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यहां सदियों से चल रहा बच्चों को रुलाने का खेल, जानें क्या है ये परंपरा  – Nakizumo Festival A Contest to Make Babies Cry know about this tradition rttw 


नाकी सूमो क्राइंग बेबी फेस्टिवल ( ‘क्राइंग सूमो कॉन्टेस्ट’ या ‘नाकिजुमो’) एक सालाना जापानी त्योहार है, जिसमें बच्चों को सूमो पहलवानों की गोद में रिंग में रखा जाता है. इसमें दो बच्चे एक छोटे मुकाबले में हिस्सा लेते हैं और सबसे पहले रोने वाला बच्चा जीतता है. जापानी मान्यता के अनुसार, रोता हुआ बच्चा बुरी आत्माओं को दूर भगाने की शक्ति रखता है और यह संकेत होता है कि बच्चा स्वस्थ और मजबूत बनेगा. इसमें शामिल होने वाले लोग बच्चों को डराने के लिए मजेदार और डरावने मुखौटे पहनते हैं.

क्या है इसका इतिहास
नाकी सूमो महोत्सव 400 साल से अधिक समय से जापान में मनाया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि बच्चों के जोर-जोर से रोने से राक्षस और बुरी आत्माएं भागती हैं. जापानी कहावत है, “नाकु को वा सोडात्सु”, जिसका मतलब है “रोने वाले बच्चे जल्दी बढ़ते हैं”, और यही इस उत्सव की प्रेरणा है.

त्योहार की परंपरा
विजेता बच्चे को टोक्यो के असाकुसा में सेंसोजी मंदिर में एक सूमो पहलवान द्वारा हवा में ऊंचा उठाया जाता है. यह महोत्सव पूरे जापान के शिंटो मंदिरों में हर साल मनाया जाता है, अक्सर गोल्डन वीक के अंत में बाल दिवस के साथ. हर जगह के रीति-रिवाज थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन मुख्य उद्देश्य हमेशा होता है बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करना और उनकी छोटी-छोटी सूमो प्रतियोगिताओं का आयोजन करना होता है. 

नाकी सूमो महोत्सव की परंपरा और आयोजन
प्रत्येक नाकी सूमो महोत्सव की शुरुआत शिंटो पुजारी द्वारा बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए प्रार्थना के साथ होती है. मंदिर के कर्मचारी बच्चों के लिए हाथ से बनाए गए चार-नुकीले काबुतो हेलमेट और माता-पिता के लिए स्मृति चिन्ह तैयार करते हैं.

क्या है प्रतियोगिता की प्रक्रिया
रोने की प्रतियोगिता हाथ से बनी सूमो रिंग में होती है. एक समय में दो बच्चे छोटे मैचों में प्रतिस्पर्धा करते हैं, और उन्हें पेशेवर या छात्र सूमो पहलवानों की गोद में रखा जाता है. जो बच्चा सबसे पहले रोता है, वह विजेता घोषित होता है और उसे अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है. अगर दोनों बच्चे एक साथ रोते हैं, तो जोर से या लंबे समय तक रोने वाला बच्चा जीतता है.

सूमो पहलवान तकनीक
बच्चों को अपनी गोद में उछालना
तेज आवाजें निकालना
मजेदार या डरावने चेहरे बनाना
“नाकी! नाकी! नाकी!” (रोओ! रोओ! रोओ!) कहना

यदि बच्चा कई मिनट तक नहीं रोता, तो परंपरागत मुखौटे पहने रेफरी बच्चे के पास जाकर उसे रोने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. मैच के अंत में परिवार और दर्शक बंजई राकू चिल्लाते हैं, जिसका मतलब है “लंबे समय तक जियो.”

प्रमुख महोत्सव स्थल और रीति-रिवाज
सबसे प्रसिद्ध महोत्सव टोक्यो के असाकुसा में होता है, जहां छात्र सूमो पहलवान बच्चों को गोद में उठाते हैं और हवा में उछालते हैं. हिरोशिमा के गोकोकू तीर्थस्थल में बच्चों को किमोनो पहनाया जाता है और तकियों पर बैठाकर रोने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. प्रतियोगिता में 6 महीने से 18 महीने तक के बच्चे भाग लेते हैं. हर साल लगभग 100 बच्चे इस कंपटिशन में भाग लेते हैं.

कैसे होती है प्रतियोगिता
यह उत्सव सार्वजनिक और मुफ्त है, लेकिन कुछ मंदिरों में भाग लेने के लिए आवेदन या शुल्क देना पड़ता है. कुछ स्थान इतने लोकप्रिय हैं कि बच्चों का चयन लॉटरी के जरिए किया जाता है. अधिकांश प्रतिभागी जापानी होते हैं, लेकिन कुछ विदेशी माता-पिता भी बच्चों के साथ इसमें हिस्सा लेने जापान आते है.

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