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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में अष्टमी का श्राद्ध आज, जानें श्राद्ध विधि, नियम और सावधानियां – eighth day of pitru paksha 2025 ashtami shradh vidhi and rules tvisz


Asthami Tithi Shraddha: आज श्राद्ध पक्ष में अष्टमी तिथि का श्राद्ध है. इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की अष्टमी तिथि को हुई हो. ऐसा कहते हैं कि पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस दौरान श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से दिवंगत आत्माओं को तृप्ति और शांति मिलती है. ऐसे में अष्टमी तिथि पर किए जाने वाले श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है. तो आइए जानते हैं अष्टमी श्राद्ध की अवधि,  विधि और उससे जुड़े नियम.

अष्टमी श्राद्ध की विधि
अष्टमी तिथि पर श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद पितरों की तिथि के अनुसार आसन की स्थापना करें. आसन पर कुशा या चावल बिछाकर दक्षिण मुखी होकर बैठें. जल, काले तिल, चावल और कुशा से पितरों का तर्पण करें. जल में काले तिल मिलाकर पितरों का नाम लेकर तीन बार तर्पण करें. इसके बाद पिंडदान करें, जिसमें चावल, जौ का आटा, दूध और घी मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं.

श्राद्ध पूर्ण होने पर पंचबलि कर्म करें. इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं. उन्हें कच्चे अनाज और वस्त्र दान करें. इसके बाद भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप की पूजा करें. गीता के आठवें अध्याय का पाठ करें. पितृ मंत्र का जाप कर क्षमा याचना करना भी आवश्यक माना जाता है.

अष्टमी श्राद्ध के नियम
अष्टमी श्राद्ध में तैयार किए गए भोजन को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन के प्रसाद में लौकी की खीर, पालक की सब्ज़ी, पूड़ी, फल, मिठाई के साथ लौंग, इलायची और मिश्री का विशेष रूप से शामिल होना आवश्यक है. भोजन अर्पण करने के बाद अष्टमी पितृ मंत्र का जप किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर विधिपूर्वक श्राद्ध और मंत्र जीप करने से पितर तृप्त होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.

अष्टमी श्राद्ध की सावधानियां

सात्विक आहार- अष्टमी श्राद्ध के दिन मांस, मछली, अंडा, प्याज़ और लहसुन जैसी तामसिक चीजों का सेवन वर्जित है. इस दिन केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए. सात्विक भोजन से मन शांत रहता है. साथ ही, पितरों को अर्पित किया गया अन्न पवित्र माना जाता है.

नए कर्मों की शुरुआत न करें- श्राद्ध काल में विशेष रूप से अष्टमी के दिन कोई भी नया कार्य, शुभ आयोजन, खरीदारी या मांगलिक काम करने से बचना चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है .

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