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नकली मावा VS FSDA: क्या यूपी में सिर्फ 10 लैब काफी? पढ़ें मिलावटखोरों पर पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट – Fake mawa vs FSDA Are just 10 labs in UP enough report on crackdown on adulterators lclam


दीपावली से पहले उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा विभाग (FSDA) ने नकली मावा और मिलावटी मिठाइयों पर बड़ा अभियान चलाया है. 8 अक्टूबर से शुरू हुए इस विशेष अभियान में अब तक 3394 कुंतल माल जब्त और 14,638 किलो सामान नष्ट किया गया है. लेकिन 24 करोड़ की आबादी वाले यूपी में क्या यह कार्रवाई पर्याप्त है, जब जांच के लिए सिर्फ 10 लैब ही काम कर रही हैं?

दरअसल, खाद्य सुरक्षा विभाग दीपावली के मौके पर पूरे प्रदेश में मिलावटी मावा और मिठाई जब्त कर रहा है. विभाग ने 8 अक्टूबर से विशेष अभियान चला रखा है. यह अभियान लखनऊ से लेकर गाजियाबाद और गाज़ीपुर तक चल रहा है. इस दौरान अब तक 2448 छापे मारे गए हैं और 3369 सैंपल लिए गए हैं. विभाग यह कार्रवाई लोगों को हानिकारक खाद्य पदार्थों से बचाने के लिए कर रहा है. अकेले लखनऊ में 43197 किलो सामान ज़ब्त किया गया और 10,890 किलो नष्ट किया गया. 

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में फ़िलहाल FSDA की सिर्फ 10 लैब ही काम कर रही हैं. आठ और लैब बनकर तैयार हैं, जो एक-दो महीने में काम करना शुरू करेंगी. इस कमी के चलते, नियम यह कहता है कि सैंपलिंग की रिपोर्ट 14 दिन में आ जानी चाहिए, लेकिन त्योहारों पर सैंपलिंग की भरमार के कारण रिपोर्ट आने में 20 से 25 दिन या कई बार एक महीने तक का समय लग जाता है. 

ऐसे होती है मिलावटी सामान पर कार्रवाई

FSDA के असिस्टेंट कमिश्नर विजय प्रताप सिंह के अनुसार, विभाग दो तरह से कार्रवाई करता है. जो सामान 24 घंटे में खराब हो सकता है, उसे विशेषज्ञों की मौजूदगी में तुरंत नष्ट कर दिया जाता है. लेकिन अगर मिठाई बनाने में इस्तेमाल हुए सामान में मिलावट पाई जाती है, तो सैंपलिंग के साथ उससे बना पूरा माल ज़ब्त कर लिया जाता है. 

सीलिंग और निगरानी का नियम

रिपोर्ट आने में देर होने पर, असिस्टेंट कमिश्नर विजय प्रताप सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने तक विभाग की टीमें लगातार उस दुकान पर निगरानी रखती हैं. ज़रूरत पड़ने पर दोबारा सैंपलिंग भी की जाती है. जब रिपोर्ट में मिलावट की पुष्टि होती है, तब दुकान को सील किया जाता है और FIR भी दर्ज कराई जाती है. लखनऊ में हाल ही में 20 लाख के नकली सामान को बुलडोज़र से ज़मीन में दफ़नाया गया था. 

साख बचाने के लिए पारंपरिक दुकानदारों की सलाह

लखनऊ में 18 साल से मिष्ठान भंडार चला रहे अविनाश त्रिपाठी का कहना है कि लोग त्योहारों पर सिर्फ अपनी पहचान वाली पारंपरिक दुकानों से ही मिठाई खरीदें. उन्होंने कहा कि जो दुकानदार अपनी साख 15-20 साल में बनाते हैं, वे चंद पैसों के लालच में नकली सामान नहीं बेचते. उनके मुताबिक, नकली मिठाइयां अमूमन त्योहारों पर खुलने वाली अस्थायी दुकानों पर ही बिकती हैं. 

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