बेंगलुरु के एक शख्स ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि अपनी गर्भवती पत्नी को अस्पताल ले जाने में उसे महज 7 किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटे लग गए. रेडिट पर वायरल हुई इस पोस्ट में उसने इस अनुभव को ‘डरावना’ बताया
बेंगलुरु की सड़कों पर जाम का ऐसा आलम कि अब लोगों की जान सांसत में आ गई है. शहर के एक शख्स ने अपनी आपबीती सोशल मीडिया पर साझा की. उन्होंने एक पोस्ट में बताया कि आठ महीने की गर्भवती पत्नी को अस्पताल ले जाने में उसे सिर्फ 7 किलोमीटर की दूरी तय करने में डेढ़ घंटा लग गया.
उसने इस स्थिति को डरावना और असहनीय बताया और पूछा क्या अब यह शहर वाकई रहने लायक भी बचा है? ‘अगर यही वक्त लेबर पेन का होता तो?’ शख्स की भावनाओं ने लोगों को हिला दिया.
रेडिट पर पोस्ट करते हुए व्यक्ति ने बताया कि वह HAL रोड के पास वरथुर इलाके में घंटों तक ट्रैफिक में फंसा रहा. गाड़ियां बस रेंग रही थीं, हॉर्न की आवाज़ें गूंज रही थीं, और घड़ी की सुइयां तेजी से बढ़ती जा रही थीं.
उसने लिखा कि अगर यह सच में इमरजेंसी होती तो क्या होता? अगर मेरी पत्नी को इसी वक्त लेबर पेन होता तो? यह सोचकर ही सांस रुकने लगती है. आप बस एक कार में फंसे रहते हैं, बाहर निकल नहीं सकते, कुछ कर नहीं सकते. बस देख सकते हैं कि वक्त कैसे आपके हाथ से फिसलता जा रहा है.
उसने आगे लिखा कि बेंगलुरु की इंफ्रास्ट्रक्चर अब पूरी तरह से चरमरा चुकी है. अगर प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाए तो, यह शहर अपने ही बोझ तले दम तोड़ देगा.
‘अब यह शहर सांस नहीं लेने देता’
इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बेंगलुरु के ट्रैफिक को लेकर गुस्सा फूट पड़ा. कई यूजर्स ने लिखा कि ट्रैफिक अब इमरजेंसी लेवल तक पहुंच चुका है, जिससे लोगों की मानसिक सेहत, कामकाज और हेल्थकेयर तक पहुंच बुरी तरह प्रभावित हो रही है.एक यूजर ने लिखा कि अब ये शहर नहीं, एक जाल बन चुका है… यहां हर दिन एक संघर्ष है.
‘टैक्स भरते हैं लाखों, सड़कें फिर भी जाम में डूबीं’
लोगों ने सरकार और प्रशासन पर भी जमकर निशाना साधा. उनका कहना है कि भारी टैक्स वसूले जा रहे हैं, लेकिन सड़कों की हालत जस की तस है.हर कोने में खुदाई, हर रास्ते पर जाम और बीच में आम नागरिक जो सिर्फ वक्त और उम्मीद दोनों खोता जा रहा है.
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