ब्रिटेन की कई कंपनियां भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अपने कारोबारी विस्तार की दिशा में गेम-चेंजर मान रही हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की कंपनियां भारत में तेजी से निवेश और संचालन विस्तार की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। वहीं जिन कंपनियों की भारत में अभी उपस्थिति नहीं है, वे आने वाले महीनों में बाजार में उतरने की तैयारी में हैं।
ग्रांट थॉर्नटन की नवीनतम ‘इंटरनेशनल बिजनेस रिपोर्ट (आईबीआर) के मुताबिक, इस साल 72 प्रतिशत ब्रिटिश कंपनियों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए एक मुख्य बाजार के रूप में चिन्हित किया है। यह आंकड़ा पिछले साल के 61 प्रतिशत से काफी अधिक है, जो दर्शाता है कि भारत अब ब्रिटिश कंपनियों की वैश्विक रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।
रिपोर्ट में दावा
रिपोर्ट के अनुसार, केवल 28 प्रतिशत ब्रिटिश कंपनियां इस समय भारत में सक्रिय हैं, लेकिन उनमें से 73 प्रतिशत बिना किसी मौजूदा उपस्थिति के अगले कुछ वर्षों में यहां कारोबार शुरू करने की योजना बना रही हैं। इनमें से 13 प्रतिशत कंपनियां अगले 12 महीनों के भीतर भारतीय बाजार में प्रवेश करने की तैयारी में हैं।
एफटीए समझौता बनेगा आर्थिक पुल
भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) इस वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित हुआ था। इस समझौते के ब्रिटिश संसद द्वारा अनुमोदित होने के बाद दोनों देशों के बीच 44.1 अरब पाउंड मूल्य के द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एफटीए व्यापार में प्रवेश की बाधाओं को कम करेगा, संचालन लागत घटाएगा और दोनों देशों के बीच प्रतिभा और प्रौद्योगिकी के सुगम आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
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ग्रांट थॉर्नटन यूके के साउथ एशिया बिजनेस ग्रुप के प्रमुख अनुज चांदे ने कहा कि जो बदलाव हम देख रहे हैं, वह स्पष्ट है अब ब्रिटिश मिड-मार्केट कंपनियां यह नहीं पूछ रहीं कि ‘क्यों भारत’, बल्कि यह पूछ रही हैं ‘कितनी जल्दी भारत में प्रवेश करें’।
उन्होंने कहा कि भारत की विशाल उपभोक्ता क्षमता, कुशल मानव संसाधन और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था इसे निवेश का प्रमुख केंद्र बना रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि 65 प्रतिशत कंपनियां भारत की तेज आर्थिक वृद्धि को आकर्षण का कारण मानती हैं, जबकि 60 प्रतिशत ने देश के विशाल उपभोक्ता बाजार को मुख्य कारण बताया है।
एफटीए से उद्योगों को नए अवसर
रिपोर्ट के मुताबिक, 79 प्रतिशत ब्रिटिश कंपनियों ने माना कि मुक्त व्यापार समझौते निवेश को प्रोत्साहित करते हैं और व्यापारिक वृद्धि में सहायक हैं। भारत-यूके एफटीए आईटी, वित्त, परामर्श, नवाचार, डिजिटल गवर्नेंस और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। ग्रांट थॉर्नटन ने यह भी बताया कि हाल ही में प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के नेतृत्व में मुंबई गए ब्रिटिश व्यापार प्रतिनिधिमंडल की यात्रा इस साझेदारी को और मजबूत करेगी।
भारत में पहले से सक्रिय हैं सैकड़ों ब्रिटिश कंपनियां
ग्रांट थॉर्नटन की वार्षिक ‘ब्रिटेन मीट्स इंडिया’ रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल 667 ब्रिटिश कंपनियां भारत में सक्रिय हैं, जो करीब 47.5 अरब पाउंड का राजस्व उत्पन्न कर रही हैं और 5.16 लाख से अधिक लोगों** को रोजगार दे रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अब भारत में विस्तार करने वाली कंपनियां दीर्घकालिक साझेदारी, स्थानीय समझ और अनुकूलन पर ध्यान दे रही हैं।
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भारत में अवसरों के साथ चुनौतियां भी मौजूद
रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि भारतीय बाजार में अवसरों के साथ कई चुनौतियां भी हैं। 63 प्रतिशत कंपनियों ने नियामकीय जटिलताओं और विदेशी मुद्रा नियंत्रण को प्रमुख बाधा बताया, जबकि 38 प्रतिशत ने अवसंरचना की कमी और खंडित बाजार संरचना को बड़ी चुनौती माना। फिर भी, भारत में व्यापार विस्तार की गति से यह स्पष्ट है कि ब्रिटिश कंपनियां इन कठिनाइयों को अवसरों में बदलने को तैयार हैं।
भारतीय कंपनियां भी बढ़ा रही हैं ब्रिटेन में निवेश की रफ्तार
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारतीय कंपनियों की ओर से भी ब्रिटेन में निवेश को लेकर जबरदस्त उत्साह है। यूके में पहले से मौजूद 99 प्रतिशत भारतीय कंपनियां अपने कारोबार का विस्तार करना चाहती हैं, जबकि 90 प्रतिशत कंपनियां, जिनकी अभी उपस्थिति नहीं है, निकट भविष्य में ब्रिटेन में अपनी शाखा खोलने की योजना बना रही हैं।