भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज का पहला मुकाबला 19 अक्टूबर (रविवार) को पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में खेला. इस मुकाबले में बारिश का खलल पड़ा. इसके चलते मुकाबले को 26-26 ओवर्स का कर दिया गया. शुभमन गिल की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 136 रन बनाए, लेकिन कंगारुओं को जीत के लिए केवल 131 रनों का संशोधित टारगेट मिला.
डीएलएस (Duckworth Lewis Stern) नियम में यह ध्यान रखा जाता है कि टारगेट का पीछा करने वाली टीम के पास शुरू में 10 विकेट और 50 ओवर होते हैं. इसका मतलब यह है कि वे लंबी पारी के लिए विकेट बचाकर खेल सकती हैं. इसी वजह से जब ओवर घटते हैं, तो लक्ष्य को भी बढ़ा दिया जाता है. हालांकि, इस मैच में उल्टा हुआ और ऑस्ट्रेलिया को ज्यादा टारगेट नहीं मिला.
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दरअसल भारत ने पहले 9 ओवर में ही तीन विकेट गिर चुके थे. इस स्थिति में ओवरों की संख्या घटने से एक तरह से भारत को ज्यादा फायदा नहीं हुआ क्योंकि उसकी पारी लड़खड़ा गई थी. अगर पूरे 50-50 ओवर्स का खेल होता तो भारतीय टीम ऑलआउट हो गई रहती .इन सब बातों को डीएलएस नियम में ध्यान में रखा जाता है और उसी हिसाब से टारगेट रिवाइज्ड किया जाता है.
गेंदबाजों के ओवर्स में भी होती है कटौती
डीएलएस नियम लागू होने के बाद जब ओवर घटते हैं, तो गेंदबाजो की ओवर सीमा (bowling quota) भी घट जाती है. ऑस्ट्रेलिया के लिए फायदे की बात ये रही कि मिचेल स्टार्क और जोश हेजलवुड ने मिलकर 13 ओवर्स डाल लिए थे. उसके बाद ही मैच 26-26 ओवर्स का किया गया था.
जब भारतीय टीम गेंदबाजी करने उतरी, तो नियमों के अनुसार केवल एक गेंदबाज को ही छह ओवर फेंकने की अनुमति मिल सकती थी. बाकी गेंदबाज अधिकतम पांच-पांच ओवर की गेंदबाजी करने की अनुमति थी. भारत के सामने यह रणनीतिक चुनौती रही क्योंकि उसे विकेट निकालने के लिए ज्यादा गेंदबाजों को आजमाना पड़ा बै.
बारिश के चलते पहली बार खेल प्रभावित हुआ, तो मुकबाले को 49-49 ओवर्स का कर दिया गया.दूसरी बार बारिश से खेल प्रभावित होने के बाद ओवर्स की संख्या और घट गई. ऐसे में मैच 35-35 ओवरों का हो गया. तीसरी बार बारिश रुकने के बाद मैच को 26-26 ओवर्स तक सीमित कर दिया गया
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