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शिवाजी पार्क में हुआ ठाकरे परिवार का ‘पुनर्मिलन’, उद्धव और राज ने साथ जलाए दीये – Uddhav and Raj Thackeray light up Shivaji Park Dipotsav reunion fuels alliance buzz ntc


महाराष्ट्र की राजनीति में शुक्रवार को फिर से दो भाइयों के बीच मेल-मिलापदेखने को मिला. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने दादर के शिवाजी पार्क में मनसे द्वारा आयोजित दीपोत्सव समारोह में सार्वजनिक रूप से मंच साझा किया. इस कार्यक्रम में पूरा ठाकरे परिवार मौजूद था. इसकी शुरुआत उद्धव ठाकरे के राज ठाकरे के निवास ‘शिवतीर्थ’ पहुंचने से हुई, जिसके बाद दोनों एकसाथ शिवाजी पार्क पहुंचे और दिवाली थीम पर आधारित समारोह का उद्घाटन किया.

मराठी बहुल यह क्षेत्र अविभाजित शिवसेना का गढ़ रहा है. दोनों भाइयों के इस पुनर्मिलन को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषक उद्धव और राज ठाकरे के इस ‘भरत मिलाप’ के पीछे का कारण आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव मान रहे हैं, जहां मराठी वोटों की एकजुट  महत्वपूर्ण है. ‘मराठी मानुष’ के सिद्धांत पर स्थापित शिवसेना ने 1997 से एशिया के सबसे अमीर नागरिक निकाय- बीएमसी पर ऐतिहासिक रूप से अपना प्रभाव बनाए रखा है. लेकिन अब शिवसेना विभाजित हो चुकी है. पुरानी शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास है, वहीं उद्धव को अपनी नई पार्टी बनानी पड़ी है.

Thackeray family Reunion at Shivaji Park Deepotsav Event organized by MNS
शिवाजी पार्क में मनसे द्वारा आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम में हुआ ठाकरे परिवार का पुनर्मिलन.

शिवसेना में विभाजन से उसके पारंपरिक वोटरों में भी बंटवारा हुआ है. वहीं, 2006 में राज ठाकरे के पार्टी छोड़कर मनसे बनाने से मराठी मतदाताओं में विभाजन हो गया. शिवसेना (यूबीटी) के लिए, मनसे के साथ एक औपचारिक गठबंधन भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के खिलाफ अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पिछले चुनावों के विश्लेषण बताते हैं कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS), भले ही उसका कुल वोट शेयर कम हो, मराठी-बहुल वाले वार्डों में पर्याप्त प्रभाव रखती है.

एमएनएस करीब 90 वार्डों में निर्णायक अंतर पैदा कर सकती है. यह बीएमसी चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकता है. उद्धव और राज ठाकरे द्वारा एकजुटता का सार्वजनिक प्रदर्शन इस बात का मजबूत संकेत देती है कि दोनों चचेरे भाई एक राजनीतिक गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं. इसका उद्देश्य मराठी मतदाताओं को एकजुट करके बीएमसी की सत्ता पर पकड़ बनाए रखना और बाला साहेब ठाकरे की विरासत को फिर से हासिल करना है. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अविभाजित शिवसेना के परंपरागत मतदाता किसके साथ जाते हैं, उद्धव के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ या एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ. 

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