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दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बदला MA संस्कृत का सेलेबस, हटाए गए मनुस्मृति के चैप्टर – du ma sanskrit students will now study shukraniti tedu


दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एमए संस्कृत प्रोग्राम के सेलेबस में बड़ा बदलाव किया है. तीसरे टर्म के सेलेबस से ‘मनुस्मृति’ को हटाकर उसकी जगह शासन और राजनीति पर आधारित ‘शुक्रनीति’ को शामिल किया गया है. वाइस चांसलर योगेश सिंह के इस फैसले को एग्जिक्यूटिव काउंसिल की आगामी बैठक में कंफर्म किया जाएगा.

मनुस्मृति को सेलेबस में शामिल करने के बाद विपक्षी दलों और सोशल मीडिया पर हो रही आलोचनाओं के बीच ये कदम उठाया गया है. हालांकि, फेकल्टी के एक सदस्य ने स्पष्ट किया कि छात्रों को केवल अविवादित सेक्शन ही पढ़ाए जा रहे थे. उनका कहना है कि इसे लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने यूनिवर्सिटी पर लगातार निशाना साधा, जिसके बाद उसे बदलने का फैसला लिया गया.

मनुस्मृति के कौन से मॉड्यूल हटाए गए?

मनुस्मृति की ये यूनिट्स सलेबस से हटाई गई हैं:
• अध्याय 2: धर्म और संस्कार (अनुष्ठान और कर्तव्य)
• अध्याय 6: वानप्रस्थ आश्रम (जीवन की वनवासी अवस्था)
• अध्याय 7 और अध्याय 9 (श्लोक 1-102): राजा के कर्तव्य और पुत्रों के प्रकार
• अध्याय 12: प्रायश्चित (प्रायश्चित और तपस्या)

मनुस्मृति और शुक्रनीति में फर्क

शुक्रनीति को पौराणिक कथाओं में असुरों के गुरू माने गए शुक्राचार्य ने लिखा है. जहां मनुस्मृति धार्मिक कर्तव्यों और सामाजिक नियमों पर बात करती है, वहीं शुक्रनीति राज्य के शासन, नैतिकता, रक्षा रणनीति (defense strategies) और प्रशासन पर केंद्रित है.

अब छात्र क्या पढ़ेंगे?

नए सलेबस के अनुसार छात्र अब ये विषय पढ़ेंगे:
• कोश निरूपण – राज्य के संसाधनों और वित्त (finances) का प्रबंधन
• लोकधर्म निरूपण – सामाजिक मानदंड और नैतिक शासन
• राष्ट्र निरूपण – राष्ट्रवाद और शासन कला
• सैन्य और दुर्गा निरूपण – सैन्य रणनीति और किलेबंदी तकनीक

दिल्ली यूनिवर्सिटी के अनुसार इस बदलाव से छात्र शासन के पुराने सिद्धांतों को आधुनिक पॉलिसी-मेकिंग से जोड़ पाएंगे, जिससे सलेबस समकालीन प्रशासनिक अध्ययनों (contemporary administrative studies) के लिए और प्रासंगिक बन जाएगा.

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