बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी विधानसभा चुनाव में उतरे हैं तो क्या उनके सामने कोई बड़ी चुनौती अब नहीं रही? सम्राट चौधरी और उनकी पार्टी- भारतीय जनता पार्टी ने एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है- “महागठबंधन से तारापुर के VIP पार्टी के उम्मीदवार श्री सकलदेव बिंद जी और अन्य वरिष्ठ नेतागण को विशाल जनसभा में भाजपा की सदस्यता दिलाई।” तो, क्या महागठबंधन की चुनौती खत्म हो गई? आइए, असल खबर पढ़ते हैं यहां।
सम्राट चौधरी और भाजपा ने सकलदेव बिंद को महागठबंधन से तारापुर का वीआईपी प्रत्याशी बताया है। निर्वाचन आयोग ने नामांकन वापस लेने वालों की सूची में सकलदेव बिंद का नाम लिखा है, लेकिन वह निर्दलीय प्रत्याशी हैं।
महागठबंधन की चुनौती अब भी खड़ी है
सम्राट चौधरी के सामने महागठबंधन के प्रत्याशी राष्ट्रीय जनता दल के सिम्बल पर उतरे अरुण कुमार हैं। अरुण कुमार का नामांकन स्वीकृत भी हो चुका है। बिहार चुनाव 2020 में यहां से जदयू के डॉ. मेवालाल चौधरी जीते थे। वह मंत्री भी बने और तुरंत हटाए भी गए थे। उसके बाद कोरोना संक्रमण से उनका निधन हो गया तो उप चुनाव में जदयू के राजीव कुमार सिंह जीते। राजीव ने राजद के दिव्य प्रकाश को 7225 मतों से हराया था। इस बार राजद ने यहां अरुण कुमार को प्रत्याशी बनाया है।
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सम्राट चौधरी के शत्रु पीके की पार्टी से भी प्रत्याशी
विधान परिषद् सदस्य सम्राट चौधरी इस बार विधानसभा चुनाव में उतरे तो उसके पहले उनकी पढ़ाई और उनपर आपराधिक घटनाओं को लेकर हमला करने वाले प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने भी यहां चुनौती दी है। पीके की पार्टी के साथ ही तेज प्रताप यादव के नवगठित जन शक्ति जनता दल और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी प्रत्याशी दिए हैं। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी भी यहां मैदान में हैं।