मीद है जो दर्शकों को चौंका देगा. सुपरस्टार की एंट्री होती है. अगर यह कोई फिल्म होती, तो क्रेडिट में रजनीकांत को ‘दोस्ताना रूप में’ दिखाया जाता. इस वीकेंड चेन्नई में एक कार्यक्रम में, रजनीकांत ने स्टालिन की जमकर तारीफ की, उन्हें अपना ‘दोस्त’ और ‘भारतीय राजनीति का सितारा’ कहा. साथ ही राज्य में उनके नेतृत्व की सराहना भी की. इसी तरह, डीएमके के पदाधिकारियों की तुलना एक बरगद के पेड़ से की गई, जो अडिग हैं और किसी भी तूफान का सामना करने में सक्षम हैं.

डीएमके को रजनीकांत का समर्थन?

रजनीकांत की ओर से की गई इस तारीफ़ ने तालियां तो बटोरीं, लेकिन लोगों की भौहें भी तन गईं. ऐसा इसलिए क्योंकि सुपरस्टार की बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नज़दीकी जगज़ाहिर है. तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले रजनीकांत का समर्थन आश्चर्यजनक है, क्योंकि डीएमके और बीजेपी दोनों ही विरोधी खेमे में हैं. और विजय जैसे साथी अभिनेता के मैदान में होने के बावजूद, रजनीकांत की तरफ से सर्टिफिकेट मिलना आश्चर्यजनक है, क्योंकि वे किसी भी विवादास्पद चीज़ से दूर रहने के लिए जाने जाते हैं.

यह हमें एक और सिनेमाई पल की ओर ले जाता है- फ्लैशबैक. 1996 में वापस जाएं जब रजनीकांत के जयललिता विरोधी बयान ने उनके खिलाफ ही स्थिति बदल दी थी. उनकी भविष्यवाणी, ‘अगर जयललिता सत्ता में लौटीं तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते’, ने डीएमके-तमिल मनीला कांग्रेस गठबंधन को ईंधन दिया और करुणानिधि को राज्य की वापस सत्ता में ला दिया. 2025, 1996 नहीं है, लेकिन फिर भी रजनीकांत, रजनीकांत ही हैं और उनके शब्द तमिलनाडु के मतदाताओं के एक हिस्से को प्रभावित करने में अभी भी कुछ दमखम रख सकते हैं.

विजय की रैलियों में उमड़ रही भीड़

अन्नाद्रमुक खुश नहीं है, और यह स्वाभाविक भी है. उसे रजनीकांत की ओर से स्टालिन की पीठ थपथपाने में कुछ गड़बड़ लग रही है. ‘सुपरस्टार’, अब किसी भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के पोषक नहीं दिखते, सिर्फ फ़िल्में बनाने पर फोकस करते हैं और तमिल फ़िल्म इंडस्ट्री पर डीएमके की फर्स्ट फैमिली का दबदबा है. रेड जायंट मूवीज़ और सन पिक्चर्स, दोनों ही प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस के बड़े हिस्से को कंट्रोल करते हैं और कोई भी अभिनेता, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर उसके पास ये दोनों नहीं हैं, तो वह सिल्वर स्क्रीन पर दिखाना बंद कर सकता है.

एक पब्लिक रैली के दौरान विजय (Photo: PTI)

हालांकि, डीएमके का असली निशाना एआईएडीएमके नहीं, बल्कि विजय हैं. रजनीकांत का यह बयान विजय की ओर से शनिवार को मध्य तमिलनाडु के त्रिची से अपने राज्यव्यापी दौरे की शुरुआत करने के कुछ ही घंटों बाद आया है. डीएमके इस अभिनेता की तरफ से खींची जा रही भीड़ और उनके संभावित चुनावी प्रभाव को लेकर चिंतित है. वह जानती है कि वह विजय के ‘जहरीली डीएमके’ जैसे तीखे तमगों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती. हालांकि विजय को सिर्फ वीकेंड में ही आयोजित होने वाली उनकी राजनीतिक बैठकों के कारण वीकेंड पॉलिटिशियन के रूप में मजाक का पात्र बनाया गया है.

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यह कोई राज नहीं है कि 1960 के दशक के मध्य से द्रविड़ शासन की थकान से ग्रस्त मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा बदलाव की तलाश में है. युवा और महिला मतदाता अभिनेता के रडार पर हैं. जहां 2026 टीवीके प्रमुख के लिए एक कठिन चुनौती होगी, वहीं 2031 विजय के लिए विजय का पल हो सकता है. अगर वह सिनेमा जैसी मजबूती दिखा सकें.

कमल हासन पर भी किया था वार

रजनीकांत के आने से पहले भी तमिलनाडु में चुनाव-पूर्व राजनीति मसाला सिनेमा से कम नहीं रहा है. विजय की कभी-कभार सार्वजनिक मौजूदगी तीखे बयानों का संग्रह रही है. अगस्त में मदुरै में बोलते हुए, उन्होंने कमल हासन पर तंज किया, जिन्होंने 2018 में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई थी. विजय ने कहा कि उन्होंने राजनीति में एंट्री अपने फ़िल्मी करियर के ढलान के बाद नहीं ली, जैसा कि लोग अभिनेताओं से राजनेता बने लोगों के बारे में दावा करते हैं. कमल हासन ने यह कहते हुए तंज को टाल दिया कि विजय की टिप्पणी में उनका स्पष्ट रूप से नाम नहीं था, और इसलिए वह बिना पते वाले लेटर का जवाब नहीं देते.’ कमल हासन अब राज्यसभा सांसद हैं, DMK के समर्थन की बदौलत और AIADMK के आरोप को मजबूती देते हुए, रेड जायंट मूवीज़ के साथ उनके सहयोग पर किसी का ध्यान नहीं गया है.

रजनीकांत और विजय ने कभी भी वयस्क अभिनेताओं के रूप में स्क्रीन स्पेस शेयर नहीं किया. दोनों ने एकमात्र फिल्म जिसमें साथ काम किया, वह 1985 में आई ‘नान सिगप्पु मनिथन’ थी, जिसमें विजय एक बाल कलाकार थे. अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की तारीफ करने वाले रजनीकांत के बयान पर विजय क्या प्रतिक्रिया देते हैं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अभिनेता से राजनेता बने रजनीकांत वयस्क हो गए हैं या नहीं.

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