सनातन धर्म में जितिया व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण है. इसे माताएं अपने संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की कामना से करती हैं. इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास रखकर अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं.
जितिया व्रत 2025
जितिया व्रत हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व बिहार, झारखंड और नेपाल के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल यह व्रत 14 सितंबर यानी आज है. व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखेंगी. कभी-कभी तिथि में अंतर के कारण व्रत 36 घंटे तक भी रह सकता है. इस बार का जितिया व्रत थोड़ा आसान रहेगा. इस वर्ष व्रत केवल 24 घंटे का होगा. व्रती को सिर्फ एक दिन और एक रात निर्जला उपवास रखना होगा.
नहाय-खाय: व्रत की तैयारी
जितिया व्रत से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि 13 सितंबर को नहाय-खाय मनाया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं स्नान और ध्यान के बाद जीमूतवाहन जी की पूजा करती हैं. इसके बाद पारंपरिक सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है, जिसमें मडुआ की रोटी, नोनी का साग, दही और पोहा चूड़ा शामिल होता है.
शुभ मुहूर्त
माताएं आज संतान की लंबी आयु , सुख और अच्छी सेहत के लिए सर्वार्थ सिद्ध योग में निर्जला व्रत करेंगी. रविवार को सरगही सुबह 5:53 से पहले करने का मुहूर्त है. वहीं जीवित पुत्रिका व्रत माताएं अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए आज सुबह से ही निराहार व्रत करेंगी.
पारण विधि
वैदिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का समापन 15 सितंबर को रात 03:06 बजे होगा. इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी. इसी दिन सूर्योदय के बाद व्रती जितिया व्रत का पारण कर सकती हैं.
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